क्या फुलवारी में हुई गिरफ्तारियां अल्पसंख्यक समुदाय को दबाने की साज़िश है?

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गंगा- यमुना तहजीब और सूफी मत के प्रचीन केंद्र के रूप में जाना जाने वाला फुलवारी शरीफ मीडिया का केंद्र बिंदु बना हुआ है। बीते 12 जुलाई को पटना में विधानसभा शताब्दी समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम था। पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम में हिंसा फैलाने के प्रयास किया गया था। उसके बाद पुलिस टीम बिहार के कई इलाके के अलग-अलग मोहल्ले में छापेमारी कर रही है। 

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पुलिस के मुताबिक 26 नामज़द समेत कई अन्य के खिलाफ आतंकी साजिश करने के लिए जेहादी ट्रेनिंग व टेरर फंडिंग देने जैसे गंभीर आरोप लगाकर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अब तक अतहर परवेज़, मोहम्मद जलालुद्दीन, अरमान मलिक, असगर अली और नूरुद्दीन जंग नाम के पांच ‘संदिग्ध चरमपंथियों’ को गिरफ़्तार किया गया है। जुलाई से अभी तक कई बार गिरफ्तार सभी पांच लोगों के घरों पर छापामारी कर परिजनों से लगातार सघन पूछताछ किया जा चुका हैं। 

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वहीं क्षेत्रीय और प्रदेश मीडिया के द्वारा एकतरफा ढंग से जिस प्रकार इस घटना को लेकर न्यूज़ परोसा जा रहा है, आशंकित करने वाला है। जिसके विरोध में इंसाफ मंच बिहार, ऑल इंडिया पीपल्स फोरम व भाकपा माले के द्वारा परस्पर विरोध किया जा रहा है। 

‘फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल’ फ़र्ज़ी और प्रायोजित!

‘फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल’ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का घिनौना खेल है। भाजपा व एनडीए सरकार की 2024 का चुनावी एजेंडा समझ लीजिए। सुनियोजित ढंग से पूरे मुसलमानों को आतंकी साबित कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पुरज़ोर कवायद जारी है। मीडिया इसमें अहम भूमिका निभा रही है। मतलब अधिकांश ‘मीडिया ट्रायल’ द्वारा सभी ‘संदिग्धों’ को मुजरिम करार दिया जा चुका है। लेकिन वो नहीं जानते कि फुलवारी गंगा- यमुना तहजीब व सूफी संतों का शहर है, हम इसे बदनाम करने की भाजपा की साजिश को बेनकाब करेंगे।

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भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम बताते है। 

फुलवारी शरीफ़ में आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए लोगों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं

महागठबंधन ने कई मौके पर फुलवारी शरीफ़ वाले मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया। और पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए सभी लोगों के परिजनों से भाकपा-माले, एआईपीएफ और इंसाफ मंच के सदस्य मिलें। साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन से लोगों को आतंकित किये जाने पर रोक लगाने की मांग की।

इस अभियान में शामिल भाजपा माले के नेता और फुलवारी विधायक कॉ. गोपाल रविदास बताते हैं कि

स्थानीय अखबार और वेब पोर्टल के द्वारा बार-बार आतंकवाद के नाम पर फुलवारी शरीफ को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। यदि सबूत कोर्ट को ही दिए जा सकते हैं, तो अखबारों में किस सोर्स और कैसे खबरें छप रहीं हैं, ASP को बताना चाहिए? सरकार पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारीशरीफ को टारगेट करने वाले विचारों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर कार्रवाई करें।

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हिंदू राष्ट्र बनाने की दिन-रात कसमें खाने वाले को प्रशासन कब गिरफ्तार करेगी

फुलवारी शरीफ के स्थानीय निवासी और वेब पोर्टल पत्रकार सन्नी पूरे बिहार में बहुजन पत्रकारिता के जरिए अपना काम कर रहे है। सन्नी बताते हैं कि

अभी तक  एएसपी मनीष कुमार कोर्ट के सामने कोई भी ठोस सबूत नहीं दिखा सके हैं। पुलिस के द्वारा कहा गया कि जलालुद्दीन खां द्वारा किराए पर दी जाने वाली जगह पर आतंकी व देशविरोधी गतिविधियां चलाने की जानकारी हमलोगों को पहले से थी, तो उसने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की?

“इन दोनों के साथ मरगुब को इसलिए गिरफ्तार किया गया है क्योंकि वह गजवा-ए-हिंद के कुछ व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था। सोशल मीडिया पर तो यह भी वायरल किया गया है कि वह अक्सर विदेश जाया करता था। सच यह हैं कि मरगुब 75 प्रतिशत मानसिक तौर पर बीमार है, उसे मोबाइल का एडिक्शन है। साथ ही वह कभी विदेश नहीं गया। बाकी पता नहीं  देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिन-रात कसमें खाने वाले और संविधान की हत्या करने वालों के बारे में प्रशासन चुप क्यों है?”

21 जुलाई के अलावा 7 अगस्त के दिन भी फुलवारीशरीफ में भाकपा-माले, एआईपीएफ और इंसाफ मंच की ओर से नागरिक मार्च निकाला गया और प्रदर्शन के जरिए अपनी मांगों को सरकार के पास रखा है। भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल अपने तीनों मांगों को बताते हैं कि

प्रशासन गिरफ्तार सभी गिरफ्तार 5 आरोपितों के बारे में सबूत पेश करे, ताकि कोई भी निर्दोष बेवजह परेशान ना हो। सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के नाम पर पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारीशरीफ को टारगेट करने वाले विचारों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर कार्रवाई की जाए। अंतिम मांग यह हैं कि मुख्यमंत्री साहब अपनी चुपी तोड़ें और मामले की अपने स्तर से जांच कराएं। अब तो वह गठबंधन वाले विचार से भी स्वतंत्र हो चुके हैं।

क्या एसडीपीआई अवैध संगठन है?

अतहर परवेज़ के पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़ाव को लेकर सवाल पर उसके परिवार के एक दूर के सदस्य ने पलटकर पूछा, आप ही बताएं कि क्या एसडीपीआई कोई अवैध संगठन है?

वहीं जलालुद्दीन के बेटे अपने पिता का पीएफआई व एसडीपीआई के साथ संबंध को नकारते हैं।

वहीं पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए अतहर परवेज के भाई शाहिद परवेज बताते हैं कि

इससे पहले हमारे भाई मंजर परवेज को भी गिरफ्तार किया गया था और फिर उनकी बाइज्जत रिहाई भी की गई। सोशल मीडिया पर हमारे परिवार के बारे में गलत प्रचार किया जा रहा हैं कि हम लोग गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में शामिल थे।

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जानकारी के लिए बता दूं कि इस तथ्य को एएसपी ने भी स्वीकार किया है। 

SDPI के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद और राष्ट्रीय महासचिव इलियास मोहम्मद मिडिया मीडिया को बताते हैं कि

पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और बिल्कुल झूठे हैं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया पुलिस की मिलीभगत और विश्वासघाती कार्रवाई की निंदा करती है। यह पार्टी को बदनाम करने और पार्टी को मुख्यधारा से अलग करने की साजिश का हिस्सा है। एसडीपीआई इस साजिश के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी और साबित करेगी कि किस तरह पार्टी को बदनाम करने के लिए साजिशें रची जाती हैं।

सिर्फ बीबीसी, एनडीटीवी और वायर को इंटरव्यू देंगे

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था कि अभियुक्तों के घर के आगे एक पोस्टर टंगा हुआ है। उसमें लिखा हुआ है कि हमको बस एनडीटीवी, वायर और बीबीसी से बात करनी है। परिवार वालों ने बताया कि मीडिया ऐसे लिख रहा है जैसे वो इस देश के निवासी ही नहीं हैं। अभी आरोप साबित नहीं हुए और उन्हें मीडिया दोषी ठहरा चुकी है। बिकी हुई मीडिया एकतरफा बात कह रही है। 

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पूरा मामला जानिए 

बिहार पुलिस ने 11 जुलाई की रात पटना के फुलवारीशरीफ़ इलाक़े से झारखंड पुलिस का रिटायर्ड दरोगा मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेजट को गिरफ़्तार किया। इन दोनों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया। जानकारी के लिए बता दूं कि गिरफ़्तार किए गए अतहर परवेज़ के सगे भाई मंज़र पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट मामले में अभियुक्त हैं। फिर अरमान मलिक और शनिवार यानी 16 जुलाई को पेशे से वकील नूरुद्दीन जंगी को लखनऊ से गिरफ़्तार किया।  

फिर 20 जुलाई को जांच-पड़ताल के बीच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के दस्ते ने इसी कड़ी में असगर अली नाम के शख्स को अरेस्ट किया। पुलिस के मुताबिक ये चारों लोग इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) और राजनीतिक पार्टी एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया) से जुड़े बताए गए हैं। 

आरएसएस से तुलना पर विवाद

इस पूरे वाकया के बीच एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने प्रेसवार्ता के दौरान अभियुक्तों के काम करने के तरीक़े की तुलना आरएसएस से कर दी। एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि जिस तरह आरएसएस की शाखा में स्वयं सेवकों को शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है, उसी तरह पकड़े गये लोगों को भी मस्जिद में प्रशिक्षण दिया जा रहा था। 

एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों के इस बयान के बाद बीजेपी कोटे के मंत्री सम्राट चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब लोकसभा सीट से सांसद रविशंकर प्रसाद और सुशील मोदी एसएसपी से माफी मांगने की मांग कर दिए वही आरजेडी और हम पार्टी ने एसएसपी के बयान का समर्थन किया। आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने एसएसपी के बयान का साथ देते हुए कहा था कि, “एसएसपी ने प्रशिक्षण में समानता की बात की है, आखिर RSS पर दो बार बैन क्यों लगा था। आखिर क्यों इस बयान पर एक्शन लेने की बात हो रही है।”