बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध
बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंककर्मियों के दो दिवसीय हड़ताल का आज दूसरा दिन है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक निजीकरण के फैसले का विरोध हो रहा है। ट्विटर से लेकर फेसबुक तक लाखों की संख्या में लोग इसके विरोध में पोस्ट कर रहे हैं।
After the farmers , Students, youth, PSU & government bank employees have decided to go on a strike. It's against the mergers of banks, Privatization, Lack of Jobs .#BankSurgicalStrike#BankStrike pic.twitter.com/FbGXiiSjJP
— Jagjit Singh Kurangawali (@Jagjit_INC) March 16, 2021
क्या है मामला
नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार एक के बाद एक बैंकों का निजीकरण कर रही है। बीते चार सालों में कुल 14 बैंकों का निजीकरण हो चुका है। आईडीबीआई के अलावा सरकार अब दो और बड़े बैंकों का निजीकरण करने जा रही है।
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इससे आक्रोशित बैंककर्मी दो दिनों की हड़ताल पर हैं। बैंककर्मियों का कहना है कि सरकार बैंकों को बेचने पर तुली है और हम उसे बचाने में लगे हैं। बैंककर्मियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार निजीकरण के इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।
चाई बेचो ✅
बैंक नहीं ❌#BankStrike
#BankSurgicalStrike #StopPrivatization #StrikeToSaveIndia pic.twitter.com/Xzjt4ly53F— 𝐓𝐇𝐄_𝐅𝐈𝐓_𝐁𝐀𝐍𝐊𝐄𝐑 (@iTHEFITBANKER) March 16, 2021
सोशल मीडिया पर भी दिखा विरोध
निजीकरण के इस फैसले ने सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा रखा है। लगातार एक के बाद एक निजीकरण के विरोध में नागरिक पोस्ट कर रहे हैं, ट्वीट कर रहे हैं. ट्विटर पर आक्रोशित बैंककर्मियों की नारेबाजी करते हुए वीडियो वायरल हो रहे है।
जब इश्क और क्रांति का अंजाम एक ही हो
तो रांझा बनने से बेहतर है भगत सिंह बन जाओइंकलाब जिंदाबाद
✊✊✊#BankSurgicalStrike pic.twitter.com/v13fCtyMz3— Gaurav Singh 🇮🇳 (@GauravSproud) March 16, 2021
क्या है बैंकों के राष्ट्रीयकरण का इतिहास?
19 जुलाई 1969 को भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण की घोषणा की थी। 19 जुलाई 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था. इसके दूसरे चरण में वर्ष 1980 में 7 अन्य बैंकों को भी राष्ट्रीयकृत किया गया। देश में सबसे पहला राष्ट्रीयकृत बैंक भारतीय स्टेट बैंक था जिसका राष्ट्रीयकरण वर्ष 1955 में किया गया था।
कॉरपोरेट के दलाल,
जुमलेबाज की सरकार
झूठ पर झूठ बोलती है।#SpeakUpOnStrike #IndiaNeedPSBs #BankSurgicalStrike pic.twitter.com/lZXLIutul2— Birjendra Shavitri kanojiya (@TheBiraj252) March 16, 2021
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बैनर्जी का कहना है कि बैंकों के निजीकरण का देश की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव दिखेगा। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। ग्रामीण बैंकों पर इसका खासा असर देखने को मिलेगा, ज्यादातर ग्रामीण बैंक बंद हो जाएंगे। सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक नहीं पहुंच पाएगा।