पटना शहर में कई स्थानों पर सरकार के द्वारा ई-टॉयलेट की सुविधा आम लोगों को उपलब्ध कराई गई है. यह सुविधा पटना में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दी गई है.
आखिर क्या है ई-टॉयलेट
ई-टॉयलेट एक प्रकार का सार्वजनिक शौचालय है जिसे आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक शौचालय या ई-शौचालय भी कहा जाता है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत ई-टॉयलेट का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए काफी अनुकूल है. इसे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के द्वारा पैसे डाले जाने के बाद शौचालय का दरवाजा खुलता है और इस्तेमाल के उपरांत स्वचालित रूप से फ्लश हो जाता है.
इसके अलावा इसकी आंतरिक संरचना में प्लास्टिक रीसाइकलिंग क्राइबी शीट का उपयोग किया जाता है. यह टॉयलेट इस्तेमाल कर रहे व्यक्ति को ऑडियो के जरिए जरूरी निर्देश देता है. 3 मिनट के इस्तेमाल के बाद यह खुद ही 1.5 लीटर पानी फ्लश करता है और ज्यादा देर होने पर 4.5 लीटर पानी फ्लश करता है.
लगभग 1 वर्ष बाद भी नहीं पूरा किया जा सका ई- टॉयलेट निर्माण का लक्ष्य
बिहार सरकार के द्वारा पिछले वर्ष ई-टॉयलेट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया था. सरकार के द्वारा बनाए गए इस ई-टॉयलेट में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग टॉयलेट हैं. इसके लिए चयनित एरिया में आधुनिक स्मार्ट टॉयलेट के लिए टेंडर भी निकलवाया गया था.
सरकार के द्वारा यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पटना के तहत शुरू कराया गया था जिसका लक्ष्य अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. इसके लिए सरकार ने 4.30 करोड़ का बजट भी निर्धारित किया थामिली जानकारी के अनुसार शहर में अब तक केवल 21 ई-टॉयलेट ही बनकर तैयार हुए हैं जबकि लक्ष्य 40 का रखा गया था. इस विषय पर हमें वहां पर काम करने वाले एक सफाईकर्मी ने बताया कि
मेरी जानकारी में तो सर पूरे पटना में करीब 21 ई टॉयलेट ही बने हैं बाकी 19 पर अभी काम चल रहा है. सुनने में आया है कि वह भी जल्दी बनकर तैयार हो जाएंगे
ई- टॉयलेट इस्तेमाल करने में आ रही हैं तकनीकी समस्याएं
पटना में बने सभी ई-टॉयलेट की जांच हमारी टीम ने की. इस दौरान हमने गांधी मैदान और बोरिंग रोड स्थित ई-टॉयलेट में कई प्रकार की तकनीकी खामियां भी पाईं. हमने पाया कि कई ऐसे ई-टॉयलेट हैं जिनमें पैसे फंस जाता है. तकनीकी समस्या की जांच करने के लिए हमारी टीम ने खुद ई-टॉयलेट इस्तेमाल किया. जब हमारी टीम के एक सदस्य ने उसमें पैसे डालें तो पैसे कट गए लेकिन दरवाजा नहीं खुला. थोड़ी देर इंतजार करने के बावजूद भी दरवाजा नहीं खुल पाया.
डिजिटल डिस्पले भी नहीं है उपयोगी
इसके अलावा किसी व्यक्ति के अंदर नहीं होने पर भी डिजिटल डिस्पले पर "टॉयलेट इन यूज" दिखाई देता है जिससे दुसरे लोगों को यह लगता है कि शौचालय किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा होगा. कुछ ऐसा ही हाल बोरिंग रोड में बने ई-टॉयलेट का भी था.
आम लोग भी कर रहे गलत तरीके से इस्तेमाल
पटना के गांधी मैदान के गेट नंबर-10 के सामने बनाया गया टॉयलेट खराब हो चुका है. इसके पीछे का कारण लोगों द्वारा उसे गलत तरीके से इस्तेमाल करना बताया जा रहा है. बोरिंग रोड पर बने ई-टॉयलेट की सफाई करने वाले सफाईकर्मी ने हमें बताया कि
कुछ लोग पैसे डाल कर थोड़ी देर इंतजार नहीं करते बल्कि गेट को जोर-जोर से धक्का देने लग जाते हैं जिससे गेट का लॉक सिस्टम थोड़ा ढीला हो जाता है और कई जगह पर तो खराब भी हो गया है. लोग इस्तेमाल करना नहीं जानते इस वजह से भी कई ई-टॉयलेट खराब पड़े हैं.
नशा करने वाले लड़कों का बन चुका है अड्डा
बोरिंग रोड एन कॉलेज के पास बने ई-टॉयलेट की सफाई करने वाले सफाईकर्मी ने हमें इसकी जानकारी देते हुए बताया कि
यहां पर कई ऐसे नौजवान और कम उम्र के लड़के आते हैं जो इसके अंदर बैठकर सिगरेट और गांजा भी पीते हैं. कभी-कभी पूरे दिन इतने सिगरेट के फिल्टर टॉयलेट रूम में फेंके रहते हैं कि गिनना मुश्किल हो जाता है. हमलोग मना भी करते हैं तो हमें धमका कर चले जाते हैं.
नगर निगम से नहीं मिली ई-टॉयलेट की संख्या की जानकारी
पटना में बने ई-टॉयलेट की वर्तमान संख्या की जानकारी और रख रखाव की योजना के बारे में जानने के लिए जब हमने पटना के नगर निगम आयुक्त को और डिप्टी कमिश्नर को फोन करने का प्रयास किया तो उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया.