<strong>AIIMS </strong><strong>Patna:</strong> रास्ते में 4 सालों से जमा है नाली का पानी, हर दिन होता है एक्सीडेंट<strong></strong>

AIIMS Patna की ओर जाने वाली सड़क पर पिछले 4 सालों से नाली का पानी जमा हुआ है. जिसकी वजह से एम्बुलेंस को आने जाने में काफ़ी कठिनाई होती है साथ ही वहां पर कई बार एक्सीडेंट भी होता है.

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AIIMS Patna की ओर जाने वाली सड़क पर पिछले 4 सालों से नाली का पानी जमा हुआ है. जिसकी वजह से एम्बुलेंस को आने जाने में काफ़ी कठिनाई होती है साथ ही वहां पर कई बार एक्सीडेंट भी होता है.

अभी से कुछ दिनों पहले ही बिहार के ऊपर एक वेब सीरीज बनी जिसका नाम है ‘ख़ाकी’. उसके गाने की एक प्रसिद्ध लाइन है

"आइए ना हमरा बिहार में ". वास्तव में लोगों को बिहार आना चाहिए और यहां आकर बिहार सरकार के द्वारा उनकी बुनियादी लचर व्यवस्थाओं को देखकर अनुमान लगाना चाहिए कि बिहार के लोगों का और ख़ासकर गरीब लोगों का जीवन यापन कैसे संभव हो पाता है. 

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बिहार में कहीं अच्छे स्कूल हैं तो किताबों का अभाव है. कहीं पर शिक्षकों का अभाव है. अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टरों की कमी है. कहीं अस्पताल अच्छे बने हैं तो वहां तक जाने वाली सड़क ही खराब है. कुछ ऐसा ही हाल पटना के एम्स अस्पताल जाने वाली रोड का है.

सड़क फुलवारी से एम्स की ओर जाती है, वहां पिछले 4 सालों से इस रोड पर पानी जमा है. सड़क पर जमा यह पानी अलग हिस्सों में काफ़ी ज़्यादा है. बिहार में नगर निगम का चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में यह सवाल उतना बेहद लाज़मी है कि पिछले 4 सालों से निगम ने इतनी महत्वपूर्ण सड़क को लेकर लापरवाही क्यों बरती? आपको बता दें कि जिन क्षेत्रों में पानी का जमाव है वह नगर पंचायत के अंतर्गत भी आता है और नगर परिषद के अन्तर्गत भी आता है.

नगर परिषद की जवाबदेही है ज़्यादा

फुलवारी शरीफ से होकर यह रोड AIIMS तक जाती है. दरअसल यह एक नेशनल हाईवे है और इस वजह से इसके अधीन आने वाली समस्याओं की जवाबदेही नगर पंचायत की नहीं बल्कि नगर परिषद की है. नगर परिषद को यह जवाब देने की आवश्यकता है कि आखिर इतना समय एक मेन हाईवे पर सालों से हो रहे जलजमाव को ठीक करने में क्यों लग रहा है?

हमने एक स्थानीय दुकानदार राकेश से बात की जो वहां एक मेडिकल की शॉप चलाते हैं. उन्होंने बताया कि-

"इसमें नगर पंचायत क्या करेगी? नगर पंचायत तो अपना काम कर ही रही है. आप अंदर जाकर देखिए गलियों का हाल बहुत अच्छा है. लेकिन रोड पर हुए इस जलजमाव को ठीक कराना तो नगर निगम की जिम्मेदारी है. हमने कई बार आवेदन भी दिए हैं लेकिन उस पर कोई काम नहीं किया गया."

विधानसभाओं में आता है यह पूरा क्षेत्र

पटना के एम्स तक जाने वाला यह रास्ता 2 विधानसभाओं में पड़ता है. इसमें से एक है फुलवारी विधानसभा जहां से विधायक हैं गोपाल रविदास और दूसरा है दानापुर विधानसभा- जहां से विधायक हैं- रीतलाल यादव.

विधानसभाओं में आने वाले इस क्षेत्र के ऊपर यहां के ही जनप्रतिनिधि ने इसे अपने हाल पर छोड़ दिया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्होंने कई बार आवेदन भी अपने-अपने जनप्रतिनिधियों को दिया है लेकिन उस पर किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया गया. वहां मौजूद एक साइकिल दुकानदार से हमने बात की. उन्होंने बताया कि-

"विधायक जी को कई बार हम लोगों ने ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने इस पर पूर्ण समाधान देने की बात भी कही है. लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो सका है. हमलोग 4 साल से इस परेशानी को झेल रहे हैं. आने-जाने में भी हम लोगों को काफी दिक्कत होती है."

अक्सर होती रहती है दुर्घटना

जलजमाव की समस्या से 5 दिन वहां के स्थानीय लोगों के साथ किसी न किसी प्रकार की दुर्घटना हो जाती है. ख़ासकर रात के समय वहां से गुजरने वाले लोगों को और सड़क पार करने वाले लोगों को पानी के नीचे मौजूद ईटें और पत्थर दिखाई नहीं देते जिसकी वजह से वह गिर जाते हैं. इस विषय पर हमने वहां के स्थानीय व्यक्ति रामप्रवेश से बात की. उन्होंने हमें बताया कि-

“परसों भी यहां एक महिला स्कूटी से आ रही थी और पानी के अंदर मौजूद ईटां और पत्थर जो उसे नहीं दिखा और वह स्कूटी सहित पानी में गिर गई. उसने अपने परिवार के लोगों को बुलाया तब वे लोग उसे उठाकर ले गए. इस प्रकार की कई घटनाएं जो यहां समान रूप से घटती रहती हैं.

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एंबुलेंस को भी आने-जाने में होती है समस्या

पटना एम्स अस्पताल होने की वजह से आपातकालीन सेवा के तहत कई एंबुलेंसों काइस रास्ते पर आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में जलजमाव से अस्पताल की एंबुलेंस सेवा भी काफी प्रभावित होती है. हम सभी जानते हैं कि किसी भी रास्ते से एंबुलेंस को काफी तेजी में निकलना होता है ताकि वह समय रहते मरीज को अस्पताल तक पहुंचा सके. लेकिन इस रास्ते से गुजरते हुए एंबुलेंस भी अपनी गति धीमी कर लेता है. उस रास्ते सब्जी खरीद रहे एक व्यक्ति शंभू जी से हमने बात की. उन्होंने बताया कि-

"एंबुलेंस को भी इस रास्ते से जाने में काफी दिक्कत होती है. रात के समय पानी के अंदर अगर कोई पत्थर हो तो वह दिखाई नहीं देता जिसकी वजह से कई बार एंबुलेंस गति में होने की वजह से वह पत्थर पर चढ़ जाता है और ड्राइवर का संतुलन बिगड़ जाता है. इससे अंदर बैठे मरीज को भी चोट लगती है. एक बार मेरे परिजन को भी इस समस्या का सामना करना पड़ा था. इसका समाधान होना बेहद जरूरी है."

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आमतौर पर नेता-मंत्री नहीं करते इस रास्ते का इस्तेमाल

वहां मौजूद लोगों ने बताया जब भी किसी नेता को यहां से गुजरना होता है तो वह दीघा के एलिवेटेड रोड के सहारे एम्स की तरफ जाते हैं. इस रास्ते से होकर नहीं जाते हैं. सीएम का काफिला भी कई बार हवाई-मार्ग या हेलीकॉप्टर से ही चला जाता है. नेता मंत्री भी जानते हैं कि इस रास्ते में समस्या है इसलिए वह यहां से गुजरने नहीं चाहते. वहां मौजूद एक स्थानीय दुकानदार सुभाष ने हमें बताया कि-

"नेता मंत्री क्यों आएंगे इस रास्ते. वह भी अपने किए गए वादे को भूल जाते हैं और बाद में जनता को अपना चेहरा दिखाना नहीं चाहते. बड़े-बड़े वीआईपी लोग कोने से ही अस्पताल की तरफ निकल जाते हैं लेकिन इस रास्ते पर कोई आकर हमारा दर्द देखना नहीं चाहता."

नाली का पानी आ जाता है सड़क के ऊपर

फुलवारी एम्स रोड पर नाले का पानी जमा रहता है जिस वजह से यहां बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है. पानी कई दिन तक स्थिर रह जाने के कारण उसमें बदबू और कीड़े भी लग जाते हैं. इसी गंदे पानी से होकर लोगों को सड़क पार करनी पड़ती है. जब सामान्य दिन इस रूट की ऐसी स्थिति रहती हो तो बारिश के दिन में कितना जल जमा होता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

जल्दी ढूंढना होगा कोई स्थाई उपाय

फुलवारी शरीफ से एम्स के रास्ते जाने वाली सड़क पर होने वाले जलजमाव को लेकर जल्दी सरकार और नगर निगम को एक स्थाई समाधान ढूंढने की आवश्यकता है. एक तरफ सरकार बिहार के विकास की बात करती है तो दूसरी तरफ 4 सालों से पटना के एक बेहद प्रमुख स्थान और नेशनल हाईवे पर जलजमाव की समस्या बनी हुई है. इससे कहीं ना कहीं सरकार के किए गए वादों पर सवाल खड़े होते हैं. सरकार को चाहिए कि नाले के पानी की निकासी के लिए एक सटीक व्यवस्था करें ताकि फुलवारी और दानापुर के लोगों को इस दैनिक दयनीय समस्या से जल्द से जल्द निजात मिल सके.

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