छत्तीसगढ़ में हो रहे नक्सलियों के बीच गैंगवार से बढ़ सकती है वहां हिंसक घटनाएँ
छत्तीसगढ़ में हो रहे नक्सलियों के बीच गैंगवार
“छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के बीच आए दिन आपस में मतभेद हो रहा है जिसकी वजह से गैंगवार जैसी घटनाएँ हो रही है। लोगों को भय है कि इससे बस्तर में हिंसक घटनाएँ बढ़ेगी।”
छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस विभाग का कहना है की आपस में बढ़ते मतभेद के चलते नक्सली एक दूसरे की हत्या करने में लगे हैं जिससे गैंगवार की परिस्थिति पैदा हुई है।
गैंगवार का प्रमुख कारण
इस गैंगवार का दो प्रमुख कारण भी है पहला नक्सली द्वारा मुखबिरी के शक में गांव के ग्रामीणों की हत्या और दूसरा कैडर सदस्यों द्वारा लगातार सरेंडर करना है।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही गंगलूर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने आपसी मतभेद में आकर 10 लाख का इनामी में माओवादी मोड़ियम विज्जा की हत्या कर दी थी।
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इतना ही नहीं 3 लाख का इनामी नक्सली जनताना प्रभारी लखु हेमला और जोनल कमेटी का रेज अध्यक्ष संतोष की भी हत्या आपसी गैंगवार में की गई।
पिछले 1 महीने में 6 इनामी नक्सलियों की आपसी मतभेद में हत्या कर दी गई
पुलिस के मुताबिक इस साल नक्सलियों ने लगभग 60 ग्रामीणों को पुलिस से मिली भगत के चलते मौत के घाट उतार दिया। हाल ही में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने जारी किए गए बयान में कहा था कि ग्रामीणों की नृशंस हत्या नक्सलियों के ख़ात्मे का कारण बनेगी।
वही पुलिस अधिकारियों का दावा है कि पिछले 1 महीने में 6 इनामी नक्सलियों की आपसी मतभेद में हत्या कर दी गई जो दर्शाता है कि इनकी आपस में नहीं बन रही है।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि जिस प्रकार निर्दोष ग्रामीणों को मुखबीर बताकर उन की निर्मम हत्या की जा रही है तो इसका विरोध उनके ही साथ नक्सली करने लगे हैं।
इस विरोध के चलते भी यह लोग कैडर के लोगों पर अपनी धाक बनाए रखने के लिए विरोध करने वालों की हत्या कर रहे हैं। साथ ही सरेंडर करने वाले लोगों के मन में भय पैदा हो इसके चलते भी हत्या का डर दिखा कर उन्हें रोकने की कोशिश की जा रही है।
आपको बता दें कि भारत में नक्सलवादी की समस्या नई नहीं है बल्कि कई वर्षों से एक प्रथा बन गई है। छत्तीसगढ़ को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है।
तमाम सरकार और स्थानीय प्रशासन इन पर काबू पाने में असफल साबित हुई है क्योंकि इन्हें ग्रामीण इलाकों के लोगों का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है।
लेकिन हाल के दिनों में इनकी गति विधि से ग्रामीण इलाकों के लोगों में इनके प्रति भावना बदली है और इसी का परिणाम है इन नक्सलियों में आए दिन आपसी मतभेद बढ़ता ही जा रहा है।