बिहार में किसान सम्मान निधि योजना सफ़ल या विफ़ल यह तो आने वाले कुछ समय में पता चल जाएगा. लेकिन इस समय केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल के 9 साल पूरे होने का जश्न मना रही है. इस सफ़लता में केंद्र द्वारा चलाई गयी कई योजनाओं की उपलब्धियां गिनाई गयी हैं. इसमें ‘किसान सम्मान निधि’ को एक बड़ी उपलब्धि बताया है. हालिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 14 लाख से अधिक किसान इस योजना से जल्द ही वंचित हो जायेंगे.
क्या है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है. योजना की शुरुआत 1 दिसंबर 2018 से हुई है. इस योजना के अंतर्गत छोटे और सीमांत किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम कृषि भूमि होती है, इसका लाभ ले सकते हैं.
योजना के तहत योग्य किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति साल 6 हजार रूपए तीन किश्तों में दी जाती है. प्रत्येक चार महीने पर किसानों को दो हज़ार की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा हो जाती है.
किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली राशि भले ही छोटी है. लेकिन छोटे किसानों के लिए फ़सल बुवाई के वक्त इससे थोड़ी राहत मिल जाती है. बिहार की लगभग 77% आबादी कृषि पर आधारित है. यहां बसने वाले ज़्यादातर किसान कम आयवर्ग के हैं. ऐसे में सरकार के तरफ़ से मिलने वाली योजनाओं का लाभ किसानों के लिए राहत भरा हो सकता है.
लॉकडाउन के समय किसानों के लिए सम्मान निधि की राशि काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हुई थी. विक्रमगंज ब्लॉक के मुरैना गांव के रहने वाले किसान अवधेश सिंह कहते हैं,
करीब तीन साल पहले मैंने पीएम सम्मान निधि योजना के तहत आवेदन किया था, तब से लेकर अब तक राशि आ रही है. कहीं किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. कोरोना के वक्त जब सब कुछ खराब चल रहा था. ऐसे में इस योजना से बहुत राहत मिला था.
अवधेश जैसे छोटे किसान के लिए पीएम सम्मान निधि योजना राहत देने वाली है. लेकिन पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ लेने के लिए किसानों को केवाईसी के साथ-साथ भूमि सत्यापन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है.
14.60 लाख किसान हो सकते हैं पीएम सम्मान निधि से वंचित
बिहार के 14.60 लाख किसान अब इस राशि से वंचित हो सकते हैं. क्योंकि 14.60 लाख किसानों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं करवाया है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रत्येक जिले के डीएओ को जिलावार सूची भेजकर किसानों का ई-केवाईसी करवाने का निर्देश दिया है. यह सूची कृषि समन्वयकों (Agriculture Coordinator) को भेजा जाएगा.
जून के पहले हफ्ते में पीएम किसान योजना की 14वीं किश्त जारी हो सकती है. लेकिन इस बार उन्हीं किसानों को यह किश्त मिलेगी, जिन्होंने ई-केवाईसी करवाया होगा. कृषि समन्वयकों को किसानों को जागरूक करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है. जिससे ज़्यादा से ज़्यादा किसान योजना का लाभ ले सके.
बिहार के सारण ज़िले में सबसे ज़्यादा किसान ई-केवाईसी से वंचित हैं. यहां 1,11,478 किसानों नें अभी ई-केवाईसी नहीं करवाया है. वहीं पूर्वी चंपारण में 1,03,993, अररिया में 72,379, मुजफ्फरपुर में 68,637, मधुबनी में 63,672, गया में 57,705, पश्चिमी चंपारण में 57,688, कटिहार में 53,522, भागलपुर में 53,170, जमुई में 50,657, रोहतास में 44,675 और पटना में 41,174 किसानों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं करवाया है.
सबसे कम शेखपुरा जिले के 5,137 किसानों का ई-केवाईसी लंबित है.
सरकार साल 2022 से ही किसानों को केवाईसी और भूमि सत्यापन करवाने के लिए विज्ञापन निकाल रही है. लेकिन काफ़ी प्रयास के बाद भी लाखों किसान अभी भी ई-केवाईसी और भूमि सत्यापन नहीं करवा सके हैं.
भूमि सत्यापन में आ रही दिक्कत
क्या कारण है कि बार-बार समय सीमा बढ़ाने के बाद भी किसान केवाईसी कराने से छुट जा रहे हैं? इसपर बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह बताते हैं.
सरकार की नीयत लाभुक किसानों की संख्या कम करना ही है. यही कारण है कि सरकार ई-केवाईसी के साथ-साथ भूमि सत्यापन का हथकंडा अपना रही है. एक तरफ सरकार मीडिया में खूब प्रचार करती है कि हम इतने किसान को योजना का लाभ दे रहे हैं. दूसरे हाथ सरकार उन्हें योजना से वंचित कर देना चाहती है.
राज्य में अभी भी लाखों परिवार ऐसे हैं जिनकी जमीनें उनके पूर्वजों के नाम पर ही हैं. संपत्ति बंटवारे के बाद भी संपत्ति के कागज़ात घर के किसी एक बुजुर्ग के नाम पर ही रहते हैं. वहीं वंशावली के आधार पर अगली पीढ़ी के सदस्यों को संपत्ति का मालिक या दावेदार घोषित कर दिया जाता है.
लेकिन रजिस्टर-2 में पूर्वजों के नाम ही अंकित रहते हैं. अधिकारिक रूप से सरकार को टैक्स या जमाबंदी रशीद की राशि रजिस्टर-2 में अंकित व्यक्ति के नाम पर ही मिलता रहता है. सरकार भी उसी व्यक्ति को संपत्ति का मालिक मानती है.
अशोक कुमार बेगूसराय के बजलपूरा गांव के किसान हैं. किसान अशोक सिंह को जमीन के कागज़ात नहीं होने के कारण किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल रहा है. अशोक बताते हैं
मेरे गांव में 400 से 500 किसान परिवार रहते हैं, और उनमें से मात्र 50 परिवार ही ऐसे होंगे जिनका ख़ुद के नाम पर ज़मीन होगा. बाकियों की ज़मीन आज भी उनके दादा के नाम पर ही होगा. मेरी ख़ुद की सारी ज़मीन मेरे बाबा (दादाजी) के नाम पर हैं. जबकि मेरे पिताजी की उम्र 100 वर्ष से ज़्यादा है. मेरी उम्र भी 61 साल हो गयी है. पारिवारिक बंटवारे में विवाद के कारण ज़मीन के कागज़ात ट्रांसफर नहीं हुए हैं. अब तो ना मेरे पिताजी को और ना ही हमको सम्मान निधि का लाभ मिलेगा.
वंशावली के आधार पर मिलेगा कृषि योजनाओं का लाभ
भूमि सत्यापन में आ रही दिक्कतों को देखते हुए कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने किसानों को वंशावली के आधार पर कृषि योजनाओं का लाभ देने को कहा है. सरपंच और जनप्रतिनिधि द्वारा सत्यापित किसानों को अब कृषि योजनाओं का लाभ दिया जाएगा.
बुधवार 24 मई को बामेती में आयोजीत राज्यस्तरीय खरीफ़ कार्यशाला में कुमार सर्वजीत ने कहा कि
कई किसान ऐसे हैं जिनकी ज़मीन पिता या दादा के नाम पर है. ऐसे में उन्हें कृषि योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जो वास्तव में किसान है और उनके पास एलपीसी (ज़मीन के कागज़ात) नहीं है. तो सरपंच या अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर से जारी वंशावली के आधार पर उन्हें कृषि योजनाओं का लाभ देंगे.
दावे से उल्ट नहीं मिल रहा लाभ
अशोक कुमार आगे बताते हैं
अभी भी 70 से 80% किसानों की जमीन उनके बाप-दादा के नाम पर हैं. ऐसे में भूमि सत्यापन के लिए जमाबंदी की रसीद तात्कालिक लाभुक किसान के नाम पर देना उनके लिए संभव नहीं है. सरकार यह बात बहुत अच्छे से जानती है.
वहीं सासाराम के रहने वाले किसान आनंदी सिंह बताते हैं
जनवरी 2021 में ही हम किसान सम्मान निधि योजना के लिए विक्रमगंज ब्लॉक (सासाराम) में आवेदन दिए था . लेकिन जवाब मिला कि लाभुकों की सूची तैयार हो गई है. इसके बाद मैंने सासाराम जिला मुख्यालय तक आवेदन दिया. वहां बताया गया कि आपके जमीन का बंटवारा बेहतर तरीके से होगा तब ही इसका लाभ मिलेगा. हमने वह भी किया नतीजा आज भी वहीं है.
आधार में गड़बड़ी बन रही ई-केवाईसी में बाधा
आधार कार्ड में नाम गलत होने के कारण भी किसानों को केवाईसी करवाने में दिक्कत आ रही है. बिहार में 70,720 किसान ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड में नाम गलत है.
विभाग नें इन किसानों से नाम सुधरवाने की अपील की है. वहीं 7 लाख किसान ऐसे हैं जिनका ईकेवाईसी तो हो गया है लेकिन उनके बैंक खाते एनपीसीआई (NPCI) से नहीं जुड़े हैं. विभाग ने ऐसे किसानों से डाकघर में जाकर इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के जरिए खाता खुलवाने को कहा है, ताकि उनके खाते में राशि भेजा जा सके.
बिहार में अभी 86,33,419 किसान, किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने के लिए निबंधित हैं. केंद्र सरकार ने दिसंबर से मार्च महीने में इन किसानो के खाते में 74,58,501 रूपए भेजे हैं. वहीं नवंबर 2022 से दिसंबर 2022 के महीने में 86,33,419 किसानों के लिए कुल 82,42,704 रूपए भेजे गये थे. अप्रैल से जुलाई के बीच 85,72,852 किसानों के लिए 85,50,481 रूपए जारी किये गए थे.