बिहार: कई विभागों को मिला ‘अनुपूरक’ बजट, जानिये किस विभाग में मिलेगी अतिरिक्त राशि

राज्य सरकार चालू वितीय वर्ष 2022-23 में दूसरे अनुपूरक बजट के तहत 19,049 करोड़ रूपए ख़र्च करेगी. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानमंडल के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन अनुपूरक बजट पेश किया.

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पल्लवी कुमारी
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राज्य सरकार चालू वितीय वर्ष 2022-23 में दूसरे अनुपूरक बजट के तहत 19,049 करोड़ रूपए ख़र्च करेगी. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानमंडल के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन अनुपूरक बजट पेश किया.

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इस बजट के वार्षिक स्कीम मद में 15544.85 करोड़ रूपए, वहीं स्थापना एवं प्रतिबद्ध खर्च मद में 3502.12 करोड़ रूपए ख़र्च किए जाएंगे.

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क्या होता है अनुपूरक बजट

मुख्य रूप से अनुपूरक बजट राज्य सरकार तब आवंटित करती हैं जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशी कम पड़ जाती है. ऐसे में राज्य सरकार वित्तीय वर्ष ख़त्म होने से पहले ही एक छोटा बजट सदन में पेश करती है जिसे अनुपूरक बजट कहा जाता है.

यहां सरकार को इस बात का भी हिसाब देना होता है कि अनुपूरक बजट में आवंटित की गई  राशि सरकार किन स्रोतों से पूरा करने वाली है अथार्त किन स्रोतों से सरकार को यह राजस्व मिलने वाला है.

किस विभाग में कितना आवंटन?

केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (केंद्रांश) के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 174 करोड़, मिशन शक्ति योजना के लिए 62.76 करोड़, एकीकृत बाल विकास योजना के लिए 58.09 करोड़ रूपए तय किये गए हैं.

वहीं केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (राज्यांश) के तहत समग्र शिक्षा अभियान के लिए 1389.70 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 1020 करोड़, राष्ट्रिय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 476 करोड़, एकीकृत बाल विकास स्कीम के लिए 51.73 करोड़ तय किया गया है.

स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद में पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ के लिए 1136 करोड़, वेतन मद के लिए 591 करोड़, सूखाग्रस्त जिलों के प्रभावित परिवारों के लिए 630 करोड़ और सड़क के रखरखाव के लिए 590 करोड़ खर्च किया जाएगा.

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शैक्षणिक भवनों के निर्माण और रखरखाव पर खर्च होंगें अतिरिक्त मद

दुसरे अनुपूरक बजट में शैक्षणिक भवनों के निर्माण और रखरखाव के लिए भी बजट पेश किया गया है. राज्य के आईटीआई कॉलेजों के भवन के निर्माण पर 344 करोड़, उच्च माध्यमिक विद्यालयों के स्थापन पर 200 करोड़, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विकास पर 149.39 करोड़ और समस्तीपुर-सारण-पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निर्माण पर 100 करोड़ रूपए खर्च होंगे. पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिए 100 करोड़ रखा गया है. 

वहीं स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड पर 400 रूपए अतिरिक्त खर्च किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही विद्यालय के अन्य कार्यक्रम के लिए 92.7 करोड़ रूपए खर्च किये जाएंगे. 

2022-23 में जारी किया 39 हजार करोड़ का शिक्षा बजट

इस वर्ष शिक्षा के ऊपर ख़र्च करने के लिए बिहार सरकार द्वारा 39,191.87 करोड़ का बड़ा बजट पेश किया गया था. वहीं पिछले वर्ष 38,035.93 करोड़ का शिक्षा बजट पेश किया गया था. कागज़ी तौर पर तो यह आंकड़ें बहुत मायने रखते हैं लेकिन धरातल पर इसके परिणाम क्या हैं? क्या यह आंकड़ें ज़मीनी सच्चाई से मेल खाती है, तो इसका जवाब है नहीं.

कटिहार के गोसाईं टोले कें प्राथमिक विद्यालय की जर्जर स्थिति सरकार के बजट को अंगूठा दिखाने के लिए काफ़ी हैं. इस प्राथमिक स्कूल के भवन में बच्चों की सुरक्षा के लिए न तो चाहरदीवारी है और न ही बच्चों के लिए शौचालय मौजूद है.

इसी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा लक्ष्मी कुमारी बताती हैं

“स्कूल में शौचालय नहीं है. हमलोग को अगर क्लास के बीच में शौचालय जाना होता है तो खेत में जाते हैं. स्कूल में एक बाथरूम है लेकिन टीचर सब जाने नहीं देते हैं. कहते हैं बाहर खेत में जाओ.”

वहीं एक अन्य छात्रा बताती है

“क्लास में दीमक लगा हुआ है. गेट और दीवार (बाउंड्री) भी नहीं है. यहां पढ़ाई करने में बहुत डर लगता है. टीचर को बोलते हैं तो हमलोग को डांटते हैं.”

ग्रामीण प्राथमिक स्कूल की बदहाली के कारण चिंतित हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित भी हैं. ग्रामीण कहतें हैं

“स्कूल में शौचालय और बाउंड्री नहीं है. बच्चे स्कूल से निकलकर खेत और सड़कों पर शौचालय जाते हैं. अगर कहीं कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका ज़िम्मेवार कौन होगा. सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए.”

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आज भी स्कूल भवन के लिए तरस रहे बच्चे

सिवान सदर प्रखंड के करमपुरा पंचायत के आजाद बस्ती मोहल्ले में साल 2018 में प्राथमिक विद्यालय बनाया गया है. 65 बच्चों वाला यह स्कूल पहले झोपड़ीनुमा कमरे में चलाया जाता था. लेकिन साल 2018 में ग्रामीणों और शिक्षकों के सहयोग से एक पक्के करकट के कमरे का निर्माण किया गया है जिसमें अब विद्यालय चलाया जा रहा है.

इस विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक उपेन्द्र सिंह बताते हैं

“बहुत परेशानी है. विद्यालय के पास भवन नहीं है. किसी तरह एक करकट के रूम में क्लास चला रहे हैं. गर्मीं के मौसम में बहुत गर्मी लगता है. पीने का पानी और शौचालय भी नहीं है. किसी तरह काम चला रहे हैं.”

उपेन्द्र आगे बताते हैं

“भवन के लिए कई बार विभाग को लिख चुके हैं. विद्यालय के पास भूमि है उसका एनओसी (NOC) भी जमा कर चुकें हैं. शौचालय निर्माण के लिए भी आवेदन दिए हैं. लेकिन अभी तक केवल आश्वासन मिल रहा है.”

वहीं राजधानी पटना के स्कूलों की स्थिति भी कुछ ख़ास बेहतर नहीं है. कई माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालय एक ही भवन में संचालित किए जा रहे हैं. साथ ही उन विद्यालयों में भवन और शौचालय की स्थिति भी काफ़ी ख़राब है.

अगर शैक्षणिक स्तर को देखा जाए तो वहां भी कई कमियां मौजूद हैं. जैसे- शिक्षकों की कमी, किताबों की कमी, लैब के नाम पर खानापूर्ति करने वाले कमरे इत्यादि. डेमोक्रेटिक चरखा की टीम लगातार इन मुद्दों पर काम करती रही है.

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आवंटित राशि ईमानदारी से खर्च हो

ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने वाले ग़ालिब खान अनुपूरक बजट को केवल पॉलिटिकल स्टैंड मानते हैं. ग़ालिब खान का कहना है

“आजतक किसी भी सरकार ने शिक्षा को ध्यान में रखकर अपना चुनावी घोषणा पत्र नहीं बनाया है. क्योंकि नेताओं को अपना भविष्य शिक्षित समाज में नहीं बल्कि अशिक्षित समाज में ज़्यादा उज्जवल दिखाई पड़ता है.”

ग़ालिब खान आगे कहते हैं

“शिक्षा के लिए बजट बढ़ाना और सब्सिडीयरी बजट में भी इसके लिए बजट पास करना अच्छी बात है. लेकिन यहां यह देखना होगा की सदन से पास हुआ बजट किस-किस क्षेत्र में आवंटित किया जा रहा है. दूसरी बात कई बार यह देखा गया है कि बजट आवंटन के बाद भी उसे संबंधित कार्य में ख़र्च नहीं किया जाता है और एक तय समय के बाद यह वापस सरकार के ही खाते में आ जाता है.”

यहां सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि 100 रूपए दिए जा रहें हैं, तो पहले ईमानदारी से उस राशि को चाहे भवन निर्माण, कॉपी-किताब खरीदने के लिए राशि या शिक्षा के विकास के लिए जिन भी विभागों में दिया जा रहा है उसमें पहले पूरा खर्च किया जाए.

किन विकास योजनाओं में भी बढ़ा खर्च?

राज्य को मेट्रो सिटी बनाने के लिए के लिए राज्य सरकार और दिल्ली मेट्रो परियोजना के साथ साल 2019 में एमओयू (MOU) साइन किया गया है. राज्य सरकार अपनी स्कीम मद से भी इसमें राशि दे रही है. मंगलवार को सरकार द्वारा विधानमंडल में पेश किए गए 2022-23 में आय-व्यय से संबंधित द्वितीय अनुपूरक बजट में भी पटना मेट्रो के लिए राशि की मांग की गई है.

स्कीम मद से पटना मेट्रो रेल परियोजना के लिए राज्य स्कीम के 559 करोड़ का आवंटन किया जाना है. पटना मेट्रो परियोजना के तहत दानापुर से मीठापुर और पटना रेलवे स्टेशन से न्यू आइएसबीटी तक दोनों कॉरिडोर को सितंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. कुल 31.39 किलोमीटर लंबी पटना मेट्रो का दानापुर से मीठापुर का हिस्सा 16.94 किलोमीटर, जबकि पटना रेलवे स्टेशन से न्यू आइएसबीटी का हिस्सा 14.45 किलोमीटर लंबा है.

स्कीम मद में किस विभाग में ख़र्च होंगे पैसे?

मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना, हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने की योजना  पर 100 करोड़, जल जीवन हरियाली योजना पर 100 करोड़ खर्च किए जाएंगे. वहीं डीजल अनुदान के लिए 190 करोड़ खर्च किये जाएंगे.  

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