बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के 30% उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड
बिहार चुनाव में पहले चरण के लिए खड़े 1066 प्रत्याशियों में से 320 प्रत्याशी है दागी
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की मतदान 28 अक्टूबर को होनी वाली हैं। पहले चरण में 74 सीटों के उम्मीदवारों कि बात करे तो उनमें से 30 प्रतिशत उम्मीदवारों के तार गंभीर अपराधिक से जुड़े हुए हैं।बिहार चुनाव में सदियों से अपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले और बाहुबलियों का दबदबा रहा है। चुनाव आयोग समय समय पर इसे रोकने के लिए नए नए नियम बनाते रहा है। लेकिन उनकी हर कोशिश चुनाव में उनकी मौजूदगी पर रोक लगाने में नाकाम रही है।
इसी साल फरवरी में चुनाव मैदान में अपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगो की मौजूदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, जुलाई में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को पत्र भेज कर स्पष्ट कहा था कि उन्हें आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण बताना होगा। इसके बावजूद क्षेत्रीय पार्टीयों के साथ साथ प्रमुख पार्टियां जैसे भाजपा, जदयू, राजद, लोजपा आदि कोई भी इन अपराधियो को टिकट देने में पीछे नहीं है।
1980 के दशक में बिहार की राजनीति की अपराधीकरण की हुई थी शुरुआत
बिहार चुनावों में पहले बड़े बड़े नेता दबंगो का इस्तेमाल बूथ कब्जे में करने के लिए करते थे। इस काम के एवज में दबंगो को राजनैतिक शरण मिलती रही और इनमें भी सत्ता हासिल करने की जिद सवार हो गई। इसके बाद 1990 में उन्ही दबंगो ने लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और स्वर्गीय रामविलास पासवान आदि बिहार के दिग्गज नेताओं के मदद से चुनाव लड़ना शुरू कर दिया।
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बिहार में अपराधियों को टिकट देने में सबसे आगे राजद
राजद की सूची में मोकामा विधानसभा सीट से अनंत सिंह का नाम शामिल है जिन पर हत्या, अपहरण आदि जैसे 38 आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। इनका नाता जदयू से भी रहा है उन्होंने अपनी राजनीतक पारी 2005 में जदयू से ही की थी। इसके बाद दानापुर विधानसभा सीट से निर्दलीय एमएलसी और हिस्ट्रीशीटर रीत लाल यादव का नाम है, गैंगस्टर यादव हाल ही में जेल से रिहा हुआ है। उन पर जमीन हड़पने, जबरन वसूली और हत्या के प्रयास का आरोप भी शामिल है।
जदयू की बात करे तो उसने गया की अतरी सीट से खूंखार बिंदी यादव की विधवा मनोरमा देवी को मैदान में उतारा है। उनका बेटा रॉकी यादव रोड रेज के मामले में एक युवक की हत्या के आरोप में जेल बंद है। वहीं भाजपा भी इस मामले में पीछे नहीं है, उसने डॉन अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी को नवादा के वारिसालीगंज से अपना टिकट दिया हैं।
अपराधियों की पत्नियों को टिकट देने के मामले में भी राजद ही आगे
राजद ने पूर्व विधायक राज बल्लभ यादव जो की नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने के बाद जेल में है उनकी पत्नी विभा यादव को नवादा विधानसभा क्षेत्र के टिकट दिया हैं।
राजपूत आनंद मोहन जिसपर 1994 में गोपालगंज के दलित जिला मजिस्ट्रेट, आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में वह अभी हत्या के इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उसकी पत्नी लवली आनंद को सहरसा और बेटे चेतन आनंद को शिवहर सीट टिकट दिया हैं।
अपराधियो को टिकट दिए जाने के सवाल पर सभी पार्टियों की लगभग एक राय है की ये उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय हैं और लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं। जिसकी वजह से इनके जीतने की संभावना ज्यादा रहती हैं।