कई सालों से बिहार के 50% से ज़्यादा आम जनमानस आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम युक्त जल पीने के लिए विवश हैं और कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस दिशा में सरकार योजनाएं तो बना रही हैं लेकिन धरातल पर काम नहीं कर रही है। अब बिहार के कई गांव के […]
पटना के एकमात्र आयुर्वेदिक कॉलेज, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज (कदमकुआं) की मान्यता खतरे में है अभी कुछ दिनों पहले ही नेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन (NCISM) की टीम ने कॉलेज का दौरा किया था. अपनी रिपोर्ट में टीम ने कॉलेज में शिक्षक, लाइब्रेरी, हॉस्टल सहित अन्य कमियों को पूरा करने के लिए तीन महीनों […]Read More
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी लचर स्थिति है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी और सुविधाओं का अभाव होने के कारण मरीजों को अंतिम विकल्प के तौर पर निजी अस्पतालों का ही सहारा लेना पड़ता है. ऐसे हालत में गरीब के लिए इलाज कराना उनकी क्षमता से बाहर हो जाता है. लेकिन सरकारी महकमा […]Read More
“हमारी बहू पेट से (गर्भवती) थी. अचानक रात में उसको दर्द उठा और हमलोग अस्पताल पहुंचे लेकिन हमारे घर के पास का स्वास्थ्य उपकेन्द्र सालों से बंद ही पड़ा रहता है. जिला अस्पताल हमारे घर से 30 किलोमीटर दूर है. जब तक हम लोग अस्पताल पहुंचते तब तक मेरी बहू की मौत हो गयी.” रामेश्वर […]Read More
बिहार के सुपौल जिला के कटैया पंचायत वार्ड नंबर 7 में 95% से ज्यादा मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। जिनमें लगभग सभी लोग बीपीएल के अंतर्गत आते हैं। अधिकतर परिवार का घर दिल्ली और पंजाब के भरोसे चल रहा है। इसी पंचायत के 37 वर्षीय सुरेंद्र बताते हैं कि, हमारे वार्ड के लगभग 50 […]Read More
हमारे आंगनवाड़ी में नल नहीं है बच्चों के पानी पीने के लिए और ना ही शौचालय की सुविधा है. अगर किसी बच्चे को शौचालय जाना हुआ तो उसे पीछे की तरफ खुले में जाना पड़ता है. रेखा कुमारी जगजीवन टोला के आंगनवाड़ी की सेविका हैं. वो डेमोक्रेटिक चरखा की टीम से बात करते हुए अपने […]Read More