आज भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 136 वीं जयंती
राजेंद्र प्रसाद को राजेन्द्र बाबू या देशरत्न भी कहा जाता है
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से करने के बाद केवल 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा को प्रथम स्थान से पास किया था। और इसके बाद उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में इंट्री लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट उपाधि ली। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेता होने के साथ भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना संपूर्ण योगदान दिया था।
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सादा जीवन और उच्च विचार के राजेंद्र ने मातृभूमि की सेवा में स्वयं को अर्पण किया
डॉ. राजेंद्र प्रसाद अत्यंत ही दयालु,विनम्र और निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद सादा जीवन,उच्च विचार को मानने वाले व्यक्ति में थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। आज उनकी जयंती के अवसर पर उन्हें याद करने के साथ ही हम आपको बता दें कि राजेंद्र प्रसाद को दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने व्यक्तिगत भावी उन्नति की सभी संभावनाओं को त्यागकर गांवों में गरीबों एवं दीन किसानों के बीच कार्य करने को स्वीकार किया था। उन्होंने हमेशा अपनी आत्मा की आवाज़ सुनी और आधी शताब्दी तक अपनी मातृभूमि की सेवा में स्वयं को अर्पण किया।
उनको 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्ट्रपति के रुप में चुना गया था। 12 वर्ष तक पद पर बने रहने के बाद वर्ष 1962 में वे राष्ट्रपति के पद से हटे थे। उन्होंने कई सामाजिक कार्य करने के साथ ही कई सरकारी दफ्तरों की स्थापना को भी किया। वे राष्ट्रपिता गांधी से बेहद रूप से प्रभावित थे। ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के ‘नमक सत्याग्रह’ एवं 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान राजेंद्र प्रसाद को जेल में डाला भी था। और वर्ष 1962 में राष्ट्रपति पद से हटने के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा था।
अपनी आत्मकथा के अतिरिक्त कई पुस्तकें भी लिखी
राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी आत्मकथा के अतिरिक्त कई पुस्तकें भी लिखी जैसे बापू के कदमों में बाबू , इण्डिया डिवाइडेड, गान्धीजी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।