पेट्रोल और डीजल हमारे देश देश की अर्थव्यवथा की रीढ़ की हड्डी की तरह है। तेल के दामों में किसी भी तरह की बदलाव का हमारी जरूरत की हर चीजों पर पड़ता है और इसलिए हमारा ध्यान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती-घटती कीमतों पर टिका रहता है।

पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और इनमें लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। देश के कई शहरों इसने शतक भी लगाया है। आइए जानते है कैसे बढ़ते घटते है इनके दाम?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों और रुपये और डॉलर में अंतर पर निर्भर करती है दाम
देश में पिछले कई दिनों से पेट्रोल-डीजल के दामों में स्थिरता देखी जा रही है। इसकी प्रमुख वजह ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 10 मार्च 2021 को भी तेल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं कच्चे तेलों की बात करे तो दो-तीन दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है।

बाजार का बैरोमीटर माना जाने वाला ब्रेंट क्रूड सोमवार को 1.14 डालर उछल कर 70.14 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। एक साल से अधिक समय बाद पहली बार ब्रेंट कच्चा तेल 70 से ऊपर गया है। देश में क्रूड प्राइस के उतार-चढ़ाव के आधार पर फ्यूल की कीमतें तय होती हैं।
भारत में अन्य देशों से ज्यादा क्यों है तेलों के दाम?

भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह इस पर लगने वाली सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और विभिन्न राज्यों के टैक्स हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते साल ही सरकार ने सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्यों ने अपने-अपने टैक्स में भी बढ़ोतरी की है। जिसमें केन्द्र ने सेंट्रल एक्साइज में पेट्रोल पर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है।
उदाहरण के लिए रिफाइनरी से डीलर तक आने में पेट्रोल की कीमत दिल्ली में करीब 32 रुपए प्रति लीटर पड़ रही है। इसके बाद ग्राहकों को जो पेट्रोल बेचा जाता है उसमें केन्द्र की एक्साइज ड्यूटी 33 रुपए प्रति लीटर और राज्यों के टैक्स के करीब 20 रुपए प्रति लीटर समेत कुछ और टैक्स भी शामिल होते हैं। इस तरह ग्राहक को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल करीब 90 रुपए पड़ रही है।

उत्पाद शुल्क संग्रह में चालू वित्त वर्ष के दौरान 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई
महालेखा नियंत्रक (CGA) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2020 के दौरान उत्पाद शुल्क का संग्रह 2019 की इसी अवधि के 1,32,899 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,96,342 करोड़ रुपये हो गया। उत्पाद शुल्क संग्रह में यह वृद्धि चालू वित्त वर्ष के आठ महीने की अवधि के दौरान डीजल की बिक्री में एक करोड़ टन से अधिक की कमी के बावजूद हुई।
फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि क्या पिछले कुछ दिनों से तेल के दामों में स्थिरता पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की वजह से है? अगर हां तो क्या दो मई यानी चुनाव नतीजों के बाद दाम फिर बढ़ेंगे?
- मदरसा सेशन लेट: 4 महीने से अधिक सेशन लेट, बच्चों का 1 साल बर्बादby Pallavi Kumari
- बिहार: 7 सालों से बंद SC-ST आयोग, कई हिंसा के मामले रजिस्टर ही नहींby Saumya Sinha
- पंचायत भवन: 21 करोड़ की राशि नहीं हुई ख़र्च, कई भवन अधूरेby Pallavi Kumari