धर्म परिवर्तन कराने वाली कमली सोरेन को पद्मश्री मिलने पर विवाद
कमली सोरेन पर विवाद
मालदा की कमली सोरेन जिन्हें लोग ‘गुरु मां’ के नाम से जानते हैं। उन्हें इस गणतंत्र दिवस केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। लेकिन अब इस पर विवाद खड़ा हो चुका है। कई आदिवासियों ने उनके पद्मश्री से सम्मानित किए जाने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि उन्हें पद्मश्री दिए जाने के पीछे धार्मिक कारण छुपे हैं।
दरअसल कमली कई आदिवासियों और मुसलमानों का धर्म परिवर्तन करवा चूंकि हैं। वह आरएसएस की भी एक सक्रिय सदस्य है। उन पर यह आरोप है कि वे लोगों की लाचारी का फायदा उठाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाती हैं और इसी धार्मिक कारण की वजह से उन्हें पद्मश्री दिया गया।
कमली सोरेन धर्म परिवर्तन कराने को लेकर है प्रसिद्ध
कमली सोरेन मालदा से हैं और उनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है। उन्हें लोग ‘गुरु मां’ के नाम से जानते हैं। इस गणतंत्र दिवस उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया। केंद्र सरकार का कहना है कि उनके ‘समाज सेवा’ को देखते हुए उन्होंने पद्म श्री से सम्मानित किया है लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो उनके पद्मश्री पुरस्कार को सांप्रदायिक योग से देख रहे हैं।
कमली सोरेन का शुरुआत से लक्ष्य रहा है कि वह हिंदू धर्म का महत्व लोगों के बीच फैलाएं। वे धर्म से संबंधित उपदेश देती हैं। उनका मुख्य कार्य है लोगों का धर्म परिवर्तन करवाना। उन्होंने कई आदिवासी लोगों को ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तित किया है। इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों के भी धर्म परिवर्तन का काम किया है। कमली सोरेन को लेकर स्थानीय लोग दो धड़ो में बंटे हुए हैं। ]
कुछ लोग जहां उन्हें गुरु मानते हैं वहीं कुछ लोगों का आरोप है कि वह लाचार लोगों को मजबूर करके उनका धर्म परिवर्तन करवाती हैं।
कमली सोरेन आरएसएस की एक सक्रिय सदस्य
कमली सोरेन ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ जो कि एक आदिवासी संगठन है व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक सक्रिय सदस्य हैं। विभिन्न राज्यों में वनवासी कल्याण आश्रम की गतिविधियों को आरएसएस के दिल्ली कार्यालय से संचालित किया जाता है।
अब इसी को लेकर अटकलें तेज हो गई है लोगों का कहना है कि संघ की सिफारिश पर कमली सोरेन को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसे लेकर उत्तर बंगाल में एसोसिएशन के एक अधिकारी तरुण पंडित आनंद बाजार का कहना है कि, “कमली लंबे समय से आदिवासी लोगों को धर्म परिवर्तित करवाने का काम कर रही है। शायद इसीलिए ही उन्हें पद्मश्री के लिए चुना गया।”
लोगों द्वारा पूछे जाने पर स्वयं कमली भी यह कहती है कि मैं उन आदिवासियों को हिंदू धर्म में वापस लाती हूं जो ईसाई और मुसलमान बन जाते हैं। वे उदाहरण देते हुए बताती है कि दौलतपुर में एक लड़की की शादी मुस्लिम परिवार में हुई थी जिसके बाद उन्होंने उस लड़की को वापस हिंदू धर्म में लाया था और उसकी शादी एक हिंदू से करवा दी थी।
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उन पर लाचार परिवारों को पैसे देकर धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप
कमली पर यह आरोप है कि उन्होंने गरीब और लाचार परिवारों को 10,000 से 12000 रुपयों का भुगतान करके उनका धर्म परिवर्तन करवाया है। इसके अलावा 2020 में ग़ज़ल से 8 मील दूर एक गांव में सामूहिक विवाह का आयोजन करवाया गया।
इसमें कमली ने आदिवासी लड़कियों को इसाई धर्म से परिवर्तित करके हिंदू धर्म में लाया। स्थानीय लोगों का दावा है कि कमली ने उन पर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की थी। जिसके बाद पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की थी। ममता बनर्जी ने कहा था कि, “भाजपा वोट बैंक के लिए आदिवासी लोगों के धर्मों के साथ खेल रही है तथा मालदा में जबरन शादी करवाकर धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रही हैं।
भले ही वे गरीब हो लेकिन उनमें मानवता की भावना है। स्वदेशी लोगों का अपनी बेटी की शादी को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं। राज्य सरकार सामूहिक विवाह का आयोजन करेगी जिससे उन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध अपना धर्म नहीं बदलना पड़ेगा।” बाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की देखरेख में एक सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था।