याचिका के अनुसार अक्टूबर 2019 में उस समलैंगिक महिला (23) की शादी एक पुरुष से जबरन करवाई गई थी जबकि महिला के माता-पिता को उसकी लैंगिक प्रवृत्तियों के बारे में सब कुछ पता था। याचिका में कहा गया कि महिला की शादी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ हुई थी और उसे उसका सेक्स ओरिएंटेशन ठीक करने की धमकियां भी दी गईं थीं।

महिला ने काफ़ी बार अपने रिश्ते को तोड़ने की चेष्टा भी की थी। कारण याचिकाकर्ता एक समलैंगिक महिला है महिला ने कहा कि उसने विवाह के तुरन्त बाद ही अपने पति को अपनी समलैंगिक पहचान के बारे में जानकारी भी दे दी थी।
समलैंगिक महिला को पुरूष के साथ रहने को किया मजबूर
समाज में बदनामी और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की बात कहकर समलैंगिक महिला के माता-पिता ने उसे पति के साथ रहने के लिए मजबूर किया। जिस कारण से महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से आघात झेलना पड़ा। महिला 7 मार्च, 2021 को अपने ससुराल से भाग नई दिल्ली में स्थित एएनएचएडी नामक एक गैर सरकारी संगठन पहुंची थी। जहां से महिला को एक अन्य एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे एक सुरक्षित घर में अस्थायी आश्रय प्रदान किया गया। मगर महिला के परिवार सदस्य वहां आश्रय गृह में पहुंच कर याचिकाकर्ता को उन्हें सौंपने के लिए कहने लगे थे।
समलैंगिक महिला की उसकी इच्छा के विरुद्ध पुरुष से जबरन विवाह करवाने के खिलाफ दायर याचिका पर की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बुधवार को दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि स्वयं को समलैंगिक बताने वाली महिला को सुरक्षा प्रदान की जाए। जिसे वैवाहिक जीवन में रहने को बाध्य और यौन प्रवृत्ति से मुक्त कराने की धमकियां दिए गए हैं।
समलैंगिक महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ़ पति या माता-पिता के घर रहने को नहीं कर सकते मजबूर- दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने बुधवार को कहा कि यदि महिला चाहती हैं किसी दूसरे स्थान पर जाकर रहना तो उसे इसकी स्वतंत्रता है। साथ ही न्यायमूर्ति ने विशेष रूप से दिल्ली पुलिस से महिला को नए स्थान पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक क़दम उठाने को कहा है।
पीठ ने समलैंगिक महिला के एक व्यक्ति से उसके इच्छा के विरुद्ध शादी करने पर महिला की याचिका पर नोटिस जारी किया है। अदालत ने मामले पर एक प्रगतिशील रुख अपनाते हुए महिला और उसके पति के साथ बातचीत किया और निर्देश दिया कि विवाह के विघटन के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जा सकते हैं।
अदालत ने मामले पर कहा कि एक समलैंगिक महिला को उसकी मर्जी के विरुद्ध शादी या माता-पिता के परिवार के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता महिला की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि महिला के परिजनों ने ना केवल जबरदस्ती उसका विवाह कराया बल्कि उसे पति के साथ वैवाहिक संबंधों में रहने के लिए भी विवश किया था। इतना ही नहीं महिला को उसकी यौन इच्छा और रुचि को बदलने के लिए उपाय अपनाने की भी धमिकियाँ दी गई थी।