आरटीई के तहत पटना के 58 स्कूल में सिर्फ 482 बच्चों का नामांकन
पटना के 58 स्कूल में सिर्फ 482 बच्चों का नामांकन
कोरोना महामारी के वजह से पिछले साल मार्च में बंद हुए स्कूल का असर इस वर्ष के नामांकन पर भी साफ देखने को मिला है। स्कूल बंद पड़ने के वजह से 2019-20 के सत्र में 25 प्रतिशत कोटे के तहत सिर्फ जिले में बच्चों का आंकड़ा 500 भी नहीं पहुंच पाया। पटना जिले के अलग अलग स्कूलों कि बात करे तो हर एक में सिर्फ एक या दो बच्चों का नामांकन लिया गया है।
संक्रमण का बहाना बना स्कूलों ने गरीब बच्चों का नहीं लिया नामांकन
अगर पिछले सत्र यानी 2018-19 की बात करे तो पटना जिले के 725 स्कूलों ने 2525 बच्चो का नामांकन लिया गया था। लेकिन इस बार स्कूल बंद होने की बात बोल कर स्कूल अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गए। मालूम हो कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई ) के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखा जाता है।
इस बार जिन स्कूलों ने नामांकन हुए भी वह छोटे स्कूल थे। इस रिपोर्ट में दूसरी खास बात यह है कि इस बार स्कूलों कि संख्या ही कम नहीं हुई। बल्कि इस बार नामांकन लेने वाले स्कूलों में एक भी बड़ा स्कूल शामिल नहीं हुआ है। सभी 58 स्कूल छोटे स्तर के स्कूल है।
पटना शहर के एक भी स्कूल ने नहीं लिया नामांकन
जिला शिक्षा कार्यालय की मानें तो इस बार बड़े स्तर के स्कूल ने आरटीई के तहत एक भी नामांकन नहीं लिया है। इस बारे में डीपीओ मनोज कुमार ने बताया कि, जिन स्कूलों ने 25 फीसदी नामांकन की जानकारी दी है वह सभी छोटे स्तर के है और उनमें शहर का एक भी स्कूल नहीं है।
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बच्चों को चिन्हित कर नामांकन लेने का दिया गया था आदेश
जानकारी के मुताबिक पटना के डीईओ कार्यालय ने आदेश दिया था कि निजी स्कूल अपने स्कूल के क्षेत्र के आसपास के गरीब बच्चों को चिन्हित कर उनका नामांकन के ताकि सभी को उनके घर के पास स्कूल में नामांकन मिल सके लेकिन स्कूल बंद होने से किसी को चिन्हित नहीं किसी जा सका और इसी को आधार बना कर स्कूल अपनी जिम्मेदारियों से बच गए।