कृषि यांत्रिकीकरण योजना सिर्फ़ कागज़ों में ही सफ़ल

बिहार सरकार ने किसानों की उन्नति के लिए कृषि यांत्रिकीकरण योजना की शुरुआत की. लेकिन क्या ये योजना ज़मीन पर सफ़ल है?

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पल्लवी कुमारी
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कृषि यांत्रिकीकरण योजना सिर्फ़ कागज़ों में ही सफ़ल
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बिहार सरकार छोटे और सीमांत किसानों को खेती में सहूलियत पहुंचाने के लिए कृषि यांत्रिकीकरण योजना चला रही है. सरकार की इस योजना का लाभ वैसे किसान उठा सकते हैं जो आर्थिक तौर पर कमज़ोर हैं. साथ ही जिनके पास खेती के लिए कम मात्रा में खेत उपलब्ध है. 

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इस वित्तीय वर्ष कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 108 प्रकार के कृषि यंत्र पर अनुदान देने की व्यवस्था की गई है. जिसमें छोटे किसानों के लिए आवश्यक उपकरणों को भी जोड़ा गया है. छोटे किसानों को खेती करने के लिए खुरपी, कुदाल, हसुआ और वीडर जैसे यंत्रों पर भी अनुदान दिया जाएगा. बिहार में 80% किसान छोटे और सीमांत हैं, जिसके कारण उन्हें खेती के कार्यों के लिए छोटे-छोटे उपकरण की आवश्यकता होती है.     

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खेती के काम जैसे- जुताई, बुवाई, निराई और सिंचाई के लिए उपकरण खरीदने के लिए अनुदान दिया जाता हैं. साथ ही गुड़ाई, फसल काटने, दौनी और गन्ना उत्पादन में उपयोग होने वाले कृषि यंत्र भी शामिल किये गये हैं. वहीं फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों पर भी अनुदान दिया जाना है. ताकि किसान फसल अवशेष को खेत में जलाने के बजाए उसका उपयोग किसी अन्य कार्य में कर सके.  

कृषि यांत्रिकीकरण योजना अच्छी लेकिन किसानों को नहीं मिलता है लाभ

कृषि यांत्रिकीकरण योजना कागज़ों पर पढ़ने और सुनने में जितनी बेहतर लगती है उसकी सफ़लता छोटे किसानों के बीच उतनी ही कम है. नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड के ग्राम सरगांव के अधिकांश किसान सीमांत हैं. यहां किसान बताते हैं कि उन्हें सरकार की किसी भी कृषि योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. यहां अधिकांश किसानों को कृषि यांत्रिकीकरण योजना का लाभ नहीं मिला है.  

नालंदा जिले से वर्ष 22-23 में 3,285 किसानों ने इस योजना के लिए आवेदन किया था लेकिन चयन केवल 2,003 किसानों का ही हुआ. वहीं ग्राम सरगांव से मात्र एक किसान का चयन इसके लिए किया गया था. जबकि इस गांव में लगभग 100 किसान परिवार रहते हैं. 

किसान मुकेश सिंह ने डेमोक्रेटिक चरखा को फोन पर बताया कि “मुझे आजतक इस योजना का लाभ नहीं मिला है. खेती के लिए औजार बहुत ज़रूरी हैं. हमलोग छोटे किसान है. खेत जोतने से पटाने तक के लिए मशीन भाड़े पर लाते हैं. अभी धान रोपे हैं. उसको पटाने के लिए भी पाइप भाड़ा पर लाना पड़ रहा है. क्योंकि मेरे पास जो पाइप था वो फट गया है और अभी मैं खरीद नहीं सकता हूं.”

इसी गांव के किसान राजू सिंह बताते हैं “हमारे गांव के किसी किसान को कृषि यांत्रिकीकरण के तहत औजार नहीं मिला है. कुदाल, खंती, हंसुआ, खुरपी, चपरा जैसे कई औजार खरीदने में 10 हज़ार लग जाते हैं. अगर सरकारी अनुदान मिलता तो किसान को बहुत सहूलियत हो जाता. अब तो खेती के काम को आसान करने के लिए कई तरह के यंत्र बाजार में आ गये हैं लेकिन पैसे की कमी कारण हमलोग उसको खरीद नहीं पाते हैं.”  

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किसान सलाहकार नहीं करते समस्या का समाधान

किसी भी नई योजना या पहले चली आ रही योजनाओं की जानकारी किसानों को किसान सलाहकार के माध्यम से ही मिलती है. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां किसान सलाहकार आते ही नहीं है. और ना ही फोन पर किसी समस्या का समाधान बताते हैं.

किसानों को कृषि यंत्रीकरण योजना का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा. इस पर जानकारी के लिए हमने नूरसराय प्रखंड के किसान सलाहकार विक्की से संपर्क करने का प्रयास किया. लेकिन उनका फोन नंबर लगातार बंद आ रहा है.

प्रत्येक जरूरतमंद किसान को योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं इसकी जानकारी मुखिया को भी रखनी होती है. हमने सरगांव के मुखिया बिशुनदेव महतो से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनका फोन भी लगातार बंद आ रहा है.

किसानों को खेत तैयार होने से लेकर फसल तैयार होने तक मशीनों की ज़रूरत पड़ती है. राजू सिंह बताते हैं “खेत की जुताई के लिए ट्रक्टर भाड़े पर लाना पड़ता है. पैक्स से भाड़े पर ट्रक्टर मिलता है लेकिन वो मंहगा पड़ता है. पटवन के लिए 30 रूपए बीघा देना पड़ता है. पाइप तो लगभग किसान खरीद लेता हैं लेकिन सबके पास पंप सेट लगाने का पैसा नहीं है.”

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अनुदान के लिए ऑनलाइन करना होता है आवेदन

OFMAS पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 में कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए सभी जिलों से 1,61,402 किसानों ने आवेदन दिया था जिसमें 1,06,739 किसानों का चयन किया गया था. वहीं इस वर्ष 2,39,498 लोगों ने कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए आवेदन दिया है. हालांकि अभी पोर्टल पर आवेदन लेना बंद कर दिया गया है. 

कृषि यांत्रिकीकरण योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग के OFMAS पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता हैं. जिसके बाद यंत्र खरीद के बाद सरकार क्रेता किसान के खाते में अनुदान की राशि में भेज देती है.

कृषि यांत्रिकीकरण योजना को अगर अच्छे से लागू किया जाए तो किसान कम लागत व कम परेशानी में अच्छे फसल का उत्पादन कर सकते हैं.

नालंदा जिला के कृषि पदाधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह हैं बताते हैं “इस वर्ष अभी इस योजना की शुरुआत नहीं की गयी है. आर्थिक रुप से कमजोर किसान कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान पारपत करने के लिए इसके तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद किसान कृषि यंत्र मेला या फिर रजिस्टर्ड दुकान से कृषि यंत्र खरीद सकते हैं.”

कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए आवेदन देने वाले किसानों के पास कृषक पंजीकरण नंबर, आधार कार्ड, जाति प्रमाण-पत्र, वर्तमान मालगुजारी रसीद, भू स्वामित्व प्रमाण-पत्र, बैंक पासबुक जैसे ज़रूरी  दस्तावेज होना अनिवार्य है.

हालांकि किसानों का कहना है कि सभी कागज़ होने के बाद भी आवेदन स्वीकृत हो इसके लिए पैसे ख़र्च करने पड़ते हैं. पैसे नहीं देने पर आवेदन के बाद भी लाभुक चयन के लिस्ट में किसान का नाम नहीं आता है.

इन कृषि यंत्रों पर मिलता है अनुदान

इस साल खुरपी, कुदाल और विडर जैसे यंत्रों पर 80% तक अनुदान दिया जाएगा. इस साल इस योजना के लिए 119 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गये हैं. 

कृषि यंत्रों में रोटरी मल्चर, सुपर सीडर, एसएमएस, हैपी सीडर, स्ट्रा बेलर विदाउट रैक, स्ट्रा रीपर, रोटरी सलेशर, जीरो टिलेज, पैडी स्ट्रा चौपर, बिजली चालित जानवरों को भगाने वाले वाला बायोएकोस्टिक उपकरण (सोलर पैनल एवं बिना सोलर पैनल के), सब-स्वायलर पर 75% तक  अनुदान दिया जाता है. पराली प्रबंधन एवं जानवरों को भगाने वाले यंत्रों पर 75% तक अनुदान दिया जाता है.

इसके अलावा स्प्रेयर मशीन, कल्टीवेटर, पम्प सेट, सिंचाई पाईप, लेजर लैण्ड लेवलर, पावर टीलर, थ्रेसर, मिनी रबर राइस मिल, दाल मिल, आयल मिल, रोटावेटर इत्यादि कृषि यंत्रों पर 40% से 50% तक अनुदान देने का प्रावधान है.

ड्रोन खरीद के लिए अनुदान केवल कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षित कृषि समूहों को ही दिया जा रहा है. किसान ड्रोन का इस्तेमाल खाद और कीटनाशक के छिड़काव के लिए कर सकेंगे.