बिहार में शारीरिक शिक्षक के लिए 70% पद ख़ाली, अभी तक नहीं हुई बहाली

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बिहार में शारीरिक शिक्षक के लिए 70% पद ख़ाली, अभी तक नहीं हुई बहाली
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अप्रैल 2022 में पंचायत और नगर निकायों के विभिन्न नियोजन इकाइयों द्वारा शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक के 8386 पदों के लिए बहाली के लिए आवेदन मांगा गया था. लेकिन तीन-तीन बार बहाली प्रक्रिया लेने के बाद भी विभाग को मात्र 2139 अभ्यर्थी ही मिल सके. बहाली प्रक्रिया में नियमावली 2012 एवं शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक पात्रता परीक्षा में निर्धारित अहर्ता को आधार बनाया गया था. मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा पास और शारीरिक शिक्षक में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा या डिग्री की योग्यता निर्धारित थी.

साल 2019 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक के लिए पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था जिसमे केवल 6199 अभ्यर्थी सम्मिलित हुए थे. परीक्षा के बाद जारी परिणाम में केवल 3508 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए थे.

वहीं राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, अदालतगंज पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड यानी पीएससीएल की ओर से जिन स्कूलों को रिनोवेट किया गया है उसमे से एक है. यहां की प्रभारी शारदा कुमारी बताती हैं

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हमारे स्कूल में लगभग 600 बच्चे होंगे. यहां शारीरिक शिक्षक साल 2007 में आयी बहाली के समय से ही है. हम लोग रोज़ प्रार्थना के बाद बच्चों को पीटी(व्यायाम) करवाते हैं. प्रत्येक शनिवार को स्कूल में सुरक्षित सप्ताह मनाया जाता है. जिसमे बच्चों को अलग-अलग तरह की एक्टिविटी करवाई जाती है.

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कहां कितने पद खाली हैं? 

100 से अधिक स्टूडेंट वाले प्रारंभिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली होनी थी. लेकिन तीन-तीन बार बहाली निकालने के बाद भी सरकार को सभी जिलों से मात्र 2139 अभ्यर्थी ही मिले. सबसे ज़्यादा गया जिले में 406 पदों पर आवेदन मांगा गया था लेकिन मात्र 138 अभ्यर्थी ही मिले. वहीं मुज़फ्फ़रपुर में 401 पदों के लिए मात्र 152, पटना में 334 पदों के लिए 158, भागलपुर में 257 पदों के लिए मात्र 39, कटिहार में 205 पदों पर मात्र 35, बेगूसराय में 216 पदों पर मात्र 25, सिवान में 252 पदों पर मात्र 90, नालंदा में 239 पदों पर मात्र 21, नवादा में 201 पदों पर मात्र 49, मधेपुरा में 213 पदों पर 63, मधुबनी में 291 पदों पर 48, अररिया 182 पदों पर 28, अरवल में 60 पद पर मात्र तीन, औरंगाबाद में 294 पदों पर 61, बांका में 254 पद पर 64, समस्तीपुर में 286 पदों पर 52, सारण में 306 पदों पर 90, जहानाबाद में 102 पदों पर 31, दरभंगा में 261 पदों पर 44, खगरिया में 148 पदों पर 17, लखीसराय में 84 पदों पर 19, वैशाली में 279 पदों पर 81, पूर्वी चंपारण में 383 पर 40, पश्चिमी चंपारण में 264 पद पर 73, पूर्णिया में 244 पद पर 37, रोहतास में 231 पदों पर 78, सहरसा में 148 पदों पर 34, शेखपुरा में 68 पदों पर 15, कैमूर में 171 पदों पर 114, बक्सर में 135 पदों पर 37, भोजपुर में 236 पदों पर 109 और  गोपालगंज में 197 पदों पर मात्र 91 अभ्यर्थी ही मिल सके.   

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अनुदेशक को प्रति माह आठ हज़ार रूपए दिए जाने का प्रावधान किया गया था. 200 रूपए प्रति वर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ भी दिए जाने का प्रावधान किया गया था. कम अभ्यर्थियों के मिलने के दो कारण बताए जा रहे हैं, एक तो प्रति माह केवल आठ हज़ार रूपए मानदेय होना. अभ्यर्थी इस मानदेय से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है जिस तरह सरकार आम शिक्षकों को वेतन देती है ठीक उसी तरह शारीरिक शिक्षक को भी उचित मानदेय देना चाहिए. सरकार शारीरिक शिक्षकों के साथ भेदभाव कर रही हैं. दूसरा कारण शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशक के बहाली के लिए हुए पात्रता परीक्षा में मात्र 3508 अभ्यर्थी का उत्तीर्ण होना भी एक कारण है.

वहीं शिक्षकों का कहना है कि

शारीरिक शिक्षा अनुदेशक के पद के लिए बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर) को सेंट्रलाइज्ड करने की जरूरत है. माध्यमिक शारीरिक शिक्षक संघ की ओर से यह मांग की गई है. इसमें यह बताया गया है कि एक अभ्यर्थी तीन-चार जगहों पर आवेदन कर चुके हैं. लेकिन सेंट्रलाइज्ड नहीं होने की वजह से वह सेंटर पर पहुंच नहीं पा रहे हैं. दूसरी बात, सभी जिलों में एक ही सेंटर हो और सभी जिलों में काउंसलिंग के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया जाना चाहिए.

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वहीं सरकारी नौकरी परीक्षा में हो रहे लेट-लतीफी और भ्रटाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले दिलीप कुमार का कहना है कि

पूरी प्रक्रिया को सेंट्रलाइस्ड तरीके से करना चाहिए. एक आवेदक कई जगह से फॉर्म डालते है. और उनका नाम मेरिट लिस्ट में भी आ जाता है. लेकिन वो एक समय में किसी एक ही जगह उपस्थित हो सकते है. इस कारण भी सीटे खाली रह जाती है, और दूसरा मानदेय भी बहुत कम है. जबकि उन्हें भी आम शिक्षकों के तरह रोज विद्यालय जाना होता है.        

भले ही शिक्षा विभाग ने 8386 मध्य विद्यालय में एक-एक पद के मुताबिक 8386 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की थी, लेकिन शिक्षा विभाग को भी इस बात कि जानकारी पहले से थी कि इतने पद नहीं भरे जा सकते, क्योंकि प्रदेश में इतने योग्य उम्मीदवार ही नहीं थे. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) के सहयोग से शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक पद पर नियुक्ति के लिए दिसम्बर 2019 में योग्यता परीक्षा ली थी, इसमें 3523 अभ्यर्थी ही सफल हुए थे. इन सभी 3523 की नियुक्ति होने के बाद भी 2863 पद रिक्त ही रह जायेंगे.