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बिहटा एयरपोर्ट रनवे विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण का काम फंसता हुआ नजर आ रहा है. रनवे विस्तार के लिए पूर्व और पश्चिम दिशा के क्षेत्रों में पड़ने वाले गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. लेकिन अभी इसका फैसला नहीं हुआ है कि आखिर जमीन पूर्वी क्षेत्र के गांव से ली जाएगी या पश्चिमी? लेकिन दोनों क्षेत्रों के ग्रामीण इस जमीन अधिग्रहण के खिलाफ विरोध जताने लगे हैं.
बीते रविवार (20 अक्टूबर) को किसानों ने बैठक में फैसला लिया है कि आने वाले 27 अक्टूबर को भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसान और व्यवसायी मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध जताएंगे.
प्रस्तावित रनवे के लिए पूर्व में बसे एक गांव शर्फुद्दीन और तो पश्चिम में बसे चार गांव कोरहर, गोखुलपुर, मठिया और देवकुली के साथ ही बिहटा-मनेर नेशनल हाईवे को भी विस्थापित करना होगा.
कितने एकड़ जमीन में फंसा मामला
बिहटा में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने रनवे की लंबाई चार हजार फीट बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया था. वर्तमान में बिहटा में वायु सेना का रनवे लगभग आठ हजार फीट का है. जबकि बड़े और भारी हवाई जहाजों के उड़ान के लिए इससे बड़े रनवे की आवश्यकता होती है.
इसी कारण इसकी लंबाई चार हजार फीट से बढ़ाकर 12 हजार फीट किया जाना है. इसके लिए अतिरिक्त 190.50 एकड़ जमीन जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. जिसके लिए विकल्पों के आधार पर पूर्व और पश्चिम दोनों ओर के जमीनों का सर्वे किया जा रहा है.
लेकिन सर्वे कार्य शुरू होने के साथ ही स्थानीय लोग, किसान और छोटे व्यवसायी इसपर अपना विरोध दर्ज कराने लगे हैं. स्थानीय लोग कहते हैं इससे पूर्व में भी वायुसेना के एयरपोर्ट निर्माण कार्य के लिए उनकी जमीन अधिग्रहित की गयी थी, जिसका मुआवजा उन्हें आज तक नहीं मिला है.
शर्फुद्दीन गांव के निवासी और शर्फ़ वेलफेयर सोसाइटी के उपाध्यक्ष, फराज अहमद जमीन अधिग्रहण से होने वाली समस्या को लेकर बताते हैं “पहले गांव के लोगों के पास अच्छी खासी जमीन थी, लेकिन अब बीघा-दो बीघा खेत ही किसानों के पास बची हैं. यहां लोग या तो अपने खेत में खेती करते हैं या दूसरों के खेत में मजदूरी. यानि रोजी रोटी का साधन किसानी है. अगर सरकार उसे भी ले लेगी तो उनके रोजी-रोटी पर आफत आ जाएगा. दूसरी बात, मुआवजा तो केवल उन लोगों को मिलेगा जिनके पास जमीन है. लेकिन उनलोगों का क्या जो इन खेतों में मजदूरी कर अपना घर चला रहे हैं.”
दरअसल गांव में छोटे किसानों के साथ ही खेतिहर मजदूरों की संख्या काफी अधिक है. ऐसे में ग्रामीणों की यह चिंता जायज है कि अगर सरकार रोजगार के अवसर या विकल्प ग्रामीणों के लिए तैयार नहीं करेगी तो वे अपनी रोजी रोटी का इंतजाम कैसे करेंगे. ऐसे में लोगों के सामने पलायन करने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
पूर्व में भी ली गईं है जमीनें
वर्तमान में प्रस्तावित बिहटा एयरपोर्ट जिस जगह पर बनाया जा रहा है वहां पहले से ही वायुसेना का एयरफ़ोर्स बेस स्टेशन है. इसके निर्माण के समय भी किसानों की जमीन अधिग्रहित हुई थी. इसके बाद हवाई पट्टी के विस्तारीकरण के लिए दूसरी बार जमीन ली गयी थी.
ग्रामीणों के अनुसार तीसरी बार आहर के निर्माण के लिए भी किसानों की जमीन चली गई. वही चौथा अधिग्रहण एक कनेक्टिंग सड़क के निर्माण के लिए हुआ था.
ग्रामीण फराज अहमद बताते हैं, “सबसे पहली बार 1962 में हमारे खेत की जमीन रनवे निर्माण के लिए लिए गयी. उस दौरान एक छोटा सा गांव जो एयरपोर्ट के बीच में आ रहा था उसे हटाकर हमारे गांव में विस्थापित किया गया. इनदोनों का मुआवज़ा आजतक नहीं मिला है. इसके बाद पानी निकासी के लिए नाला बनाया गया उसमें भी हमारी जमीने ली गई. इसके बाद सिमली,गढ़पुरा,कुतुबपुर,डोघरा और पैनाठी जैसे सात-आठ गांव को जोड़ने वाली सड़क भी एयरपोर्ट के बीच से जा रहा था. इसे हटाने के लिए भी हमारे गांव की जमीनें ली गई. अब हमारे पास जमीन नहीं हैं जो हम सरकार दें.”
एयरपोर्ट के प्रस्तावित रनवे के पूर्व शर्फुद्दीन गांव के पूर्वी छोड़ पर 90 पक्के और 40 कच्चे मकान हैं. इसके अलावे गांव के नजदीक से गुजरने वाला पेट्रोल पाइपलाइन भी अधिग्रहण में समस्या बन रहा है. वहीं पश्चिमी छोड़ के तीन गांव कोरहर, मठिया और गोखुलपुर में लगभग 200 पक्के मकान बने हैं. इसके अलावे इस क्षेत्र में बिहटा-मनेर एनएच पड़ता है. अगर रनवे विस्तारीकरण इस क्षेत्र में हुआ तो इसका विकल्प भी ढूंढना पड़ेगा.
एयरपोर्ट सिविल एन्क्लेव और रनवे विस्तारीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन द्वारा सात सदस्यीय टीम बनाई गयी है. इसमें अपर समाहर्ता राजस्व, सहायक महाप्रबंधक भूमि प्रबंधन, जिला भू अर्जन अधिकारी, दानापुर डीसीएलआर, बिहटा सीओ, बिहटा नगर कार्यपालक अधिकारी और पटना हवाई अड्डे के अधिकारी को शामिल किया गया है.
इस टीम ने जमीन भूमि सर्वे का काम लगभग पूरा कर लिया है. बताया जा रहा है, सर्वे रिपोर्ट 15 नवंबर तक आ जाएगी. इसके बाद ही यह साफ़ हो सकता है किस क्षेत्र से जमीनें ली जाएंगी.
हालांकि, ग्रामीणों का साफतौर पर कहना है कि अगर इसबार उनकी जमीन ली जाएगी तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे
10 साल पहले हुई थी घोषणा
पटना एयरपोर्ट पर बढ़ते दबाव और बिहार को अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवाओं से जोड़ने के लिए एक नए एयरपोर्ट की आवश्यकता लंबे समय से थी. चूंकि पटना एयरपोर्ट सघन आबादी क्षेत्र में आता है इसलिए वहां रनवे की लंबाई बढ़ाना मुश्किल था. ऐसे में पटना से नजदीक बिहटा में एयरपोर्ट बनाना बेहतर विकल्प बन सकता है.
पहली बार, 2014 में बिहटा एयरबेस स्टेशन को सिविल एयरपोर्ट के तौर पर विकसित किये जाने का विचार किया गया. इसके बाद 2016 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने बिहटा में सिविल एयरपोर्ट बनाए जाने का प्रस्ताव दिया. भारतीय वायु सेना ने भी उसी साल इसपर अपनी सहमती दे दी. इसके बाद बिहार सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की और 108 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई. लेकिन विमानों की पार्किंग और अन्य कंस्ट्रक्शन के लिए एएआई (AAI) ने अतरिक्त आठ एकड़ जमीन की मांग की जिसका अधिग्रहण नवंबर 2024 तक होने की बात कही जा रही है.
2019 तक बनकर तैयार होने वाला यह एयरपोर्ट अबतक जमीन अधिग्रहण एवं अन्य प्रक्रियाओं के कारण धीमी रफ़्तार में तैयार हो रहा है. इसी वर्ष सितम्बर के पहले सप्ताह में केंद्र सरकार ने इसके लिए 1413 करोड़ रुपए को मंजूरी दी है. जिसके बाद कहा जा रहा है कि निर्माण कार्य में तेजी आ सकती है.
हालांकि अंतराष्ट्रीय फ्लाइट्स कनेक्टिविटी और एयरबस ए-321/320 और बोइंग बी-737 जैसे विमानों के आवागमन के लिए रनवे विस्तार जरुरी है. लेकिन राज्य में भूमि अधिग्रहण का मामला अक्सर विस्थापन और मुआवज़े के पेंच में फंस जाता है.
सरकार और प्रशासन को किसी भी परियोजना का निर्माण उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए.