बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआई के कन्हैया कुमार चर्चा में बने हुए
बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआई के कन्हैया कुमार काफी सुर्खियां बटोर रहे
बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होने हैं और कुछ ही दिनों में चालू भी हो जाएंगे और हर कोई बिहार में अपनी अपनी कुर्सी जमा करना चाहता है। ऐसे में सीपीआई के कन्हैया कुमार काफी सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। बता दें, पिछले साल बेगूसराय के चुनाव में कन्हैया केंद्रीय मंत्री गिरि राज सिंह से बुरी तरह हार गए थे।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी के नेतृत्व में बने महागठबंधन में सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई एमएल भी महागठबंधन का हिस्सा हैं। बेगूसराय जिले की बखरी विधानसभा से सीपीआई उम्मीदवार सूर्यकांत पासवान और तेघड़ा विधानसभा से राम रतन सिंह ने मैदान में हैं। महागठबंधन के पक्ष में वोट मांगने आए कन्हैया कुमार ने कहा- बदलाव के लिहाज से 2020 का विधानसभा चुनाव बिहार के लिए निर्णायक है।
कन्हैया कुमार भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे हो लेकिन स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम होने के कारण उनसे काफी उम्मीद की जा रही है कि वह बीजेपी और जेडीयू पर निशाना साधेंगे और सीपीआई को बिहार में जीत हासिल करवाने में मदद करेंगे। ऐसे में कन्हैया कुमार ने अपने तीखे बाणों से आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं।
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पिछले साल जब कन्हैया कुमार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से हारे थे, ऐसे में उन्होंने बीजेपी पर सीएम हैक करने का ही आरोप लगा दिया है। कुछ दिन पहले कन्हैया ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “इस बार आप लोग जो चुनें वो बाद में नहीं बदले। क्योंकि अब देखने में आ रहा है कि चुनाव के बाद हर दल अपने विधायकों को लेकर रिजॉर्ट-रिजॉर्ट खेल रही है। पहले ईवीएम हैक करने की बातें सामने आती थीं लेकिन अब तो बीजेपी सीएम को ही हैक कर रही हैं।”
सीपीआई को कन्हैया से उम्मीद
सीपीआई की लोकप्रियता लगातार कम होती जा रही है लेकिन सीपीआई बिहार में फिर से अपने पार्टी के जीवनकाल चलाने की उम्मीद रख रही है। सीपीआई को कम लोगों के कारण भले ही आरजेडी के साथ छह सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। लेकिन सीपीआई अब भी कन्हैया कुमार को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रही है।
भले ही सीपीआई ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया है। लेकिन सीपीआई यह अच्छी तरह से जानती है कि जब तक आरजेडी का पलड़ा भारी है तब तक कन्हैया कुमार मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। ऐसे में सीपीआई आरजेडी को भी कमजोर करना चाहती है और रास्ते में रोड़ा बने बीजेपी को भी हटाना चाहती है। कन्हैया के भाषणों में साफ देखा जा रहा है कि वह यह नहीं चाहते कि आरजेडी इतनी मजबूत हो कि उसे सीपीआई की जरुरत ना रहे।
इन्हीं सब के चलते कन्हैया कुमार खूब सुर्खियों में आने का प्रयास कर रहे हैं। चुनाव की तारीख आने के बाद कन्हैया लगभग हर न्यूज़ चैनल पर इंटरव्यू दे रहे हैं। कन्हैया एक इंटरव्यू में नीतिश कुमार और भाजपा दोनों का तटस्थ विश्लेषण करते दिखे, उनहोंने कहा, “मैं ना अंध विरोधी हूं ना ही अंध समर्थक| मैंने पीएचडी की है और एक रिसर्च होने के नाते मेरा दायित्वव है कि मैं किसी भी चीज की तटस्थ भाव में कमियाँ देखने के साथ उसकी अच्छाइयां भी देखूं।”
मोदी और नीतिश की तारीफ तो तेजस्वी की तरफदार से बच रहे कन्हैया
विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद कन्हैया कुमार के काफी तेवर बदले हुए हैं। इंटरव्यू में कन्हैया कुमार ने जमकर विपक्षी प्रधानमंत्री मोदी की भी तारीफ करी। कन्हैया यह याद दिलाते हैं कि एक साधारण गरीब परिवार को बच्चा भी अपनी मेहनत के बल पर पीएम बन सकता है, ये बात मोदी ने साबित की है।
कन्हैया कुमार लड़कियों की साइकिल वितरण योजना का जिक्र करते हुए नीतिश कुमार की भी तारीफ की| लेकिन कन्हैया कुमार तेजस्वी यादव की तरफदार करने से बच रहे हैं। हालांकि वे उनकी आलोचना भी नहीं कर रहे हैं क्योंकि वह आरजेडी के महागठबंधन से जुड़े हैं और यह उनकी मजबूरी पड़ जाती है कि वे आरजेडी की आलोचना न करें।