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आखिर क्यों पटना की नर्सिंग छात्राएं हड़ताल को मजबूर हैं?

हमलोग दूसरे वर्ष की नर्सिंग स्टूडेंट हैं. हम सभी छात्राएं हॉस्टल में रहते हैं और अभी हमारे नर्सिंग क्लास चल ही रहे हैं. अचानक एक दिन कॉलेज प्रशासन कहती है कि वो हमारे हॉस्टल को तोड़ने जा रही है. हमारे हॉस्टल की बिजली भी काट दी गयी है. जब हमलोगों ने कॉलेज प्रशासन से इस मामले पर बात करनी चाही तो पुलिस ने हमलोगों पर लाठीचार्ज किया. क्या बिहार में स्वास्थ्यकर्मियों की यही इज्ज़त है?

निशा कुमारी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल PMCH (पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में नर्सिंग की पढ़ाई कर रही हैं. बहुत मुश्किल से उन्होंने अपने घर से पढ़ाई करने की इजाज़त ली थी. घर वालों ने इजाज़त सिर्फ़ इसलिए दी थी क्योंकि कैंपस में ही हॉस्टल की सुविधा भी मौजूद थी. लेकिन अचानक कॉलेज प्रशासन ये कहता है कि PMCH को विश्वस्तरीय बनाने के लिए हॉस्टल को तोड़ा जाएगा तो हॉस्टल को राजापाकर, जो PMCH से लगभग 40 किलोमीटर दूर है, शिफ्ट कर दिया गया है. इस वजह से तत्काल प्रभाव से सारी छात्राओं को हॉस्टल से हटा दिया गया है.

हॉस्टल टूटने की वजह से छात्राओं की पढ़ाई में काफ़ी बाधा आ रही है. छात्राओं का मानना है कि अगर राजापाकर में हॉस्टल शिफ्ट हुआ तो दिन भर सिर्फ़ आने जाने में ही समय निकल जाएगा. इस मुद्दे को लेकर छात्राओं ने कई दिनों से आंदोलन और हड़ताल भी की हुई है लेकिन आज तक इस समस्या का निपटारा नहीं हो पाया है. कॉलेज प्रशासन इस मामले पर कुछ भी बात सुनने के लिए राज़ी नहीं है. हड़ताल कर रही छात्राओं पर 5 मई 2022 को पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसके बाद अन्य सामाजिक और राजनैतिक संगठनों के लोग इस मुद्दे पर छात्राओं के साथ सड़क पर उतरे. लेकिन उसके बाद छात्राएं इस आंदोलन में अकेले ही रह गयी. आज के समय में छात्राएं पटना के गर्दनीबाग में धरने पर बैठी हुई हैं लेकिन कोई भी आंदोलन को समर्थन देने या छात्राओं से बात करने भी नहीं पहुंचा है. जब छात्राओं ने भूख हड़ताल की तो 2 छात्राओं की तबियत काफ़ी बिगड़ गयी और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इसके बाद भी सरकार ने इस मामले पर बातचीत की पहल नहीं की है.

दरअसल PMCH को विश्वस्तरीय बनाने की योजना साल 2020 से चल रही है. उसी के काम को आगे बढ़ाने के लिए नर्सिंग छात्राओं के हॉस्टल को तोड़ना पड़ रहा है.

पूनम PMCH में दूसरे वर्ष की नर्सिंग स्टूडेंट हैं. डेमोक्रेटिक चरखा से बातचीत के दौरान वो बताती हैं

प्रशासन को हमलोगों से कोई मतलब है नहीं. एडमिशन के समय हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि हॉस्टल बदला जा सकता है. मिडिल सेशन में छात्रों को कहीं और भेजने का कोई नियम ही नहीं है. सिर्फ नर्सिंग की छात्राओं को ही राजापाकर भेजा रहा है. इसके अलावा जितने भी मेडिकल स्टूडेंट हैं उनके रहने का इंतजाम पटना में किया गया है. उनके लिए हो सकता है तो हमारे लिए क्यों नहीं?

पुलिस और पटना प्रशासन के आंदोलन कुचलने की बात पर पूनम आगे बताती हैं-

आंदोलन के दौरान हम पर लाठीचार्ज किया गया. जिस जगह पर PMCH प्रशासन हमें भेज रहा है वहां कुछ समय पहले एक लड़की का मर्डर हुआ है. उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. अगर हमारे साथ कुछ गलत हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सिटी मजिस्ट्रेट एमएच खान  हमसे मिलने आते हैं. उनकी तरफ से धमकियां दी जाती हैं कि जल्द से जल्द अपनी भूख हड़ताल खत्म करो वरना फिर से लाठी चार्ज करेंगे.

हॉस्टल शिफ्ट करने पर छात्राओं का एक और तर्क है. उनका कहना है कि उन्हें अपनी प्रैक्टिस के लिए PMCH ही रहना होता है. ऐसे में उनका अधिकांश समय PMCH में ही बीत जाता है. वो उन्हें वापस राजापाकर जाने का समय ही नहीं मिलेगा. राजापाकर जाने में कम से कम 2 घंटे का समय लगता है. इससे छात्राओं का समय और एनर्जी दोनों ही ज़ाया हो जायेगी.

इस मामले की जानकारी के लिए डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने PMCH प्रशासन से बातचीत करने की कोशिश की. कई फ़ोन कॉल और समय लेने के बाद प्रिंसिपल कुमारी वीणा ने कहा-

इसके लिए सुपरिटेंडेंट जिम्मेवार होंगे यदि सरकार का आदेश है तो मानना ही पड़ेगा. छात्राओं को पीएमसीएच में ही प्रशिक्षण देने की चिट्ठी में भी लिखा हुआ है. इसके लिए छात्राओं को पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट से बात करनी चाहिए, इस तरह से प्रदर्शन नहीं करनी चाहिए, छात्राओं के प्रदर्शन से पीएमसीएच में पहुंचे, गरीब मरीजों को भी परेशानी हो रही है.

इस मामले पर अभी तक सरकार ने किसी भी तरह का दख़ल नहीं दिया है. छात्राओं की मांग है कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए. छात्राओं की भूख हड़ताल अभी भी जारी है और उनका कहना है कि जब तक सरकार अपना फ़ैसला नहीं लेती वो आंदोलन करती रहेंगी.

Amir Abbas
My name is Amir

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