Begusarai

बेगूसराय के युवा पत्रकार की हत्या, बालू माफिया के ख़िलाफ़ कर रहे थे रिपोर्टिंग

बेगूसराय में युवा पत्रकार सुभाष कुमार जिनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी उनकी अपराधियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गयी. जिस उम्र में ज्यादातर युवा खाने और घूमने के शौकिन होते हैं, उस उम्र में सुभाष कुमार ने बखरी इलाके में बालू और शराब माफिया के खिलाफ लगातार रिपोर्टिंग की थी. जिसके वजह से वह बालू और शराब माफियाओं के आंखों की किरकिरी बने हुए थे. इस वजह से सुभाष की हत्या के पीछे बालू और शराब माफिया का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक, पत्रकार सुभाष कुमार बहुआरा पंचायत के वार्ड संख्या एक के सांखू गांव के रहने वाले थें.

उनकी हत्या के बाद जिलें और राज्य के पत्रकारों के बीच काफी आक्रोश है. पत्रकारों ने सुभाष कुमार के शव को प्रेस क्लब रखकर श्रद्धांजलि दी.

सुभाष गांव में अपने किसी परिचित की शादी में गये हुए थे वहां से लौटने के क्रम में ही उनके ऊपर अपराधियों द्वारा गोलियां चलायीं गयी, जिसमें से एक गोली सुभाष के सर में लगी. गोली की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़ें और उन्हें नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें डॉक्टर द्वारा मृत घोषित कर दिया गया.

इस संबंध में जब हमने सुभाष के साथी और डेमोक्रेटिक चरखा के बेगूसराय रिपोर्टर रंजीत से बात की तो उन्होंने बताया कि

सुभाष अपने पापा, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ शादी में गया था. वहां शादी के बिध-विचार के बाद लोग डीजे पर नाच रहे थे. जिसमें महिलाएं भी शामिल थी. तभी उसमे बाहर के कुछ  लड़के आकर नाचने लगें और महिलाओं से छेड़छाड़ भी करने लगें. तभी सुभाष और उसके कुछ दोस्तों ने जाकर उसे मना किया. जिससे उनलोगों के बीच कहासुनी हो गयी. लेकिन यह सब बहाना था. वो लड़के पहले से ही आपराधिक प्रवृति के थे और सुभाष को मारने के उद्देश्य से ही आए थे.

सुभाष की हत्या के कई कारण बताए जा रहे हैं. जिनमें से एक कारण पंचायत चुनाव को भी बताया जा रहा है. रंजीत ने बताया कि

सुभाष की समाज में अच्छी छवि थी. लोग उसका मान करते थे. अभी हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में सुभाष के करीबी मित्र की पत्नी ने वार्ड सदस्य का चुनाव जीता था और चुनाव में सुभाष ने उनका समर्थन किया था. जिससे कुछ लोग उनसे खुन्नस खाए हुए थे.

घटना को बीते हुए चार दिन हो गए है, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक अभी किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस घटना के बाद से पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

जिले के एसपी के अनुसार इस मामले में चार लोगों की पहचान की गई है, जो इस हत्या में शामिल थे. सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. बखरी डीएसपी के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम बनाई गई है. जल्द ही सारे अपराधियों कों गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलाई जाएगी. घटना के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस कांड में जो भी शामिल हैं, उन सारे अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा.

सुभाष अपने माता-पिता के  इकलौते बेटे थे. उनसे छोटी उनकी दो बहने हैं, जिनमे एक की शादी हो गयी है. हमारी टीम सुभाष के घर गयी और उनके परिवार वालों से बात करने की कोशिश की तो वहां कोई बात करने की स्थिति में नहीं था. माता-पिता और बहनों का घर में बुरा हाल है. पड़ोसियों ने कहा की उनके माता-पिता कि तबियत खराब है.

सुभाष के हत्या के विरोध में शहर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं. सीपीआई विधायक सूर्यकांत पासवान के साथ पत्रकार और जनप्रतिनिधियों ने कैंडल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया है. साथ ही सूर्यकांत पासवान ने परिवार के लिए 10 लाख मुआवजे के साथ-साथ सुरक्षा की मांग सरकार से की है. इस हत्या के खिलाफ पूरे जिले में अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

इससे पहले भी राज्य में कई जगहों पर पत्रकारों की हत्या हो चुकी है. हाल की बात करें तो कुछ महीने पहले ही मधुबनी के युवा पत्रकार अविनाश झा उर्फ बुद्धिनाथ झा की हत्या अपराधियों द्वारा की गयी थी.  

सुभाष के हत्या के विरोध में शहर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं. बखरी विधायक सूर्यकांत पासवान के साथ पत्रकार और जनप्रतिनिधियों ने कैंडल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. सूर्यकांत पासवान ने डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए सीधे सरकार पर सवाल उठाया और कहा कि

सुशासन बाबू की सरकार में सच लिखने वाले पत्रकार सुरक्षित नही हैं तो आम लोगों की सुरक्षा तो भगवान भरोसे है. लगातार दो सालों से निर्भीक पत्रकारिता करने के लिए मैं सुभाष के हिम्मत की सराहना करता हूं. साथ ही उनकी  हत्या के आरोपितों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए. विधायक ने परिवार के लिए उचित मुआवजे के साथ-साथ सुरक्षा की मांग सरकार से की है.

इस हत्या के खिलाफ पूरे जिले में अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

इससे पहले भी राज्य में कई जगहों पर पत्रकारों की हत्या हो चुकी है. हाल की बात करें तो कुछ महीने पहले ही मधुबनी के युवा पत्रकार अविनाश झा उर्फ बुद्धिनाथ झा की हत्या अपराधियों द्वारा की गयी थी.  

हमारी बेगूसराय की टीम से बात करते हुए स्थानीय जिला परिषद सदस्य अमित देव ने कहा कि

मेरा घर परिहारा ओपी के बगल में है. एक बार मेरे ऊपर भी गोलीबारी हुई थी. जब एक पत्रकार और जनप्रतिनिधि सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों की सुरक्षा तो  छोड़ ही दें. शहर में अपराधियों का मनोबल बढ़ गया. खगड़िया से अपराधी आकर बेगूसराय में वारदात को अंजाम देकर चले जाते हैं. राजनितिक अपराधीकरण बढ़ गया है. 

ग्रामीण पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले ये बता रहे हैं कि किस तरह से माफिया और प्रशासन ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट से डर रहे हैं.

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