आख़िर क्यों BPSC के छात्र अपने रिज़ल्ट से नाख़ुश हैं?

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आख़िर क्यों BPSC के छात्र अपने रिज़ल्ट से नाख़ुश हैं?
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बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) ने 67वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम गुरुवार, 17 नवंबर को जारी किया गया था. रिजल्ट ज़ारी होने के बाद अभ्यर्थी एक बार फिर से सड़कों पर उतर आए हैं.

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अभ्यर्थियों का आरोप है कि रिज़ल्ट में गड़बड़ी की गयी है. अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा में जो प्रश्न पूछे गए थे उनमे से 8 प्रश्न गलत थे. लेकिन जब रिजल्ट ज़ारी किया गया उसमे उन प्रश्नों के नंबर भी जोड़े गए हैं. साथ ही कटऑफ भी ज़्यादा दिया गया है.

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परीक्षार्थी रिजल्ट के विरोध में आयोग के कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठ गए और हंगामा करने लगे. अभ्यर्थी का आरोप है कि कई उम्मीदवारों का नाम रिजल्ट के पीडीएफ में है लेकिन मार्कशीट में नाम नहीं है. वहीं कई उम्मीदवारों के नाम मार्कशीट में तो हैं लेकिन पीडीएफ में उनका नाम नहीं है. अभ्यर्थियों का कहना है अगर रिजल्ट में सुधार नहीं किया जाएगा तो वे लोग आगे भी प्रदर्शन करेंगे.

रिज़ल्ट में सुधार को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्र रिजल्ट में सुधार के साथ-साथ रिजल्ट में गड़बड़ी की सीबीआई जांच, परीक्षा नियंत्रक को हटाने, गलत उत्तर के वजह से हर कैटेगरी में कट ऑफ कम करके रिज़ल्ट देने की मांग भी कर रहे हैं.

मार्कशीट और पीडीएफ में अंतर के सवाल पर इस वर्ष बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए छात्र गोविंद कुमार बताते हैं

मैंने कई बार यह सुना है कि रिजल्ट के समय छात्र-छात्राओं का परीक्षा में आया अंक बाद में बताया जाता है लेकिन वो उत्तीर्ण हैं या नहीं यह पीडीएफ (PDF) के माध्यम से पता चल जाता है. लेकिन कई बार पीडीएफ में रोल नंबर आने के बावजूद मार्कशीट में नाम नहीं आने का मामला भी देखा गया है.

बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं का समय पर नहीं होना और रिजल्ट प्रकाशन होने के बाद उसमे धांधली की बात अक्सर सामने आती है. इससे छात्रों को होने वाली परेशानी पर बात करते हुए गोविंद आगे कहते हैं

परीक्षा का एडमिट कार्ड इतने कम समय में आता है कि जो छात्र दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में रहते हैं वह परीक्षा नहीं दे पाते हैं. ट्रेन में टिकट मिलना कितना मुश्किल है यह तो सभी जानते हैं. एडमिट कार्ड आने के बाद छात्रों के हाथ में इतना कम समय होता है कि उन्हें टिकट नहीं मिल पाता है और वह परीक्षा देने से वंचित रह जाते हैं.

वहीं इस वर्ष बीपीएससी की परीक्षा देने वाली छात्रा अंकिता ने बताया कि

बीपीएससी की परीक्षा में सबसे ज़्यादा समस्या इसके परिणाम के समय में आता है. सही रिजल्ट भी प्रकाशित नहीं किया जाता. इसके अलावा अब तो परीक्षा देने के बाद डर लगा रहता है कि पता नही कब कैंसिल हो जाए.

वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय छात्र एकता मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता दिलीप कुमार का कहना है

हमने आयोग से रिज़ल्ट में सुधार करने का अनुरोध किया था. साथ ही पेपरलीक और रिजल्ट में गड़बड़ी की सीबीआई जांच, आयोग ऑफिस में लंबे समय से कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाने, जितने प्रश्नों के उत्तर गलत दिए गए है हर कैटेगरी में उतना कट ऑफ कम करके अतिरिक्त रिजल्ट दिए जाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन आयोग छात्रों की बात नहीं सुन रहा है. हमने उसी दिन कहा था, अगर ऐसा नहीं हुआ तो छात्रों को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा. लेकिन इसके बावजूद आयोग रिजल्ट में सुधार नहीं कर रहा है. इस कारण अब मज़बूरी में हमलोग 29 नवंबर को वापस आयोग कार्यालय के बाहर छात्रों के साथ प्रदर्शन करेंगे.

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रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर 22 नवंबर को छात्रों द्वारा हुए प्रदर्शन के बाद बीपीएससी के चेयरमैन अतुल प्रसाद ने मीडिया से कहा था

67वीं पीटी परीक्षा के रिजल्ट में जो अभ्यर्थी पास हो गए है, उनके रिजल्ट में किसी तरह का कोई भी बदलाव नही किया जाएगा. अभ्यर्थियों के आग्रह पर हम एक्सपर्ट्स से खास तौर पर आर्ट्स से जुड़े सवालों के उत्तर की जांच कराएंगे. अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो सभी उम्मीदवारों को उसका लाभ दिया जाएगा.

बीपीएससी 67वीं की प्रारंभिक(प्रीलिम्स) परीक्षा 555 पदों के लिए आयोजित किया गया था. जिसमे 11,607 उम्मीदवार मुख्य लिखित(मेंस) परीक्षा के लिए क्वालीफाई हुए हैं. बीपीएससी 67वीं की प्रीलिम्स परीक्षा 30 सितंबर, 2022 को राज्य के 1,153 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी. जिसमे 4 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे.

प्रारंभिक परीक्षा में हुआ था पेपर लीक

बीपीएससी 67वीं प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 8 मई को किया गया था. लेकिन परीक्षा प्रारंभ होने के साथ ही सेंटर से पेपर लीक होने की खबरें आने लगी थीं. विभिन्‍न सोशल साइट्स जैसे टेलीग्राम व वॉट्सऐप ग्रुप्‍स पर प्रश्न पत्र परीक्षा से कुछ मिनट पहले ही वायरल हो गए.

परीक्षा खत्म होने के बाद वायरल प्रश्न पत्र मूल प्रश्न पत्र से मैच कर गए. जिसके बाद सैकड़ों परीक्षार्थियों ने पेपर लीक को लेकर हंगामा कर दिया. हंगामे के बाद राज्य सरकार ने बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध ईकाई(ईओयू) को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी दी थी.

ईओयू के प्रारंभिक जांच में पेपर लिक करने का दोषी गया के डेल्हा क्षेत्र में स्थित राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज के केंद्र अधीक्षक शक्ति कुमार को पाया गया था. शक्ति कुमार ने परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्नपत्रों को स्कैन कर प्रसारित करने के लिए कपिल कुमार को दे दिया था.

गिरफ्तार किए गए कपिल कुमार की पहचान प्रयागराज जिले में सीजीडीए में लोअर डिवीजन क्लर्क के रूप में हुआ. जांच के अनुसार कपिल कुमार ने शक्ति कुमार से प्रश्न पत्र प्राप्त करने के बाद उन्हें प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

कब हुआ बीपीएससी का गठन

बिहार लोक सेवा आयोग का गठन भारत सरकार अधिनियम 1965 के तहत किया गया था. यानि 1965 में जब संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोक सेवा आयोग का गठन किया गया उसी समय बिहार राज्य लोक सेवा आयोग का भी गठन किया गया था.

बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन(बीपीएससी) के तहत बिहार में विभिन्न विभागों के एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट पर भर्ती निकला जाता है. जैसे बिहार एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, स्टेट टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर, बिहार एजुकेशन सर्विस, रेवेन्यू ऑफिसर आदि.