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“मगध विश्वविद्यालय में पढ़ने से अच्छा है कि हम लोग सुसाइड कर लें”

मगध विश्वविद्यालय के सत्र 2017-20 की छात्रा सुप्रिया कुमारी कहती हैं

तीन साल का कोर्स पांच साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है. अब हम लोगों के लिए आत्महत्या करने के आलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा है. 90 हजार छात्र-छात्राओं का रिजल्ट पेंडिंग में डाल दिया गया है. और अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया है. हम लोग जब राज्यपाल से मिलने गए तो हमें मिलने भी नहीं दिया गया. सिर्फ़ आश्वासन देने से हमारा भविष्य नहीं बनेगा.

अरविंद महिला महाविद्यालय की छात्रा अंजली कुमारी 2017-20 की छात्रा हैं. फ़िज़िक्स आनर्स की पढ़ाई कर रही अंजलि का रिज़ल्ट भी पेंडिंग में चला गया है. अंजली बताती हैं

कोरोना के कारण हमारा सेशन लेट हो गया था. लेकिन किसी तरह फ़ाइनल ईयर की परीक्षा दिसम्बर 2020 में लिया गया. लेकिन जब रिज़ल्ट आया तो मेरे सहित 40 और छात्राओं का रिज़ल्ट पेंडिंग बताया गया. रिज़ल्ट पेंडिंग होने का कारण क्रॉस लगना बताया गया है. यूनिवर्सिटी से बताया गया था कि अक्टूबर में सत्र 2018-21 के फाइनल ईयर के छात्रों के साथ हमारा एग्जाम लिया जाएगा. लेकिन अभी तक कोई नोटिफ़िकेशन नहीं मिला है.

मगध विश्विद्यालय में नामांकित छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. विश्विद्यालय में स्थायी कुलपति के अभाव में छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

सत्र 2017-20 के फाइनल ईयर के हज़ारों छात्रों का रिजल्ट पेंडिंग में चला गया था. जिसे अभी तक जारी नहीं किया गया है और ना ही छात्रों को इसका कोई उचित कारण ही बताया जा रहा है. सेशन समाप्त हुए दो साल बीत चुके हैं. अब अक्टूबर 2022 भी बीतने को है लेकिन अभी भी छात्रों का रिज़ल्ट नहीं दिया गया है. वहीं सत्र 2017-20 के छात्रों का रजिस्ट्रेशन भी अब कुछ ही महीनों में समाप्त होने वाला है. यदि इन छात्रों का रिज़ल्ट इन दो महीनों के अंदर नहीं दिया गया तो इनका रजिस्ट्रेशन समाप्त हो जाएगा और इन्हें एक बार फिर से नये रजिस्ट्रेशन के साथ नामांकन लेना होगा.

छात्रों का आरोप है कि सत्र 2 से 3 साल विलंब से चल रहा है और इसे नियमित करने को लेकर को कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया जा रहा है. विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति नही होंने के कारण समस्या और बढ़ी हुई है

ओरिएंटल कॉलेज, पटना सिटी के छात्र सैयद फ़ैज़ भी सत्र 2017-20 के छात्र हैं. फ़ैज़ का रिजल्ट भी पेंडिंग में चला गया है. फ़ैज़ उर्दू आनर्स के छात्र हैं और बताते हैं

मेरा रिजल्ट पेंडिंग में क्यों डाला गया है, इसका सही जवाब यूनिवर्सिटी के पास भी नहीं है. पहले बताया गया कि क्रॉस लग गया है जिसके कारण आपका रिजल्ट पेंडिंग में चला गया है. फिर बताया गया कि कंप्यूटर की गड़बड़ी के कारण रिजल्ट पेंडिंग में चला गया है. मेरे साथ 90 हजार छात्र-छात्राओं का रिजल्ट भी पेंडिंग में चला गया है. दूसरा हमारे विश्विद्यालय में नियमित कुलपति नहीं हैं. पहले जो कुलपति थे करोड़ों का घोटाला करके निकल गए है. लेकिन भविष्य तो छात्रों का ख़राब हो रहा है.

बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालयों में परीक्षा और शैक्षणिक सत्र की देरी अब शिक्षा विभाग के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है. लाखों की संख्या में स्नातक कर रहे युवा सेशन में देरी होने के कारण परेशान हैं. शिक्षा विभाग बस खानापूर्ति के लिए परीक्षा और शैक्षणिक सत्रों को दुरुस्त करने के लिए निर्देश जारी करते नज़र आ रहे हैं. इसे खानापूर्ति इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि निर्देशों के बावजूद इसका पालन विश्वविद्यालय द्वारा नहीं किया जा रहा है और ना ही शिक्षा विभाग छात्रों के हित के लिए विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ कोई ठोस कदम उठा रहा है.  

मगध विश्विद्यालय के साथ-साथ बिहार के अन्य विश्विद्यालयों में भी सत्र जितनी देर से चल रहे हैं उसे देखकर ऐसा नहीं लगता है कि इसे पटरी पर लाना इतना आसान काम है.  

छात्र लगातार सत्र विलंब होने की समस्या को लेकर सड़क पर उतर रहे हैं. जुलाई और सितम्बर महीने में भी सत्र नियमित करने की मांग को लेकर छात्र राज्यपाल से मिलना चाहते थे लेकिन राजभवन पहुंचने से पहले ही छात्रों को रोक दिया गया था. जिसके बाद छात्र सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे.

मगध विश्वविद्यालय के छात्र सोनू पासवान का कहना है

सरकार बदल गयी है. लेकिन हमलोगों का भविष्य नहीं बदला है. तेजस्वी यादव कहते हैं हम युवाओं के साथ हैं और उनको रोज़गार देंगे. लेकिन हमारा कहना है जब युवा स्नातक ही पास नहीं करेंगे तो फॉर्म कहां से भरेंगे? रोज़गार देने का बस दिखावा किया जा रहा है. हमारे घरवाले भी हमारे भविष्य को लेकर परेशान हैं की कब हम स्नातक पास होंगे और कब हमे रोजगार मिलेगा?

कौन-कौन सा सेशन हुआ है लेट  

2017-20 के 90 हज़ार छात्र-छात्राओं का रिज़ल्ट पेंडिंग है. साथ ही 2018-21 के छात्रों का पार्ट-2 का रिजल्ट भी अभी तक जारी नहीं किया गया है. 2019-22 के छात्रों का पार्ट- 1 का रिज़ल्ट नहीं जारी किया गया है. वहीं 2020-23 के छात्रों का पार्ट-2 का अभी तक रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ है.   

वैसे तो ग्रेजुएशन कोर्स 3 साल और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स 2 साल का कोर्स है.  मगर मगध विश्वविद्यालय में पिछले कुछ सालों से परीक्षा लेने और रिज़ल्ट जारी करने में ऐसी अनियमिततता बरती जा रही है कि ग्रेजुएशन कोर्स तीन की जगह छह साल में भी बड़ी मुश्किल से पूरा हो पा रहा है. मगध विश्वविद्यालय में लगभग चार लाख छात्र-छात्राएं नामांकित है.

परीक्षा और रिज़ल्ट में हो रही देरी का क्या कारण है और इसमें कबतक सुधार किया जाएगा इस संबंध में जानकारी के लिए जब हमने मगध यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक को फ़ोन कॉल किया तो उनके द्वारा यह कहकर कॉल काट दिया गया कि

हमें इतनी फ़ुर्सत नहीं है कि हम हर कॉल का जवाब दें.

बिहार जो कभी शिक्षा का केंद्र हुआ करता था और विश्व में जिसका नाम था आज अपने लेट-लतीफ़ विश्वविद्यालयों सहित अपने सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के लिए जाना जा रहा है. आख़िर बिहार सरकार कब इस ओर ध्यान देगी?   

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