अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने साल 2014 में ‘सीखो और कमाओं योजना’ नाम से एक प्रोग्राम का शुरुआत किया था.इस योजना के माध्यम से परंपरागत व्यवसाय के क्षेत्र में अल्पसंख्यक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.

क्या है सीखो और कमाओ योजना?
अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने साल 2014 में ‘सीखो और कमाओं योजना’ नाम से एक प्रोग्राम का शुरुआत किया था. अल्संख्यक कार्य मंत्रालय के राष्ट्रिय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद् (एनसीविटी) द्वारा योजना का संचालन किया जाता है. इस योजना के माध्यम से परंपरागत व्यवसाय के क्षेत्र में अल्पसंख्यक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय की नई पीढ़ी परंपरागत व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद रोजगार प्राप्त कर सकती है. योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक युवाओं को स्वरोजगार के लिए भी मदद दिया जाता है.
कौन इस योजना का लाभ ले सकते हैं?
केवल अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिक (मुस्लिम, इसाई, पारसी, सिख और बौद्ध तथा अन्य अल्पसंख्यक) इस योजना का लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं. आवेदक की आयु 14 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए. आवेदक का कम से कम पांचवी कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है.
इस योजना के अंतर्गत यदि आरक्षित श्रेणियां रिक्त रहती हैं तो इस स्थिति में रिक्त सीटें अनारक्षित समझी जाएगी. वहीं योजना के तहत न्यूनतम 33 सीटें अल्पसंख्यक बालिकाओं /महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं.

किन कार्यों के लिए मिलती है मदद?
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एनसीवीटी द्वारा अनुमोदित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विकसित किए गए पाठ्यक्रमों में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा अपनाए जा रहे बहुत से पारंपरिक कौशल जैसे की कढ़ाई, चिकनकारी, जरदोजी, पैचवर्क, बुनाई, कास्ठ कार्य, चमड़े की वस्तुएं, कास्य के कार्य, कांच के बर्तन, कालीन निर्माण, रत्न एवं आभूषण, बुनाई आदि शामिल है.
इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत उन पाठ्यक्रमों को भी शामिल किया जाता है जो किसी विशिष्ट राज्य या क्षेत्र की मांग एवं स्थानीय बाजार की क्षमता के आधार पर शुरू किए जा सकते हैं.
कितने महीनों का है कोर्स?
आधुनिक ट्रेडो के कौशल जैसे तकनीकी कौशल, सॉफ्ट कौशल एवं जीवन कौशल (विषय प्रशिक्षण, उद्यमिता प्रशिक्षण, अंग्रेजी भाषा, आईटी प्रशिक्षण, सॉर्ट कौशल आदि) सहित परियोजना की न्यूनतम अवधि 3 माह की होती है. वहीं परंपरागत कौशल के कार्यक्रम की अवधि ट्रेड के आधार पर न्यूनतम दो महीने से लेकर अधिकतम 1 वर्ष की होती है.

प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट कैसे होगा?
प्रशिक्षण के बाद सभी अभ्यर्थियों को प्लेसमेंट सहायता और परामर्श संस्थान द्वारा दिया जाता है. कुल अभ्यर्थियों के लगभग 75% संस्थान द्वारा दिया जाता है जिसमें से 50% का प्लेसमेंट संगठित क्षेत्र में सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है. साथ ही प्लेसमेंट अभ्यर्थी के निकटतम स्थान में किये जाने का प्रयास किया जाता है.
संगठित क्षेत्र के प्लेसमेंट में अभ्यार्थियों को पीएफ, ईएसआई आदि जैसे लाभ भी दिए जाते हैं. असंगठित क्षेत्र में प्लेसमेंट तभी माना जाएगा जब अभ्यर्थी को ऑफर लेटर प्रदान किया जाएगा जिसमें न्यूनतम वेतन की जानकारी दी गई हो.
इसके अलावा नियोक्ता कंपनी द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा जिसमें यह जानकारी प्रदान की जाएगी कि अभ्यर्थी को न्यूनतम वेतन प्रदान किया जा रहा है. साथ ही केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को प्लेसमेंट दिया जाता है जो कम से कम 3 महीनें की ट्रेनिंग पूरी करते हैं.
प्रशिक्षण के दौरान स्टाइपेंड की भी सुविधा
प्रशिक्षण के दौरान अभ्यर्थियों को स्टाइपेंड भी दिया जाता है. लाभार्थियों को प्रति महीने 750 रूपए दिए जाते हैं. वहीं स्थानीय गैर आवसीय प्रशिक्षुओं को भोजन एवं आवास के लिए 1500 रूपए तीन महीने तक दिए जाते हैं.
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