केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसान, मजदूर, बैंक कर्मी समेत कई संगठन का देशव्यापी हड़ताल
10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों समेत राज्यों के सरकारी महकमे हड़ताल पर
संविधान दिवस यानी 26 नवंबर को जहां हम औपचारिक रूप से संविधान के अपनाने की खुशियां मनाते है। आज उसी दिन को देश के कई बड़े संगठनों ने अपनी मांगे और नाराजगी सरकार के सामने रखने के लिए चुना हैं। देश के 10 कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल करने की तैयारी कर चुके है। इससे कई सरकारी महकमों में कामकाज पूरी तरह ठप रहने की सम्भावना है।
इस हड़ताल में मुख्य रूप से बैंक, रोडवेज, रेलवे, बीएसएनएल, जीवन बीमा निगम, डाक, पेयजल, बिजली विभाग के कर्मचारियों समेत आशा वर्कर्स, आँगनबाड़ी वर्कर्स, मिड-डे मील और औद्योगिक क्षेत्रों के संगठन भी शामिल रहेंगे।
इसके अलावा भी केंद्र सरकार की मजदूर और श्रमिक विरोधी नीतियों और किसान विरोधी पारित कानून के खिलाफ भी कई किसान संगठन इस हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं। और किसानों ने आज के दिन ही मार्च निकालने का एलान कर दिया है।
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BSNL का सरकार पर 4G सेवाओं में रोड़े अटकाने एवं जबरन वीआरएस के खिलाफ है हड़ताल
सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता बीएसएनएल के 8 कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर कंपनी की 4जी सेवाओं की राह में रोड़े अटकाने सहित कई आरोप लगाते हुए 26 नवंबर को आम हड़ताल का आह्वान किया है।
संगठनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की सात सूत्रीय मांगों तथा अपनी 10 सूत्रीय मांगों को पूरा करवाना चाहती है। 4जी सेवा के मुद्दे के अलावा संगठन चाहते हैं कि सरकार संविदा कर्मचारियों की छंटनी बंद करें 1 जनवरी 2017 से तीसरे वेतन संशोधन के मुद्दे और पेंशन संशोधन का निपटारा करें।
किसान बिल के खिलाफ बीकेयू का दिल्ली मार्च का आह्वान, खट्टर के अपील का भी कोई असर नहीं
केंद्र सरकार की ओर से लाये गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दो बिल जो संसद से पास हो चुके हैं उनमें से एक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और दूसरा कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक 2020 है। जिसका विरोध किसान कर रहे है।
मजदूर-कर्मचारियों के लिए बनाये गए नए श्रम कानूनों को लेकर, ट्रेड यूनियन के अधिकारों को खत्म किये जाने, कर्मचारियों के लिए नयी पेंशन को लागू न करने, किसानों के लिए बनाये गए तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं।
केंद्र सरकार की श्रम-विरोधी नीतियों के खिलाफ बैंक संगठनों का हड़ताल,बंद रहेंगी 21 हजार शाखाएं
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) ने भी शामिल होने का ऐलान किया है। एआईबीए ने कहा कि हालिया सत्र के दौरान लोकसभा में कारोबारी सुगमता के नाम पर 27 मौजूदा श्रम कानूनों की जगह लेने वाला नया श्रम कानून पारित किया गया है।
जो पूरी तरह कॉरपोरेट के हित में है। इस प्रक्रिया में 75 फीसदी कर्मचारियों से नए प्रावधान के तहत कानूनी संरक्षण छीनकर उन्हें श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है। सभी संगठनों की अपनी अपनी मांगे और नाराजगी है। अब देखना है कि कोरोना महामारी के बीच सरकार इस मुश्किल को कैसे संभालती है।