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बीपीएससी के बदले नियम से छात्रों ने कहा- सरकार हमारे जीवन से खेल रही है

बिहार लोक सेवा आयोग 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गयी है. गुरुवार को बीपीएससी के नए अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने बताया कि परीक्षा 20 और 22 सितम्बर को आयोजित की जायेगी. वहीं इस बार परीक्षा में दो और नए बदलाव भी किये गये हैं. इसबार पीटी परीक्षा दो दिनों तक लिया जाएगा, और रिजल्ट परसेंटाइल पद्धति के द्वारा तैयार किया जायेगा. आयोग का कहना है कि इससे परीक्षा में पारदर्शिता आएगी. लेकिन बीपीएससी अभ्यर्थियों के अंदर इसको लेकर काफ़ी रोष है. अभ्यर्थियों ने अभी से ही इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. ट्विटर पर लगातार इसको लेकर ट्वीट किया जा रहा है.

छात्र-छात्राओं ने तय किया है कि दो दिन परीक्षा और परसेंटाइल पद्धति का विरोध किया जाएगा. वहीं अभ्यर्थियों का कहना है कि वो 22 अगस्त को इसको लेकर ट्वीटर पर #BPSC_PT_IN_ONE_SHIFT अभियान भी चलाएंगे.

आयोग कर रहा है कई दावे

परीक्षा पैटर्न और रिजल्ट प्रक्रिया के साथ ही आयोग इस बार प्रश्न-पत्रों को जीपीएस लगे स्टील के डब्बों में भेजेगा. यदि इन डब्बों के साथ कोई छेड़-छाड़ की जाएगी तो आयोग को इसकी जानकारी मिल जाएगी. साथ ही अभ्यर्थियों को परीक्षा कक्ष में एक घंटे पहले बैठा दिया जाएगा और परीक्षा समाप्त होने के 15 मिनट बाद निकलने दिया जाएगा. सील प्रश्नपत्र को अभ्यर्थियों के समक्ष खोला जाएगा और उनके सामने ही वापस सील किया जाएगा. आयोग मूल्यांकन के बाद पीटी और मेन्स की कॉपियां भी वेबसाइट पर डालेगा जिससे परीक्षा में पारदर्शिता आएगी. इस बार अभ्यर्थियों को पीटी की परीक्षा के बाद ऑप्शनल पेपर में बदलाव करने का मौका भी दिया जाएगा. साथ ही बायोमेट्रिक प्रक्रिया द्वारा उपस्थिति दर्ज किया जायेगा.

बीपीएससी परीक्षा में किये गये बदलाव से छात्रो में आक्रोश और दुविधा में है. पर्सेंटाइल और दो पाली में परीक्षा के आयोजन को लेकर हमारी टीम ने गुरु रहमान से बात कि तो उनका कहना है

सरकार द्वारा परीक्षा में धांधली रोकने के लिए उठाए गये कदम सराहनीय हैं. लेकिन पर्सेंटाइल और दो पाली में परीक्षा का आयोजन छात्रों के मन में संदेह पैदा करेगा. क्योंकि अन्य जिन भी परीक्षाओं में दो या तीन पालियों में परीक्षा होती है उसमे छात्रों को अक्सर शिकायत रहती है कि उस पाली में आसान प्रश्न थे और हमारे में कठिन. और दूसरी बात पूरे भारत में कहीं भी कमिशन की परीक्षा दो पाली में नहीं होती है. आयोग अपनी गलती का ठीकरा बच्चों के सर फोड़ने का काम कर रहा है.

वहीं छात्रों ने चेयरमैन के नाम एक खुला पत्र लिखा है जिसमे परीक्षा दो पालियों में होने से होने वाली परेशानी का जिक्र किया गया है. साथ ही कहा गया है कि दो पाली में परीक्षा होने से परीक्षा में पारदर्शिता नहीं रहेगी. वहीं पत्र में यूपीएससी मेंस परीक्षा का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि बिहार के छात्रों का यूपीएससी कि परीक्षा में दबदबा रहता है. कितने बिहारी छात्र यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली में रहते हैं. लेकिन यूपीएससी मेंस और बीपीएससी पीटी की परीक्षा एक ही हफ़्ते के अंदर होने के कारण कई छात्रों को दोनों में से किसी एक परीक्षा को चुनना होगा.

ट्विटर पर लगातार छात्रों द्वारा इस पत्र को शेयर किया जा रहा है. छात्रों की मांग है कि परीक्षा को एक पाली में लिया जाए और परसेंटाइल सिस्टम से रिजल्ट नहीं जारी किया जाए, क्योंकि इसके बाद छात्र वापस कोर्ट जायेंगे और वापस छात्रों का भविष्य पांच सालों के लिए लटक जाएगा. 

गया के चैनपुर के रहने वाले नवनीत कुमार के पिता मनोज कुमार का कहना है कि

बीपीएससी की तैयारी करने के लिए मेरे बेटे ने अमेज़न में अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उसे बिहार प्रशासनिक सेवा में शामिल होकर बिहार और बिहार के लोगों के लिए काम करना था. पिछले 8 मई को परीक्षा देने के लिए वो रांची से बिहार आया था. परीक्षा भी अच्छी गयी थी. लेकिन अधिकारीयों के लापरवाही और मिली-भगत के कारण उस परीक्षा में धांधली हो गया. उसके मेहनत और समय दोनों का नुकसान हुआ. अब वापस पैटर्न में अचानक बदलाव से बच्चों के दिमाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. सरकार युवा को प्रशासन में शामिल करने के बजाए उनपर मानसिक दबाव डालना चाहती है. 

पर्सेंटाइल और दो पाली में परीक्षा लेने के निर्णय को यदि आयोग नहीं बदलता है तो ऐसे में आप छात्रों को क्या सलाह देंगे ? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए गुरु रहमान का कहना है-

मैं छात्रों को हमेशा कहता आया हूँ सफलता शॉर्टकट से नहीं मिलता है. यू-ट्यूब, गेस पेपर या गाइड से पढ़ने की आदत छोड़ें और एनसीईआरटी (NCERT) की किताबों का गहन अध्यन करें. हिंसा और उत्तेजना किसी भी समस्या का हल नहीं है.

वहीं अदम्य अदिति गुरुकल के एक शिक्षक का कहना है कि

आयोग बच्चों के ऊपर एक्स्ट्रा प्रेशर डालने का काम कर रही है. इससे पहले 2017 के 60वीं से 62वीं बीपीएससी परीक्षा में पांच ऑप्शन का प्रयोग भी अचानक ही किया गया था. बच्चे अभी उस चीज से अभ्यस्त हुए ही थे कि अचानक से ये पर्सेंटाइल पद्धति का प्रयोग लाया जा रहा है. जबकि अन्य राज्यों कि प्रशासनिक परीक्षाओं में यह नहीं है.

इससे पहले 8 मई को हुई  प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. विभिन्‍न सोशल साइट्स जैसे टेलीग्राम व वॉट्सऐप ग्रुप्‍स पर प्रश्न पत्र परीक्षा से कुछ मिनट पहले वायरल हो गए थे. परीक्षा खत्म होने के बाद वायरल प्रश्न पत्र मूल प्रश्न पत्र से मैच कर गया. जिसके बाद सैकड़ों परीक्षार्थियों ने पेपर लीक के आरोप में हंगामा कर दिया था. राज्य सरकार ने ईओयू को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी दी थी.

आगे निर्णय कुछ भी आये दोषी कोई सिद्ध हो लेकिन यहां साफ़ तौर पर छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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