पटना: बिहार में सरकारी परीक्षाओं का पेपर लीक होना कोई नयी बात नहीं है. लेकिन इसकी वजह से बिहार की छवि और बच्चों का भविष्य बिगड़ चुका है. कब तक ऐसे बिहार में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा, BSSC paper leak.
बिहार में अब किसी राज्य स्तरीय सरकारी परीक्षा के प्रश्न पत्र का लीक हो जाना कोई नई बात नहीं रह गई है. एक ऐसा ही प्रश्न पत्र 23 दिसंबर को आयोजित बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) की परीक्षा का भी लीक हो गया. इस वजह से 23 दिसंबर के प्रथम पाली के तृतीय स्नातक स्तरीय परीक्षा को अब रद्द कर दिया गया है.
बिहार एसएससी (BSSC) की तरफ से यह कहा गया कि यह परीक्षा 45 दिनों में फिर से आयोजित की जाएगी. इसको लेकर छात्रों ने आंदोलन भी किया. सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र कुछ इस प्रकार वायरल हो रहा था जैसे मानो किसी सेलिब्रिटी की पिक्चर वायरल हो रही हो. बिहार सरकार की ओर से इस घटना को लेकर भी पुरानी चली आ रही नीति के तहत एक्शन लिया गया और आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को इसकी जांच सौंप दी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक बिहार में छात्रों के साथ हर परीक्षा में इस तरह का मजाक होता रहेगा?
सबसे पहले छात्र नेता दिलीप ने दी थी जानकारी
23 दिसंबर को बिहार एसएससी (BSSC) की परीक्षा प्रथम पाली में सुबह 10:00 से 12:15 बजे के बीच चल रही थी. छात्र नेता दिलीप कुमार बोरिंग रोड स्थित ए.एन कॉलेज सेंटर के पास परीक्षा खत्म होने के पश्चात पहुंचे.
वहां उन्होंने जब परीक्षार्थियों से लीक हुए प्रश्न को मिलाया तो पता चला कि बिल्कुल वही प्रश्न वायरल हुए जो परीक्षा के दौरान आए थे. ऐसे में उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी मीडिया और आयोग को दी जिसके बाद बिहार सरकार ने बिहार एसएससी के प्रथम पाली की परीक्षा रद्द कर दी.
लेकिन अब सवाल दूसरे और तीसरे चरण के एग्जाम पर भी उठ रहे हैं. पेपर लीक की बात कह दोनों चरण के एग्जाम को भी कैंसिल कराने की मांग उठ रही है. ऐसे में बीएसएससी (BSSC) ने तीन दिनों में दूसरे और तीसरे चरण के एग्जाम के क्वेश्चन पेपर के लीक होने का प्रमाण मांगा है
छात्र नेता दिलीप कुमार का कहना है कि
“आयोग को अन्य पालिओं की परीक्षा भी रद्द करनी चाहिए क्योंकि विभिन्न मीडिया संस्थानों पर अन्य पालियों के प्रश्नपत्र दिखाए जा रहे हैं. लेकिन आयोग ने प्रश्नपत्र लीक होने का सबूत देने के लिए तीन दिन का समय दिया है. मेरे पास जिस पाली के प्रश्नपत्र आए थे उसे आयोग को दे चुका हूं. मैं छात्र या जिनके पास अन्य पालिओं के सबूत हैं उसे आयोग को मेल करने का अनुरोध करता हूं.”
क्या कारण है कि बिहार की प्रतिष्ठित परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो जा रहे हैं. इस पर दिलीप कुमार कहते हैं
“सारा दोष केवल कर्मचारी या अधिकारी को नहीं दिया जा सकता है. जब खरीददार होगा तभी बेचने वाला भी होगा. यहां वैसे छात्रों का भी दोष है जो तैयारी किए बिना प्रश्नपत्र खरीदकर परीक्षा पास कर लेना चाहते हैं. वहीं कर्मचारियों का भी दोष है जो पैसे के लोभ में प्रश्नपत्र आउट कर देते हैं.”
दिलीप आगे कहते हैं
“बार-बार प्रश्नपत्र लीक होने और परीक्षा रद्द होने के कारण मेधावी छात्रों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि प्रश्नपत्र लीक होने के कारण परीक्षा का कटऑफ ज्यादा चला जाता है. वहीं परीक्षा रद्द होने से छात्रों का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उठाना पड़ता है.”
परीक्षार्थियों को होती है काफी परेशानी
आमतौर पर बिहार सरकार के द्वारा सभी आयोजित परीक्षाओं में परीक्षा-केंद्र छात्रों के अपने जिले में ना बनाकर किसी दूसरे जिले में बनाया जाता है ताकि परीक्षा में नकल की संभावना ना रहे. ऐसे में छात्र अपने स्थानीय जिले से किसी दूसरे स्थान पर परीक्षा देने के लिए जाते हैं. इस दौरान आने-जाने के क्रम में न सिर्फ उनके पैसे खर्च होते हैं बल्कि कई बार उन्हें ट्रेन में भी खड़े होकर जाना पड़ता है. इतने संघर्ष के बाद जब परीक्षा का प्रश्न पत्र लिक हो जाता है और फिर से परीक्षा लेने की बात होती है तो ऐसे में छात्रों का मनोबल टूटता है.
लखीसराय के रहने वाले सुमित पटना एनआईटी के आगे त्रिपोलिया मोड़ के पास किराए पर रूम लेकर रहते हैं. सुमित 24 दिसंबर को हुए बीएसएससी (BSSC) की सेकेंड शिफ्ट की परीक्षा दी है. सुमित का एग्जाम सेंटर कटिहार में दिया गया था. जिसके लिए सुमित परीक्षा से एक दिन पहले ही कटिहार चले गए थे.
23 दिसंबर के पहली पाली (first shift) का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद छात्रों के मन में परीक्षा रद्द होने का डर पहले ही हो गया था. बाकि बचे तीन शिफ्ट की परीक्षा देने वाले छात्र परीक्षा रद्द होने के भय के साथ ही परीक्षा हॉल में पहुंचे थे.
सुमित भी इसी भय के साथ परीक्षा सेंटर पहुंचे थे. सुमित बताते हैं
“प्रश्नपत्र लीक होने की बात मुझे ट्रेन पर ही पता चल गई थी. क्योंकि मेरा एग्जाम अगले दिन कटिहार में था इसलिए मैं एक दिन पहले ही वहां के लिए निकल गया था. इतने ठंड में घर से बाहर जाकर एग्जाम देना और उसके भी लीक होने और रद्द होने की आशंका हो तो छात्र क्या कर सकते हैं. तैयारी करने और एग्जाम देने के बाद जब प्रश्नपत्र लीक होने की बात पता चलती है तो गुस्सा आता है. लेकिन मेरे जैसे छात्र गुस्सा करने के आलावे और क्या कर सकता हैं.”
वैसे छात्र जिन्होंने अपनी परीक्षा के लिए पूरी शिद्दत के साथ तैयारी की थी लेकिन परिणाम आने से पहले ही उनकी परीक्षा रद्द कर दी जाती है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि बिहार सरकार छात्रों की परीक्षा के लिए कोई अलग व्यवस्था जैसे एक्स्ट्रा ट्रेनों का संचालन या स्पेशल ट्रेनों का संचालन तो करती नहीं उल्टा दोबारा परीक्षा आयोजित करने की वजह से छात्रों को इसका आर्थिक दबाव झेलना पड़ता है.
जेनरल तैयारी करने वाले ज्यादातर छात्र सामान्य या निम्न वर्ग से आते हैं. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों से आकर छात्र पटना में रहकर तैयारी करते हैं. सालों साल तैयारी करने के बाद छात्र एसएससी और रेलवे की परीक्षा देते हैं और अक्सर उसके प्रश्नपत्र लीक हो जाते हैं. जिससे ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों के साथ नाइंसाफी होती है.
सुमित आगे बताते हैं
“मेरे पिताजी आर्मी में हैं, इसलिए मुझे पैसे को लेकर कभी कोई समस्या नहीं रही है. लेकिन लाखों छात्र ऐसे हैं जिनके पिता किसान, मजदूर या दूसरा कोई छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं. उनके लिए अपने बच्चे को पटना में रखकर किराया, खाना और फ़ीस भरना काफ़ी मुश्किल भरा होता है.”
सुमित ने इससे पहले साल 2014 में जब वो ग्रेजुएशन लास्ट इयर में थे तब इस बीएसएससी (BSSC) परीक्षा का फॉर्म भरा था. उसके बाद सीधे आठ सालों बाद 2022 में इस परीक्षा का फॉर्म आया है.
“मेरे रूम पार्टनर के पिताजी किसान हैं. उसके साथ कभी कभी पैसों की समस्या हो जाती है. क्योंकि उसका परिवार पूरी तरह खेती पर निर्भर है. किसी महीने में घर से पैसा नहीं आने पर मैं या अन्य दोस्त उसकी मदद करते हैं.”
पहले भी हो चुके हैं कई परिक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक
यह पहली बार नहीं है जब बिहार में किसी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हुआ हो. हाल-फिलहाल में कुछ महीनों पहले मई में आयोजित बिहार के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा बीपीएससी (BPSC) का प्रश्न पत्र भी लीक हो गया था. इस पर काफी हंगामा भी हुआ जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया और इस परीक्षा को फिर से लेने का आदेश दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है आखिर कब-तक बिहार में अधिकारियों और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा यहां के छात्रों को भुगतना पड़ेगा?
दोबारा परीक्षा लेने से छात्रों का तो समय नष्ट होता ही है इसके साथ ही इसका प्रभाव बिहार सरकार की बजट पर भी पड़ता है. परीक्षा का पुनर्आयोजन करने और तमाम तरह के तामझाम करने से बेहतर है कि राज्य सरकार पहली बार में ही सदाचार युक्त परीक्षा ले ताकि ना तो इससे सरकार का बजट प्रभावित हो और ना ही छात्रों का समय.
पेपर लीक होने के बावजूद हुई सेकंड शिफ्ट की परीक्षा
सरकारी तंत्र की सबसे बड़ी लापरवाही तो तब देखने को मिली जब बिहार एसएससी की परीक्षा शुरू होने के 1 घंटे बाद ही पेपर लीक हो गया लेकिन इसके बावजूद दूसरे शिफ्ट की परीक्षा ली गई. ऐसी स्थिति में सरकार को और परीक्षा व्यवस्था में लगे प्रशासन को तत्काल ही सभी पाली की परीक्षाओं को रद्द करके इसकी जांच करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऐसे में आरोप यह भी लग रहा है कि दूसरे पाली की परीक्षा में बैठे कई छात्रों को लिक हुए प्रश्न पत्र से फायदा मिला है. आपको बता दें कि 23 दिसंबर और 24 दिसंबर 2022 को आयोजित परीक्षा के दौरान लगभग 38 जिलों के 528 स्थानों पर परीक्षा केंद्र बनाए गए थे जिसमें लगभग 8 लाख छात्रों के द्वारा परीक्षा दिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है.