लगातार महंगे होते गैस सिलेंडर के दामों की वजह से गरीब वापस लकड़ी, कोयले की तरफ लौटे

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना उज्वला गैस योजना के तहत गरीब परिवारों को फ्री में गैस चूल्हे बांटे गए थे। इसके साथ ही सरकार ने पहली बार उपयोग के लिए गैस सिलेंडर भरवाने का खर्च भी वहन किया था ताकि लोगो को इसके फायदे समझ आए और उनकी जिंदगी थोड़ी आरामदायक हो। 

author-image
democratic
New Update

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना उज्वला गैस योजना के तहत गरीब परिवारों को फ्री में गैस चूल्हे बांटे गए थे। इसके साथ ही सरकार ने पहली बार उपयोग के लिए गैस सिलेंडर भरवाने का खर्च भी वहन किया था ताकि लोगो को इसके फायदे समझ आए और उनकी जिंदगी थोड़ी आरामदायक हो। 

कोरोना संकट के बीच बड़ी राहत, 162 रुपये सस्ता हुआ LPG गैस सिलेंडर - coronavirus pandemic lockdown non subsidised lpg price cut by rs 162 per cylinder tutk - AajTak

लेकिन पहले महामारी के वजह से आर्थिक स्थिति और अब गैस सिलेंडर के दाम में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की वजह से कई गरीब परिवारों ने इसका लाभ उठाना छोड़ दिया है।

गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों से गरीब  परेशान

ऐसी ही एक कहानी डॉली कुमारी की है उनका परिवार हर मानसून की शुरुआत में एलपीजी रसोई गैस सिलेंडर को रिफिल करता है और तीन या चार महीने तक इसका इस्तेमाल करता है। 

दरअसल डॉली के गांव जो की बिहार के अररिया जिले के तरौना भोजपुर में है वहां बारिश होने की वजह से सूखे लकड़ी की व्यवस्था नहीं हो पाती है। लेकिन इस बार डोली का परिवार की  सिलेंडर को फिर से भरवाने की  योजना नहीं  है। 

शोपीस बन गए उज्‍ज्‍वला के सिलिंडर, लॉकडाउन में 31 लाख महिलाओं को नहीं मिला पैसा - Junputh
प्रत्येक गैस सिलेंडर अब तीन महीने पहले की तुलना में कम से कम 175 रुपये अधिक है

डॉली कुमारी की मां गीता देवी 2018 में उज्जवला योजना की लाभार्थी बन गईं जब उन्हें अपने पांच सदस्यों के परिवार के लिए खाना बनाने के लिए मुफ्त गैस सिलेंडर और चूल्हा मिला।

जब उन्हें सिलेंडर को फिर से भरने की आवश्यकता होती है तो उनके परिवार ने अपने एलपीजी डीलर को 620 रुपये और 700 रुपये के बीच पूरी लागत का भुगतान किया और कुछ दिन बाद देवी के बैंक खाते में 200 रुपये से 250 रुपये की प्रत्यक्ष नकद सब्सिडी प्राप्त की। समय के साथ, रसोई गैस की कीमतें 800 रुपये प्रति सिलेंडर से अधिक हो गईं और फिर सब्सिडी आना भी बंद हो गई। 

आंकड़ों ने कभी भी उज्ज्वला योजना की वास्तविकता को जमीन पर नहीं दिखाया 

पिछले साल फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने भारत में दावा किया था कि योजना की शुरुआत के बाद से 22% लाभार्थियों ने अपने सिलेंडर को फिर से भरने के लिए नहीं चुना है और 5-7% को उनके पहले रिफिल के लिए सब्सिडी राशि नहीं मिली।

पेट्रोलियम मंत्रालय का अपना डेटा बताता है कि अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक एलपीजी की खपत केवल 2,113 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 2,492 हजार मीट्रिक टन हो गई।

publive-image
आम ग्राहक भी बढ़ते दामों की वजह से गैस कनेक्शन के लाभ से दूर हो रहे

केवल उज्ज्वला ही नहीं गैस एजेंसियों का दावा है कि आम उपभोक्ताओं के भी सिलेंडर लेने की संख्या में कमी आई है। मगर सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण इलाकों और गरीब तबके के फिर से वापस चूल्हे की तरफ लौटने को लेकर है।

झारखंड के लातेहार जिले के किसान कन्हाई सिंह ने भी इस समस्या को दोहराया, सिंह ने कहा, “मुझे अपने गाँव में या आस-पास के गाँवों में एक भी व्यक्ति नहीं है जिन्होंने वास्तव में अपने सिलिंडर को रिफिल किया है,” उन्होंने कहा कि उज्ज्वला सिलेंडर और स्टोव लेदगेन गाँव में उनके घर के एक कोने में एक साल से पड़ा है।

उनका कहना है, “खेती में हमारे पास मासिक आय की कोई गारंटी नहीं है इसलिए हम एक सिलेंडर की रिफिलिंग के लिए 700 रुपये का भुगतान कैसे कर सकते हैं? भले ही सब्सिडी बाद में आए, यह बहुत महंगा है। कन्हई सिंह का मानना है कि हाल ही में एलपीजी मूल्य वृद्धि उनके जीवन के लिए अप्रासंगिक है।

Wood Gas Cylinders Fuel patna news Patna Live patna Hindi News Current News Breaking news Bihar NEWS Bihar