किसानों के धरने से दिल्ली कूच मेट्रो एवं ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित, कई लोग गिरफ्तार
दिल्ली कूच मेट्रो एवं ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित
केंद्र सरकार के दो नए किसान बिल के खिलाफ किसान संगठनों का देशव्यापी दिल्ली चलो मार्च के तहत पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों और संगठन के नेता दिल्ली पहुंच रहे हैं। किसानों को जमा होने से रोकने के लिए बीजेपी शासित हरियाणा में कई जगहों पर धारा-144 लगा दी गई है।
दिल्ली मार्च के लिए निकले किसानों का संगठन
किसान अपने साथ खाने का सामान भी लेकर निकले हैं। किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए पंजाब, हरियाणा में किसान नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध करते हुए पंजाब और हरियाणा के किसान आज से दिल्ली में महाधरना देने जा रहे हैं।
किसानों की मंशा है कि वे या तो ट्रैक्टर में रात गुजारेंगे या फिर नेशनल हाईवे के किनारे बनें कैंपों में ठहरेंगे। ऐसे में दिल्ली सीमा पर पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है। इसके साथ ही फरीदाबाद और पलवल में भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।
कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए देशभर के लगभग 400 किसान संगठन देश की राजधानी नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। किसान 26 और 27 नवंबर को दिल्ली का घेराव करेंगे। आंदोलन को रोकने के लिए किसान नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई है। हरियाणा सरकार ने बॉर्डर सील कर दिया है।
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सरकार ने अपील की है कि दो दिन तक दिल्ली बॉर्डर की तरफ जाने से बचें
पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए हरियाणा सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार ने पंजाब और दिल्ली से लगती राज्य की सीमा पर पुलिस की सख्ती बढ़ा दी गई है।
पंजाब के किसान हरियाणा बॉर्डर पर पहुंचे हैं। इस बीच कोरोना को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा है कि प्रदेश में इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है। अगर किसान नहीं मानें तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब सरकार को स्थिति संभालने का रास्ते नहीं सूझ रहा है तो वह किसान और किसान नेताओं को गिरफ्तार कर रही है।
पुलिस और सरकार की सख्ती के बावजूद डटे हुए है किसान
किसानों का कहना है कि जहां सरकार ज्यादती करेगी वहीं धरना देकर बैठ जाएंगे। काले कानूनों के खिलाफ चाहे कुछ करना पड़े किसान पीछे नही हटेंगे।
ज्ञात हो कि कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को लेकर दबाव बनाने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSS) राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न धड़ों ने एक संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया है।
प्रदर्शन को 500 से ज्यादा किसान संगठनों का समर्थन मिला है । मोर्चा के संचालन में समन्वय बनाने के लिए सात सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है।
सरकार और पुलिस लगातार कोरोना महामारी के और फैलने का हवाला देते हुए इस आंदोलन को रद्द करने की अपील कर रही थी पर इसका भी कुछ असर नहीं हुआ। अब देखना है कि आगे क्या हालत बनते है और किसान सरकार को अपने मांगों को मनवाने में कामयाब होती है या नहीं।