BSNL का सरकार पर 4G सेवाओं में रोड़े अटकाने का आरोप,26 नवंबर को देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
BSNL का सरकार पर 4G सेवाओं में रोड़े अटकाने का आरोप
सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता BSNL के 8 कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर कंपनी की 4जी सेवाओं की राह में रोड़े अटकाने सहित कई आरोप लगाते हुए 26 नवंबर को हड़ताल का आह्वान किया है।
संगठनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की सात सूत्रीय मांगों तथा अपनी 10 सूत्रीय मांगों को पूरा करवाना चाहती है
जिन आठ संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया है। उनमें ‘बीएसएनएल कर्मचारी संघ,नेशनल फेडरेशन ऑफ टेलीकॉम एंपलॉइज, बीएसएनएल मजदूर संघ, बीएसएनएल ऑफिसर्स एसोसिएशन, नेशनल यूनियन ऑफ बीएसएनएल वर्कर्स, टेलीकॉम एंपलॉइज प्रोग्रेसिव यूनियन आदि शामिल हैं। कर्मचारी संगठनों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया है की, ‘बीएसएनएल का पुनरुद्धार अभी दूर का सपना है, क्योंकि सरकार इसके लिए कोई ईमानदार कदम नहीं उठा रही है। इतना ही नहीं सरकार बीएसएनएल की 4जी सेवाओं की लॉन्चिंग में रोड़े अटका रही है।’
संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने बीएसएनएल को कथित तौर पर एक सिस्टम इंटीग्रेटर के माध्यम से अपना 4जी नेटवर्क लॉन्च करने के लिए कहा जबकि भारत में किसी भी निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता ने सिस्टम इंटीग्रेटर के माध्यम से नेटवर्क नहीं चलाया है। संगठन ने बयान में बताया कि,”ऐसा इसलिए है, क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि सिस्टम इंटीग्रेटर मॉडल महंगा है और तकनीकी खराबी को सहने लायक नहीं हैं।”
बीएसएनएल कर्मचारी संगठनों के आरोपों के अनुसार टेंडर रद्द होने के पांच महीने बाद भी सरकार यह पहचान करने और बताने में असमर्थ रही है कि कौन सा घरेलू निर्माणकर्ता बीएसएनएल की 4जी सेवाओं की पूरा करने में सक्षम है।
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BSNL कर्मचारी यूनियन के हड़ताल के पीछे जबरन वीआरएस भी एक प्रमुख मुद्दा
4जी सेवा के मुद्दे के अलावा संगठन चाहते हैं कि सरकार संविदा कर्मचारियों की छंटनी बंद करे। 1 जनवरी 2017 से तीसरे वेतन संशोधन के मुद्दे और पेंशन संशोधन का निपटारा करें। कर्मचारी संगठनों की अन्य मांगों में सभी गैर-आयकर कर देने वाले परिवारों के लिए प्रति माह 7,500 रुपये का नकद हस्तांतरण और सभी जरूरतमंदों को प्रति माह 10 किलो मुफ्त राशन, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की जबरन समयपूर्व सेवानिवृत्ति पर परिपत्र को वापस लेना शामिल है।
ज्ञात हो कि बीएसएनएल को 2019-20 में 15,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। जबकि इस दौरान एमटीएनएल का घाटा 3,694 करोड़ रुपये रहा। अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट से जूझ रहीं सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा की थी।
इसके तहत एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय, संपत्तियों की बिक्री या पट्टे पर देना और कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश किया जाना शामिल था। और तब से कर्मचारी इसका विरोध कर रहे है। देश में जहां दूसरे दूरसंचार कंपनियों ने 5G सेवाओं का विस्तार प्रारंभ कर दिया है वहीं सरकार बीएसएनएल के सेवाओं को बढ़ाने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही हैं यह काफी चिंता का विषय है।