गांधी जहां मोहनदास से महात्मा बने, उसी चंपारण में पहले भू-माफिया और सफेदपोशों ने RTI कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल को गोली मारा। फिर प्रशासन के रवैया से तंग आकर विपिन अग्रवाल के 14 साल के बेटे ने आग लगाकर तीन मंजिले मकान से कूदकर जान दे दी। 47 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की 24 सितंबर, 2021 को स्थानीय भूमाफिया का पर्दाफाश करने के लिए हत्या कर दी गई थी। जिसके 6 महीने बाद पिता की हत्या में इंसाफ मिलने की देरी से परेशान 14 साल के बेटे रोहित ने 24 मार्च को कथित तौर पर पहले खुद को आग लगाई और फिर बगल के इमारत की छत की तीसरी मंजिल से कूद गया।
पुलिस कार्रवाई से परेशान था रोहित
रोहित के दादा विजय अग्रवाल ने एक वीडियो जारी करके पुलिस अधीक्षक पर यह आरोप लगाते हैं-
पिता की हत्या में बड़े लोग शामिल हैं, लेकिन पुलिस उन लोगों पर कार्रवाई करने से बच रही है। इसी की शिकायत लेकर 25 मार्च यानी गुरुवार के दिन रोहित पुलिस अधीक्षक से मिलने गया था, लेकिन निराश होकर लौटने के बाद उसने मिट्टी के तेल का कनस्तर लेकर बगल की इमारत की छत पर चढ़ गया था। खुद पर मिट्टी का तेल डाल कर छत से गिर गया। ज़मीन पर गिरने से पहले वह हाईटेंशन बिजली के तारों में फंस गया। आपको हैरानी होगी कि पुलिस चाहती है कि यह सच भी हम नहीं बोले
विपिन हत्याकांड की जांच में 26 लोगों का नाम सामने आया था, जिसमें अभी तक सिर्फ 7 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। जिसमें तीन पेशेवर अपराधी ही हैं। कोई भी बड़ा व्यक्ति गिरफ्तार नहीं हुआ है। क्योंकि विपिन की सीधी लड़ाई सत्ता में बैठे लोगों से थीं। महीनों तक 14 साल का बच्चा रोहित स्थानीय पुलिस स्टेशन और जिला-स्तरीय प्रशासनिक और पुलिस कार्यालयों के चक्कर लगाता रहा। आखिरकार हार कर…” सुगौली के जिला अध्यक्ष सुमन सिंह इतना बोलते बोलते खामोश हो जाते है।
वहीं आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल के बडे भाई विनय कुमार अग्रवाल पूरे मामले पर बताते हैं कि, “आग लगाने की घटना की जानकारी नहीं थी। लेकिन रोहित बिपिन की हत्या में पुलिस की कार्रवाई से नाराज और परेशान जरूर था।”
सरकारी महकमों का क्या कहना है
पुलिस पर लगे आरोप पर एसपी कुमार आशीष बताते हैं कि
लड़के के मां ने स्पष्ट बताया हैं कि बिजली के तारों के संपर्क में आने के बाद बिजली का करंट लग गया था। हमने परिवार के किसी भी सदस्य पर बयान बदलने के लिए दबाव नहीं डाला है। रोहित गुरुवार को हमारे ऑफिस आया था,उस वक्त हम एक जरूरी मीटिंग के लिए निकल गए थे। डीएसपी आने वाले लोगों से मिल रहे थे, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में आप देखिए कहीं भी डीएसपी ने रोहित के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया है।
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने विपिन अग्रवाल हत्याकांड को जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया। जिला अधिकारी कपिल अशोक ने भी बताया कि, “अब इस पूरे मामले को पुलिस नहीं बल्कि सीआईडी जांच करेगी। जल्द से जल्द विपिन के हत्यारे को पकड़ा जाएगा।”
2010 के बाद अभी तक बिहार में 20 आरटीआई एक्टिविस्ट की मृत्यु हो चुकी है। हाल में ही मधुबनी जिला के बेनीपट्टी में आरटीआई एक्टिविस्ट अविनाश झा को जिंदा जला दिया गया था। जबकि गृह मंत्रालय ने साल 2013 में सभी राज्यों को लेटर जारी कर आदेश दिया था कि आरटीआई एक्टिविस्ट के सुरक्षा का प्रबंध किया जाए। इससे जुड़ा एक लेटर 14 जून 2013 को जारी किया गया था।
विपिन अग्रवाल की हत्या कांड के बाद अभी तक क्या-क्या हुआ है? विपिन अग्रवाल की मौत के 6 महीने होने के बाद पुलिस और प्रशासन ने न्याय को साधने की कोशिश कितनी की है?
दो बाइक पर चार अपराधी सवार होकर आरटीआई एक्टिविस्ट विपिन अग्रवाल का पीछा कर रहे थे। जैसे ही विपिन प्रखंड कार्यालय से बाहर निकले, उनके भाई का पीछा कर रहे बाइक पर सवार एक अपराधी ने ब्लॉक चौक के पास विपिन पर अंधाधुंध गोली चलाई। उसमें चार गोली विपिन को लगा था। फिर अरेराज डीएसपी अभिनव धीमान के नेतृत्व में जनवरी महीने में मुख्य शूटर सचिन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में सचिन के अलावा दो और शूटर को गिरफ्तार किया गया था। सब के सब पेशेवर अपराधी हैं।
इन तीनों के अलावा और चार व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई हैं। उन सभी के बयान के मुताबिक हरसिद्धि बाजार की करोड़ों की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के केस दर्ज करने को लेकर विपिन अग्रवाल की हत्या की गई थी। जिसके लिए चारों शूटर को 20 लाख रुपये में सुपारी दी गई थी। विपिन के मृत्यु के 2 दिन के बाद पप्पू सिंह और मनीष सिंह की गिरफ्तारी हुई थी। उसके बयान के आधार पर ही 26 लोगों का नाम सामने आया था, जिसमें से 15 लोगों के ख़िलाफ़ मामला सही पाया गया है। इस मामले में अबतक 7 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि अन्य 8 लोग फरार हैं। बाक़ी बचे हुए 11 लोगों के ख़िलाफ़ जांच जारी है। जिसमें एक बीजेपी के बहुत बड़े क्षेत्रीय नेता का नाम भी शामिल है।नाम ना बताने की शर्त पर जानकारी देते मोतिहारी पुलिस के एक अधिकारी
पुलिस और सफेदपोशों के बीच गठबंधन का नतीजा है विपिन की मृत्यु
बिहार युवा अधिवक्ता संघ के संयोजक और आरटीआई एक्टिविस्ट विद्याकर झा बताते हैं कि,
आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की मृत्यु पुलिस और सफेदपोशों के बीच गठबंधन का नतीजा है। विपिन अग्रवाल ने अपने घर के नजदीक ही हरसिद्धि ब्लॉक बाजार इलाके की कीमती 8 एकड़ सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रखा था। आरटीआई से जानकारी लेने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में केस भी किया था। कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमित कई मकानों, दुकानों और पेट्रोल पंप को ढहा दिया गया था। इसी कारण वह सफेदपोशों के निशाने पर आ गए थे।
मोतिहारी के वेब पोर्टल ‘बिहारी खबर’ के रिपोर्टर रोहित बताते है कि पूर्व में विपिन ने अपने पत्रों के माध्यम से पूरे खेल में बीजेपी दल के पूर्व जिलाध्यक्ष समेत अन्य का नाम लिया था।
हत्या से एक साल पहले यानी 2020 में विपिन ने धनखरैया में अधिकृत भूमि पर बने मकान को तोड़वाया था। जिस के प्रतिशोध में उपद्रवी तत्वों ने घर पर फायरिंग की थी। उनकी पत्नी को दिनदहाड़े घसीट कर मारा था। जबकि विपिन के घर से थाना की दूरी मात्र 200 मीटर है। जिसके बाद विपिन ने उन लोगों पर केस किया, मोतिहारी के जनता दरबार में सुरक्षा के लिए गुहार लगाई। थाने में कई आवेदन देकर सनहा और प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन प्रशासन हमेशा खामोश और उदासीन बना रहा।
अक्टूबर 2021 में पूर्वी चंपारण के तत्कालीन SP नवीन चंद्र झा भी इस मामले की जांच कर चुके है। वह बताते हैं कि, “एक दम सच हैं कि हत्या के पीछे व्यापारियों, राजनेताओं और रियल एस्टेट एजेंटों की सांठगांठ थी।” वहीं विपिन अग्रवाल की हत्या के वक्त मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बारंबार हो रहे आरटीआई एक्टिविस्ट की मौत पर सवाल उठाए थे।
राहुल ने कहा था कि,”आरटीआई आवेदकों की सुरक्षा के लिए मनमोहन सरकार के आदेश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को 2013 में एडवाइजरी भी जारी की थी। इसके बाद RTI कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या बेहद गंभीर विषय है। जबकि विपिन बारंबार अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे।”