मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने अलग अलग बैच के 40 छात्रों के रिजल्ट को रोक दिया है. इन छात्रों का अपराध सिर्फ इतना है कि उन्होंने मेस में फीस कि वृद्धि का विरोध किया . यूनिवर्सिटी ने 18 अगस्त को ज़ारी नोटिस में 16 छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया और उनके ऊपर एक हजार से पांच हजार तक का जुर्माना भी लगाया. साथ ही इन छात्रों को नये सत्र में यूनिवर्सिटी में नामांकन लेने और छात्र संघ चुनाव में भाग लेने पर भी तीन साल तक रोक लगा दिया है.
मेस के फीस में अचानक 700 रूपए कि वृद्धि होने के बाद छात्रों के समूह ने 6 और 7 जून को यूनिवर्सिटी के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और यूनिवर्सिटी के गेट को बंद कर दिया था. जिसके बाद इससे गुस्साए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के ख़िलाफ़ ये कदम उठाया है.
यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर एम ए अज़ीम का कहना है कि मेस में फ़ीस वृद्धि का विरोध करना छात्रों का अधिकार है. लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय के काम में बाधा डालना गलत है. शैक्षणिक और अन्य कार्यो के स्टाफ को विश्विद्यालय के अंदर आने से रोकना गलत है. विश्विद्यालय का मेस संचालन और यहाँ के नियम-कायदे से कोई लेना देना नही है.”
अजीम आगे कहते हैं कि “आन्दोलन कि जाँच के लिए तीन लोगों कि कमिटी बनाई गयी थी. और इस कमिटी ने जाँच के बाद दोषी पाए गये छात्रों के खिलाफ यह निर्णय लिया है.”
लेकिन मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी छात्र संघ के वाइस प्रेसिडेंट अबूहमज़ा का कहना है कि “अचानक से 700 से 800 रूपए मेस चार्ज बढ़ाना बिलकुल गलत है. यहाँ निम्न आय वर्ग के भी छात्र रहते हैं. उनको घर से महीने में तीन से चार हजार रूपए ही दिए जाते है. ऐसे में आप ही बताइए हैदराबाद जैसे महंगे शहर में छात्र उतने कम पैसे में कैसे फीस देंगे और कैसे अपनी कॉपी किताब खरीदेंगे.”
विश्विद्यालय का कहना है कि विश्विद्यालय का मेस संचालन और वहां के नियम-कायदे से कोई लेना देना नही होता है.
इसपर अबुहमज़ा का कहना है कि “हमारा विश्विद्यालय केन्द्रीय है. और यहाँ के नियम-कानून भी विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा नियुक्त व्यक्ति द्वारा ही बनाया जाता है. विश्विद्यालय केवल अपना पल्ला झार रहा है.”
वहीं छात्र विश्विद्यालय के इस कदम से परेशान है. ज्यादातर छात्र बिहार और उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं. छात्रों का कहना है, हम अपने राज्य और घर से इतनी दूर अपनी पढाई लिखाई पूरी करने आए हैं और आज हमारे साथ विश्विद्यालय प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है.
बिहार के सिवान के रहने वाले अनवर(बदला हुआ नाम) मौलान आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी से एमसीए(मास्टर इन कंप्यूटर अप्लिकेशन) कि पढाई कर रहे हैं. अनवर ईश्वर का धन्यवाद देते हुए कहते हैं “शुक्र है मेरा इस साल कोर्स कम्पलीट हो गया है और प्लेसमेंट भी हो गया है. अब केवल रिजल्ट लेना बाकि है. लेकिन विश्विद्यालय ने मेरा रिजल्ट रोक दिया है. पहले हमे चार से पांच हजार रूपए फाइन भरने के साथ-साथ एक अंडरटेकिंग फॉर्म भरने को कहा गया है. इस फॉर्म में माफ़ी मांगने के अलावा और क्या है हमे अभी इसकी जानकारी नही है. विश्विद्यालय बिना किसी कारण ही छात्रों को सजा दे रहा है.”
विश्विद्यालय का कहना है कि मेस में फीस वृद्धि से उनका कोई लेना देने नही है. इसपर अनवर कहते है इसबात को आप ऐसे समझिये “विश्विद्यालय प्रशासन झूठ बोल रहा है. विश्विद्यालय ही मेस के लिए मेस केयरटेकर, वार्डन और प्रोवोस्ट(जो मेन्यु तैयार करता है) नियुक्त करता है. बस हर महीने हॉस्टल में रहने वाले लड़कों में से एक को मेस सेक्रेटरी बनाया जाता है जिसका काम हर महीने हॉस्टल में कितने का सामान आया है उसको लिखना होता है. हमारे खाने के मेन्यु से एक डिस ‘चिकन 65’ को हटा दिया गया और उसके बाद भी हमे बाईस सौ तईस सौ से सीधे तीन हजार का बिल थमा दिया गया. जिसके बाद हमलोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. जीवीएम( जनरल बॉडी कमिटी) कि मीटिंग के बाद हमलोगों ने विश्विद्यालय गेट के बहार प्रदर्शन किया.”
अनवर आगे कहते हैं “एनआरसी(NRC) प्रदर्शन के समय भी हमलोगों ने विश्विद्यालय गेट के बाहर ही आन्दोलन किया था तब तो विश्वविद्यालय कि ओर से कोई कदम नही उठाया गया था. विश्वविद्यालय ने छात्रों को परीक्षा के समय ही नोटिस भेजवाया और परीक्षा के बीच में ही उन्हें परेशान किया गया. जिससे कितने छात्रों का एग्जाम खराब हो गया.”
बिहार के सिवान के रहने वाले एक छात्र नाम नही बताने कि शर्त पर कहते हैं “हमलोगों के साथ अन्याय हुआ है. पहले मेस चार्ज में वृद्धि और अब ये तीन साल नये नामांकन पर रोक के साथ ही चार से पांच हजार का जुर्माना भी हमे देना होगा. मैं सेमेस्टर कि परीक्षा देकर 18 को अपने घर आया तभी मुझे नोटिस मिला कि मेरे साथ 16 और लड़कों को हॉस्टल से निकल दिया गया है. एक तो परीक्षा के बिच में ही हमे बुलाकर फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने पूछताछ किया जिससे हमलोगों का एग्जाम खराब हुआ. मैं बीटेक(BTech) सेकंड इयर का छात्र हूँ. अभी दो साल मुझे और इसी विश्विद्यालय में रहना है. अब इतने महंगे शहर में रूम लेकर रहना हम जैसे मिडिल क्लास बच्चों के लिए आसान नही है.”
वहीं ऐसे कई और छात्र हैं जो कॉलेज प्रशासन के इस कदम से परेशान हैं और डरे हुए हैं.
अबुहमज़ा कहते है जिन 16 छात्र को हॉस्टल से निकला गया है उनमे स्नाक्तोतर के छात्र भी शामिल है जिन्होंने इसी विश्वविद्यालय में पीएचडी(PhD) कि परीक्षा भी पास कर रखी है, लेकिन विश्विद्यालय द्वारा तीन साल तक नये सेशन में नामांकन पर रोक होने के कारण उनका शैक्षणिक करियर खराब हो रहा है. और जिन छात्रों का रिजल्ट रोका गया है उनमे से कम से कम पांच छात्र अंतिम सेमेस्टर कि परीक्षा पास कर चुके है और प्लेसमेंट के लिए उन्हें रिजल्ट कि आवश्यकता है.
वही विश्विद्यालय का कहना है कि जब तक छात्र फाइन नही भरते उन्हें रिजल्ट नही दिया जाएगा. साथ ही छात्रों को एक घोषणापत्र पर दस्तखत करना होगा जिसमे भविष्य में उन्हें इसतरह कि गतिविधियों से दूर रहने का जिक्र करना होगा.
वहीं छात्रों का आरोप है कि विश्विद्यालय प्रशासन छात्रों के साथ अन्याय कर रहा है, और उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है. विश्विद्यालय प्रशासन छात्रों के मन में डर बैठाना चाहता है ताकि भविष्य में छात्र अपनी उचित मांगो के लिए भी आवाज नही उठाए.