मध्य प्रदेश सरकार गायों के कल्याण के लिए ‘गौ माता कर’ वसूलने की तैयारी में
राज्य में गौ शालाओं के संचालन के लिए जल्द क़ानून लाने की बात
रविवार को मध्य प्रदेश के आगर- मालवा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा गौ माता के कल्याण के लिए मैं कुछ मामूली सा टैक्स लगाने पर विचार कर रहा हूं।
इस पैसे का इस्तेमाल गौशालाओं के उत्थान में किया जाएगा। उन्होंने लोगों से पूछा क्या यह सही है, इस पर सभा में मौजूद लोगों ने उनकी बात पर सहमति जताई।
शिवराज ने भारतीय संस्कृति का जिक्र किया
मुख्यमंत्री ने कहा हम पहली रोटी गाय को खिलाते थे और आखिरी रोटी कुत्ते को खिलाते थे। हमारी संस्कृति में पशुओं की चिंता की जाती थी, जो अब विलुप्त हो रही है। लिहाजा हम गायों के खातिर छोटी सी राशि टैक्स के रूप में जनता से चाहते हैं।
गौरतलब है कि सभा को संबोधित करने से ठीक पहले मुख्यमंत्री ने गौ कैबिनेट की पहली बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कई अहम घोषणाएं की। शिवराज ने गाय आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और आगर मालवा क्षेत्र में अनुसंधान केंद्र खोलने का ऐलान भी किया।
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गायों की रक्षा के लिए मंत्री परिषद समिति का गठन होगा
इस समिति पशुओं से संबंधित विभागों के मंत्री और प्रमुख सचिव इस समिति का हिस्सा होंगे। जो गायों के संरक्षण व संवर्धन का काम को देखेंगे और यह सिर्फ पशुपालन विभाग द्वारा नहीं किया जा सकता। प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोधन का इस्तेमाल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने सालरिया में गौ माता के संबंध में एक रिसर्च सेंटर बनाने के निर्देश नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय के कुलपति को दिया। इसके साथ ही गायों को गोबर और गोमूत्र का बेहतर उपयोग कैसे हो इस पर भी अधिकारियों से सुझाव लेकर काम शुरू किया जाएगा।
गौ उत्थान के नाम पर कर वसूलने का फैसले पर कई सवाल
जहां कोरोना महामारी के वजह से लाखों लोगों की नौकरियां चली गई है। व्यापार ठप हो गए है और लोगों को दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पा रही है ऐसी स्थिति ने सरकार द्वारा गौ उत्थान के नाम पर सेस लगाने का एलान बेतुका हैं। भारतीय संस्कृति ने गाय के महत्व किसी से छिपा नहीं है लेकिन इस नाम पर लोगो से कर वसूलने का फैसला लोगो की मुश्किलें बढ़ाने वाला है।
इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए अंडे के बजाय दूध देने की वकालत की तथा समाज की भलाई के लिए गोबर और गौमूत्र के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्णय लेने की बात भी कही थी जिस पर काफी बवाल हुआ था।
जहां दूसरे राज्य रिसर्च का काम विकास और दूसरे जरूरी काम के लिए कर रहे है वहीं मध्यप्रदेश में अपने वोट बैंक और हिंदुत्व छवि बरकरार रखने के लिए सरकार लगातार गैरजरूरी फैसले ले रही है।