उत्तरप्रदेश में मरीज़ों से इलाज के पहले तब्लीगी जमात से जुड़े होने पर किया जा रहा सवाल
उत्तरप्रदेश में सुप्रसिद्ध राममनोहर लोहिया अस्पताल से जुड़ा मामला
कोरोना वायरस के भारत में दस्तक के दौरान दिल्ली में हुए तब्लीगी जमात के कार्यक्रम के बाद पूरे देश में जिस तरह से जमात से जुड़े लोग संक्रमित मिले थे उस पर काफी विवाद हुआ था। तब्लीगी जमात से जुड़ा वह विवाद शांत हुए कुछ महीने हुए ही थे कि तब्लीगी शब्द एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार इस विवाद का केंद्र है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और पूरा मामला वहां की सुप्रसिद्ध राममनोहर लोहिया अस्पताल से जुड़ा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के इस सुप्रसिद्ध अस्पताल पर आरोप है कि वह मरीज़ों को भर्ती और इलाज शुरू करने से पहले उनसे तब्लीगी जमात से जुड़े होने या उनके जमात के किसी कार्यक्रम में शामिल होने पर सवाल पूछ रहे है।
8 अक्टूबर को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई एक घटना के बाद सामने आया
खबर के मुताबिक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (RMLIMS) यह घटना घटी जब एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला को किडनी की बीमारी की वजह से दर्द उठने पर लखनऊ के इस सुप्रसिद्ध अस्पताल ले जाया गया तो वहां के डॉक्टर और नर्स को उस बुजुर्ग महिला के दर्द से ज्यादा उनके तब्लीगी जमात से कोई संबंध होने की ज्यादा फिक्र थी।
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पीड़ित बुजुर्ग महिला के बेटे ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वो लोग फरीदी नगर के रहने वाले है और उनकी मां आमना बेगम ने 8 अक्टूबर को रात करीब साढ़े दस बजे तेज दर्द की शिकायत की। इसके बाद वो लोग उन्हें लेकर RMLIMS पहुंचे। अस्पताल प्रशासन ने उनकी मां को भर्ती कर इलाज शुरू करने से पहले ही उसे कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरा करने के लिए लिपिक विभाग में भेज दिया। लिपिक विभाग में एक कर्मचारी ने कोविड-19 स्क्रीनिंग के रूप में मरीज के लक्षणों के बारे में पूछताछ दौरान कर्मचारी ने सवाल किया कि क्या उसके मरीज या उनके परिवार के किसी सदस्य ने तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लिया था।
मरीज के परिजनों ने ऐसे रवैया के बाद निजी अस्पताल जाने की बात कही
मरीज की भर्ती से पहले कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए उसके बारे में जानकारी लेना अनिवार्य प्रोटोकॉल है । लेकिन तब्लीगी जमात से सवाल पूछना इसका हिस्सा नहीं है फिर भी उनसे ऐसे सवाल पूछे गए। मरीज के परिजन कोविड-19 स्क्रीनिंग का फॉर्म दिखाया जिसमें अन्य आठ सवालों के साथ ये भी शामिल था कि – मरीज या उनके परिवार में से किसी सदस्य ने तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया है या नहीं।
इस मामले पर मामले में हॉस्पिटल के प्रवक्ता श्रीकेश सिंह ने सफाई देते बताया कि हमें कोविड-19 स्क्रीनिंग फॉर्म डिज़ाइन करने की अथॉरिटी नहीं है। हम सिर्फ राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। पहले से ही काफी विवादों में घिरी उत्तरप्रदेश सरकार यह मामला सामने आने के बाद एक नए विवाद में फंसते हुए दिख रही है। अब देखना है कि इस पूरे मामले पर राज्य सरकार क्या रुख अपनाती हैं।