हीट वेव या लू लगने से मौत का आंकड़ा पिछले 1 हफ़्ते में बढ़ा है. भले प्रशासन हीट वेव से मौत के आंकड़ों पर इंकार करें, लेकिन डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने कई शमशान घाटों से आंकड़ें जुटाए हैं. जैसे प्रशासन ने कोरोना से मौत के आंकड़ों से इंकार किया था ठीक वैसे ही वो इस आंकड़े से भी इंकार कर रहे हैं. वजह, सरकार फिर से अपनी नाकामयाबी छुपा रही है. सरकार ये छुपा रही है कि चेतावनी के बावजूद उन्होंने कोई एक्शन प्लैन तैयार नहीं किया. पढ़िए डेमोक्रेटिक चरखा की ग्राउंड रिपोर्ट.
इस वर्ष राज्य में पड़ रही गर्मीं ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड भी तोड़े हैं. शनिवार 17 जून को बिहार का शेखपुरा देश के सबसे गर्म 20 जिलों में से एक रहा था. यहां पर अधिकतम तापमान 45.1 डिग्री दर्ज किया गया था. वहीं इससे पहले 3 मई को राजधानी पटना ना केवल बिहार बल्कि पूरे देश की सबसे गर्म राजधानी थी. जहां दिन का तापमान 42.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे ज़्यादा रहा है. इसी दिन दोपहर 12.30 से दो बजे तक पारा 44 डिग्री पहुंच गया था.
पिछले एक हफ़्ते की बात की जाए तो राजधानी पटना का तापमान 40 से 43 डिग्री के बीच रह रहा है. इस दौरान राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में भीषण गर्म हवाएं चल रही है जिसके कारण लोग लू की चपेट में आ रहे हैं.
20 जून को लू लगने से 10 लोगों की मौत
सोमवार 20 जून को लू की चपेट में आने से 10 लोगों की मौत हो गयी है. इससे पहले शनिवार को भी लू की चपेट में आने से अलग-अलग जिलों के 5 लोगों की मौत हो गयी थी.
रविवार 19 जून को सीवान के हुसैनगंज थाने के पीटीसी दारोगा ड्यूटी पर थे. जहां हीट वेव की चपेट में आने से उनकी तबियत ख़राब हो गयी. तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी. डॉक्टर के अनुसार जब उनके शरीर का तापमान मापा गया तो उस समय वह 108 डिग्री फारेनहाइट था.
वहीं नालंदा के कतरीसराय थाने में तैनात एएसआई सुभाष यादव की मौत भी ड्यूटी के दौरान लू लगने से हो गयी. बक्सर, नवादा, सासाराम में भी दो-दो लोगों की मौत हो गयी है.
लू के चपेट में आने से पटना में एक दिन में 35 लोगों की मौत
भीषण धूप और गर्मी के कारण राजधानी पटना में पारा 44 डिग्री तक पहुंच गया है. सोमवार 19 जून को राजधानी पटना का पारा 43.2 डिग्री दर्ज किया गया. भीषण गर्मी और हीटवेव की चपेट में आने से लोग बीमार हो रहे हैं और अपनी जान भी गवां रहे हैं.
पटना के तीन बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच, एनएमसीएच और आईजीआईएमएस में लू के कारण बीमार हुए मरीज़ भर्ती हो रहे हैं. इनमें 19 मरीज की मौत एनएमसीएच में और 16 की मौत पीएमसीएच में हो गयी है. यही नहीं, हीटवेव से पीड़ित 110 मरीज पीएमसीएच में और 105 मरीज एनएमसीएच में भर्ती कराए गए हैं.
हालांकि एनएमसीएच (NMCH) के सुप्रीटेंडेंट डॉ राजीव रंजन ठाकुर लू लगने के कारण किसी भी व्यक्ति की मौत से इंकार करते हैं. डॉ ठाकुर कहते हैं
क्लासिकल ‘लू’ जो शब्द है अगर इसके कारण मौत की बात की जाए तो अभी तक एक भी व्यक्ति की मौत लू लगने के कारण नहीं हुई है. हीट यानि गर्मी के कारण पहले से बीमार लोगों की बीमारी बढ़ गयी है, वैसे मरीज ही अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. लू लगने के कारण व्यक्ति के शरीर का तापमान बढ़ जाता है या उसको पसीना नहीं आता है. अभी तक ऐसी किसी समस्या से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. हीट से संबंधित बीमारी (heat related illness) और लू (heat stroke) दो अलग-अलग बीमारी है. गर्मी बढ़ने के करण पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त मरीज़ों की परेशानी बढ़ गयी है.
पिछले एक सप्ताह में तापमान में वृद्धि और लू (गर्म हवा) चलने के कारण लोगों की मौत हो रही है. लेकिन अधिकारी मौत का कारण लू मानने से इंकार कर रहे हैं. डेमोक्रेटिक चरखा ने पटना के सीविल सर्जन से पिछले एक हफ़्ते में लू लगने के कारण हुई मौतों का आंकड़ा मांगा. लेकिन सीविल सर्जन डॉ श्रवण कुमार लू लगने के कारण जिले में एक भी मौत नहीं होने की बात कह रहे हैं.
डॉ श्रवण कहते हैं
पटना जिले में लू लगने के कारण एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. मेरे पास कल (19 जून) शाम तक का डाटा मौजूद है. अभी तक 11 पेशेंट अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए और ठीक भी हो गये हैं. सभी अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं और बेड की व्यवस्था कर दी गयी है.
हमने पीएमसीएच और आईजीआईएमएस से भी लू पीड़ित मरीज़ों का आंकड़ा जानने के लिए संपर्क किया लेकिन काफ़ी कॉल करने के बाद भी जवाब नहीं दिया गया.
राजधानी पटना में तीन दिन में 26 की मौत लू लगने से हुई
आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लू लगने से राज्य के अलग-अलग जिलों से केवल 9 लोगों की मौत की जानकारी दी है. सरकार और अधिकारी लू लगने के कारण हुई मौत से भले इंकार कर रहे हों, लेकिन डेमोक्रेटिक चरखा ने पटना के दो श्मशान घाट से लू लगने से हुई मौत का डाटा पता किया है.
पटना नगर निगम द्वारा संचालित, बांसघाट स्थित श्मशान घाट के कर्मचारी लखन सिंह पिछले तीन दिनों में लू से हुई मौत का डेटा बताते हैं. बांसघाट में 15 से 18 तारीख तक 11 लोगों की मौत लू से हुई थी.
लखन सिंह बताते हैं
लू के कारण मौत का आंकड़ा इधर तीन-चार दिनों में ही बढ़ा है. कल ही एक व्यक्ति अपनी पत्नी को मुखाग्नि देकर जैसे ही ऊपर आये बेहोश होकर गिर गये. लोग जल्दी में उनको उठाकर हॉस्पिटल ले गये. सुबह से ही इतना गर्म हवा चलने लगता है की लोग बीमार हो जा रहे हैं.
वहीं गुलबी घाट में 15 से 18 तारीख के बीच 15 लोगों की मौत लू लगने के कारण हुई है. जिस समय डेमोक्रेटिक चरखा की टीम गुलबी घाट पहुंची थी वहां 5 लाशें जलने के लिए कतार में थी. जबकि तीन से चार लाशों को जलाया जा रहा था.
गुलबी घाट पर पटना नगर निगम के कर्मचारी अजीत कुमार बताते हैं
अप्रैल में 481, मई में 422 लोगों का अंतिम संस्कार यहां दर्ज किया गया है. जबकि जून महीने में 19 तारीख तक में ही 424 लोगों की मौत दर्ज किया जा चुका है. हो सकता है लू के कारण मौत के आंकड़े बढ़े हों क्योंकि इधर कुछ दिनों से ही लू से मौत के कारण दर्ज हो रहे हैं.
इधर लू के कारण मौत के बढ़े आंकड़ो के कारण घाटों पर लकड़ियों की कमी की बात सामने आ रही है. लेकिन गुलबी घाट पर लकड़ियों की दुकान चलाने वाले दुकानदार इन बातों से इंकार करते हैं. उनका कहना ये सब बाते केवल अफवाह है क्योंकि उनके पास लकड़ियों के पर्याप्त स्टॉक मौजूद हैं.
लकड़ी दुकानदार अजीत कुमार कहते हैं
इस तरह की बातें बिल्कुल झूठ है कि लकड़ी की कमी है. हमारे यहां तो हर तरह का लकड़ी उपलब्ध है. हालांकि एक बात यह भले है कि लोग अब लकड़ी के बजाए इलेक्ट्रिक के माध्यम से अंतिम संस्कार ज्यादा कर रहे हैं. जिससे हमारे रोजगार पर थोड़ा असर पड़ा है.
लू के मरीज़ों के लिए अलग व्यवस्था
हीट स्ट्रोक के बढ़ते केस और आने वाले दिनों में भी इसमें बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अस्पतालों को विशेष व्यवस्था रखने के निर्देश जारी किए हैं. शनिवार 17 जून को सभी जिलों के सिविल सर्जन के साथ हुए समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि “सभी अस्पताल में लू के मरीज़ों के इलाज की व्यवस्था दुरुस्त रखनी है. छोटे अस्पतालों में कम से कम एक बेड और बड़े अस्पतालों में एक वार्ड आरक्षित रखें. जहां एसी, पंखा, ओआरएस और दवाओं की व्यवस्था हो.”
हीट वेव को देखते हुए एनमसीएच में 10 बेड का इमरजेंसी स्पेशल लू वार्ड बनाया गया है. इसके साथ ही 24 बेड का अलग से एयर कंडिशनींग लू वार्ड बनाया गया है. जो पेशेंट रिकवरी स्टेज में रहेंगे उन्हें इस वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा.
पीएमसीएच में लू या हीट वेव से पीड़ित मरीज़ों के लिए 20 बेड के अलग वार्ड की व्यवस्था की गयी है.
लू में बाहर निकलना मजदूरों की मज़बूरी
कंकड़बाग का मलाही पकड़ी चौक, लेबर चौक के नाम से भी जाना जाता है. यहां रोज़ाना दो से ढाई सौ लोग काम की तलाश में आते हैं. इस भीषण गर्मी में जहां दिन के 8 बजे ही धूप तीखी हो जाती है. उसमें यहां सुबह के 10 बजे तक मजदूर काम मिलने का इंतजार करते हैं. काम मिलने के बाद अक्सर इन्हें बीच दोपहर में भी काम करना पड़ता है. जिसके कारण मजदूर लू का शिकार हो जाते हैं.
इतनी भीषण गर्मी में भी सरकार की मजदूरों के लिए कोई प्रशासनिक गाइडलाइन नहीं होने के कारण मजदूर भीषण गर्मी में काम करने को मजबूर हैं.
निम्नवर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के मजदूरों के स्वास्थ्य ज़रूरतों पर काम करने वाले डॉ शकील कहते हैं
इस भीषण गर्मी में कामगार मज़दूर जो धूप में काम करते हैं, उनके लिए सरकार को प्रशासनिक (administrative) कदम उठाने चहिए. क्योंकि सरकार सबसे बड़ी नियोक्ता (employer) है, उसके बहुत से प्रोज़ेक्ट में मज़दूर काम करते हैं. इसके साथ ही बहुत सारे छोटे-बड़े प्राइवेट प्रोजेक्ट में मज़दूर सीधे धूप में काम करते हैं. इसलिए इनके टाइमिंग में बदलाव और मजदूरी (wages) की गारंटी सुनिश्चित करनी चाहिए. साथ ही वर्क साइट पर ठंडे पानी, ओआरएस की व्यवस्था होनी चाहिए. बड़े कंसट्रकस्न साइट पर हेल्थ वर्कर भी रखने चाहिए ताकि तुरंत उपचार किया जा सके.
लू हो या शीतलहर मजदूर वर्ग काम की तलाश में बाहर निकलता ही है. अब ऐसे में यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि कैसे इन परिस्थितियों में काम करने के लिए बेहतर माहौल बनाया जाए. शहर में गर्मी से बचाव के लिए ना ही पर्याप्त प्याऊ और ना ही शेड की व्यवस्था की गयी है. ऐसे में केवल जागरूकता और बचाव के उपायों की जानकारी अख़बार और डिजिटल प्लेटफार्म पर जारी करने से सरकार की जवाबदेही खत्म नहीं होती है.