बिहार सृजन घोटाला में एक और एफ़आईआर दर्ज हुई, 100 करोड़ रकम गायब
बिहार के बड़े घोटाला में से एक सृजन घोटाला
बिहार के सबसे बड़े घोटाला में से एक सृजन घोटाला अभी भी सुर्खियों में बना हुआ है। खबर है कि भागलपुर में सृजन घोटाले के मामले में एक और एफ़आईआर दर्ज हुई है। एफ़आईआर में सरकार के द्वारा आ रही फंड को गैर कानूनी तरीके से सृजन के बैंक खाते में जोड़ने की बात सामने आई है। यह पैसा हर साल अवैध तरीके से सृजन के बैंक खाते में डाला गया और कुल मिलाकर खाते में हजारों करोड़ रुपए जमा हो गए।
सृजन घोटाले का गढ़ भागलपुर में एक और एफ़आईआर दर्ज़
फिलहाल खबर आ रही है कि भागलपुर में इस मामले में एक और एफ़आईआर दर्ज हुई है। बीते बुधवार की रात भागलपुर के वेलफेयर ऑफिसर श्याम प्रसाद यादव एनजीओ के उस वक्त के बैंक मैनेजर पर 100 करोड़ का घपला करने का आरोप लगाया है। इन बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक एवं अन्य कई बैंकों के नाम सामने आ रहे हैं।
एससी एसटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के खाते से गायब हुए पैसे
पुलिस का कहना है कि फिलहाल 100 करोड़ जो गायब हुए हैं वह एससी एसटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के खाते में रखे गए थे। श्याम प्रसाद यादव ने कोतवाली थाना में इस संदर्भ में एफ़आईआर दर्ज करवाया है। उन्होंने आवेदन पत्र द्वारा कोतवाली थाना में सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। जिला कल्याण अधिकारी ने इस मामले में एनजीओ में काम कर रहे कई नाम पुलिस को दिए हैं जिन पर इस घोटाले में सम्मिलित होने का आरोप लगा है।
अभी तक सृजन घोटाला में 25 एफ़आईआर दर्ज हो चुके
बीते बुधवार को मामला दर्ज होने के साथ ही इस घोटाले में दर्ज होने वाली एफ़आईआर की संख्या 25 तक पहुंच गई। फिलहाल गायब होने वाले पैसे एससी एसटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के बताए जा रहे हैं। 2007 से 2017 के बीच गैर कानूनी तरीके से यह पैसे सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में डाले गए। जिले की कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने इस मामले में डीएम को एफ़आईआर दर्ज करने का आर्डर दिया। फिलहाल खबर आ रही है हाल ही में दर्ज हुई एफ़आईआर जल्द ही सीबीआई के विशेष अदालत को सौंपी जाएगी।
इस घोटाले को बेहद शातिर तरीके से कई वर्षों से चलाया जा रहा
सृजन घोटाले के उजागर होते ही पूरे बिहार में हड़कंप मच गया था। 2007 से 2017 के बीच अरबों रुपए का घोटाला हो गया जिसकी भनक सरकार को नहीं लगी। गैर कानूनी ढंग से बेहद शातिर तरीके से घोटाले बाजों ने सरकारी पैसों को सृजन के बैंक खाते में जोड़ा और बैठे-बैठे करोड़पति बन गए। मामले की जांच हुई तो पता चला कि यह घोटाला 2007 से 2017 का नहीं बल्कि 2008 से 2014 के बीच रचा गया था।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में सीबीआई जांच के निर्देश दे दिए जिसके बाद फिलहाल मामला सीबीआई की विशेष अदालत देख रही है।