वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (Minority Affairs Ministry) को वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में 3097.60 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित आंकड़ों से 484.94 करोड़ रुपए अधिक है.
वित्त वर्ष 2022-23 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए बजट अनुमान 5020.50 करोड़ रुपए था और बाद में संशोधित कर इसका आवंटन 2612.66 करोड़ रुपए कर दिया गया था.
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में इस वर्ष 433 करोड़ रूपए दिए गए हैं जो पिछले वित्त वर्ष के आवंटन 556.82 करोड़ रूपए से 123.82 करोड़ रूपए कम है. हालांकि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति में इस वर्ष 550 करोड़ की वृद्धि की गई है. इस वर्ष इस मद में 1,065 करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं जबकि वर्ष 2022-23 में इस मद में 515 करोड़ रूपए आवंटित किये गए थे.
‘मेरिट-कम-मीन्स (Merit-Cum-Means) छात्रवृत्ति योजना’, जो ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्स के लिए दिए जाते हैं, उसमें भारी कमी की गई है. वर्ष 2022-23 में 358.02 करोड़ रूपए आवंटित किया गया था जबकि 2023-24 में इस मद में केवल 44 करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं.
नकीब एकता, चार्टेड अकाउंटेंट हैं और साथ ही बजट विशेषज्ञ भी हैं. नकीब एकता बताते हैं
पिछले साल आवंटित की गई 5020.50 करोड़ रुपए की राशि भी सरकार खर्च नहीं कर सकी थी. इसके लिए माइनॉरिटी कम्युनिटी (अल्संख्यक समुदाय) नहीं बल्कि सरकार ज़िम्मेदार है. ये सरकार की नाकामयाबी को दर्शाता है.
अल्पसंख्यक छात्रों को दिए जाने वाले ‘मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप’ के लिए इस वर्ष 96 करोड़ रूपए दिए गए हैं. इस मद में भी 22-23 के मुकाबले 3 करोड़ रूपए की कमी की गई है.
अल्पसंख्यक छात्रों को मुफ्त में कोचिंग (Coaching) की सुविधा के लिए इस वर्ष 30 करोड़ और ओवरसीज (Overseas) यानि विदेशों में जाकर पढ़ने वाले छात्रों को लोन सब्सिडी देने के लिए 21 करोड़ रूपए दिए गए हैं.
कौशल विकास और आजीविका को बढ़ावा देने के लिए चलाये जाने वाले विभिन्न योजनाएं जैसे कौशल विकास इनिशिएटिव, नई मंजिल योजना, पारंपरिक आर्ट और क्राफ्ट में कौशल विकास, अल्पसंख्यक महिलाओं में लीडरशिप स्किल को बढ़ावा देने जैसे योजनाओं में मात्र 0.10 करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं.
कुल मिलाकर कौशल विकास और आजीविका के लिए चलाये जाने वाले विभिन्न योजनाओं के लिए इस वर्ष 64.40 करोड़ रूपए ही प्रस्तावित हैं जबकि वर्ष 2022-23 में इस मद में 330 करोड़ रूपए आवंटित किये गए थे.
अल्पसंख्यकों के लिए चलाए जाने वाले स्पेशल प्रोग्राम को 26.10 करोड़ रूपए प्रस्तावित किये गए हैं. वहीं इस वर्ष ‘पीएम विरासत का संवर्धन’ (PM-VIKAS) नाम की एक नई योजना लाई गई है. इस योजना के लिए 540 करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं.
प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास), कौशल विकास मंत्रालय की एक कौशल पहल है जो कौशल, उद्यमिता और नेतृत्व पर केंद्रित है. इस योजना का उद्देश्य देशभर के अल्पसंख्यक और कारीगर समुदायों को प्रशिक्षण प्रदान करना है. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के कौशल भारत मिशन और कौशल भारत पोर्टल (एसआईपी) के सहयोग से इस योजना को चलाया जाएगा. 15वें वित्त आयोग चक्र में लगभग 9 लाख उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
नकीब एकता आगे बताते हैं
पिछले साल के बजट से इस साल का बजट 38% तक कम कर दिया गया है. अल्पसंख्यक विभाग (minority affairs) को दिया गया बजट कहीं से भी सही नहीं है. माइनॉरिटी समुदाय की जनसंख्या के हिसाब से देखने पर यह बजट कुल बजट का मात्र 0.01% ही है. मदरसा एजुकेशन में भी 93% की कटौती की गई है. साथ ही प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति (Scholarship) में भी कटौती की गई है.
अल्पसंख्यकों के विकास के लिए चलाए जाने वाले ‘अम्ब्रेला कार्यक्रम’ के तहत चलाये जाने वाले प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम को वर्ष 2023-24 के लिए 600 करोड़ रूपए दिए गए हैं. जबकि मदरसों और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा योजना कार्यक्रम को 10 करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं.
यहां एक यह गौर करने का विषय है कि ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ को वर्ष 2022-23 में 1650 करोड़ रूपए प्रस्तावित किये गए थे लेकिन आवंटित केवल 500 करोड़ ही किये गए थे. थी वैसे ही मदरसों और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा योजना कार्यक्रम को वर्ष 2022-23 में 160 करोड़ रूपए प्रस्तावित थे लेकिन दिए गए मात्र 30 करोड़ रूपए, जो इस वर्ष घटकर केवल 10 करोड़ रह गए हैं.
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 1797.98 करोड़ रूपए, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए 646.68 करोड़ रूपए, सचिवालय-समाज सेवा के लिए 31 करोड़ रूपए दिए गए हैं.
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के कल्याण पर खर्च होने वाले पूंजी के लिए मात्र 61 करोड़ दिए गए हैं. जबकि 2022-23 में इस मद में 159 करोड़ रूपए आवंटित किये गए थे. वहीं वर्ष 2021-22 में भी इस मद में 100 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे.
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए राज्य सरकारों को मिलने वाला सहायता अनुदान 247.21 करोड़ रूपए किया गया है. वहीं वर्ष 2022-23 के लिए बजट प्रस्ताव 1404.03 रूपए प्रस्तावित किए गए थे, लेकिन आवंटन केवल 236.05 करोड़ रूपए ही किया गया.
सार्वजनिक उद्यमों में निवेश के तहत केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय इक्विटी योगदान अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम में 947 करोड़ रूपए प्रस्तावित किये हैं.