महाराष्ट्र सरकार ने ‘शक्ति बिल’ पर चर्चा की बात मानी, बिल कमेटी को भेजा जायेगा
महाराष्ट्र सरकार ने ‘शक्ति बिल’ पर चर्चा की बात मान ली
महाराष्ट्र में अब महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले आरोपियों को कड़ी सजा देने के लिए राज्य सरकार ने शक्ति बिल नामक विधयेक विधानसभा में पेश किया था। इस बिल में बदलाव और चर्चा के लिए कई महिला संगठनों और विपक्ष के अनुरोध के बाद इसे सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग सरकार ने मांग ली है। इसकी जानकारी उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दी।
विपक्ष और कई संगठनों ने विधेयक पर चर्चा के लिए समय मांगा
बता दे की 30 से अधिक महिला समूहों और 70 कार्यकर्ताओं और वकीलों ने इसके खिलाफ सरकार को पत्र लिखा था। उनका कहना था कि नए बिल में बलात्कार की परिभाषा को अभियुक्त से बचने के लिए सहमति याचिका का उपयोग करने का अधिक से अधिक मौका देकर बलात्कार की उपेक्षा की गई है। और पहले से लागू राज्य में इस कानून के तहत उन लोगों को कारावास के साथ दंडित किया जिन्होंने एक झूठा मामला दर्ज किया था।
महिला समूहों ने कहा कि नया कानून महिलाओं को केस दर्ज करने से हतोत्साहित करेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि समय पर जांच बलात्कार के मामलों में मौत की सजा की तुलना में अधिक मजबूत थी। इसलिए इसपर चर्चा की जरूरत है।
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बिल ज्वाइंट सलेक्शन कमेटी को भेजने का विपक्ष ने स्वागत किया
सरकार के मांग मान लेने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता फडणवीस ने कहा कि शक्ति विधेयक को ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी को भेजने की उनकी मांग को महाराष्ट्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है इस पर विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए।
आंध्र प्रदेश के ‘दिशा’ अधिनियम की तर्ज पर शक्ति बिल
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने विधानमंडल के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन महाराष्ट्र शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक 2020 और महाराष्ट्र विशिष्ट विशेष अदालत (शक्ति कानून के तहत महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अपराधों के वास्ते) विधेयक पेश किये थे।
पहले विधेयक में सख्त सजा के लिए आईपीसी,आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं में संशोधन का प्रावधान है जबकि दूसरा इस कानून के तहत सुनवाई के लिए राज्य के हर जिले में कम से कम एक विशेष अदालत की स्थापना के लिए है।
21 दिन में कार्यवाही और 15 दिन में सुनवाई के साथ ही मौत की सजा का प्रावधान
इस बिल के तहत बलात्कार, तेजाब हमले एवं सोशल मीडिया पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री डालने जैसे अपराधों के लिए मृत्यु दंड एवं 10 लाख रुपये तक के जुर्माने समेत कठोर सजा के प्रावधान कइस कानून के लागू होने के बाद महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वाले आरोपियों के खिलाफ 21 दिनों में कार्रवाई पूरी होगी। इसकी जांच 15 दिन में पूरा करने का नियम है। इसके साथ ही इसमें फांसी का भी प्रावधान रखा गया है। विधानमंडलों के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून राज्य में लागू हो जाएगा।