लीक होता हुआ 20 हजार करोड़ का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

नए संसद भवन की लॉबी में इस दौरान पानी टपकने की घटना हुई, जिसका वीडियो वायरल हुआ. इसके बाद रिनोवेशन की सरकार पर यह सवाल फिर उठने लगे कि मौजूदा सरकार पूरी तरह से लीक है.

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सौम्या सिन्हा
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लीक होता सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

लीक होता सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 8 सितंबर 2022 को सेंट्रल विजिटर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया. अगले दिन से ही 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से बन रहे प्रोजेक्ट को आम लोगों के लिए खोल दिया गया. इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक के रास्ते और उस पूरे इलाके को सेंट्रल विस्टा नाम दिया गया. इसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक इन दोनों ब्लॉक में शामिल विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, इंडिया गेट, नेशनल आर्काइव ऑफ़ इंडिया समेत कई ऑफिस मौजूद है. इस पूरे समूह को सेंट्रल विस्टा का नाम दिया गया है, जिसकी लंबाई लगभग 3.2 किमी है.

केंद्र सरकार ने कोरोना कल में यह फैसला लिया कि इस इलाके में 100 साल पुराने भवनों को रिनोवेशन की जरूरत है. इसके बाद लुटियंस को ही इसे बनाने की जिम्मेदारी दी गई. इस पूरे प्रोजेक्ट का काम 2026 तक पूरा किया जाना है. 
इस प्रोजेक्ट में सबसे पहले संसद भवन का निर्माण पूरा हुआ. 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी, जिसका काम पिछले साल मई में पूरा हुआ. मौजूदा समय में नए संसद में मानसून सत्र चल रहा है. नई सरकार और नए विपक्ष के मानसून सत्र में मानसून ने साक्षात दर्शन दिया है. बुधवार को दिल्ली एनसीआर में झमाझम बारिश हुई, जिस कारण कई इलाकों में जल जमाव हुआ. इस बारिश ने संसद भवन में भी अपनी एंट्री पक्की कर ली. नए संसद भवन की लॉबी में इस दौरान पानी टपकने की घटना हुई, जिसका वीडियो वायरल हुआ. इसके बाद रिनोवेशन की सरकार पर यह सवाल फिर उठने लगे कि मौजूदा सरकार पूरी तरह से लीक है.

1200 करोड़ की लागत से बनी इस बिल्डिंग में काम का शुरू हुए 1 साल भी नहीं हुआ कि चंद घंटे की बारिश में यहां छत टपकने लगी.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर चुटकी लेते हुए कहा कि नई संसद से अच्छी तो वह पुरानी संसद थी, जहां पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे. क्यों ना फिर पुराने संसद चलें. कम से कम तब के लिए जब तक अरबों रुपए से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है.

कांग्रेस ने भी इसे घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था. कांग्रेस सांसद माणिकम टैगोर ने लिखा था कि बाहर पेपर लीक हो रहा है,‌ अंदर पानी लीक रहा है. कांग्रेस नेता ने बताया कि इस लॉबी का इस्तेमाल राष्ट्रपति करते हैं.
आम आदमी पार्टी की ओर से भी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा गया, 1200 करोड़ की लागत से बनी सांसद अब 120 रूपए के बाल्टी पर निर्भर है.
हालांकि इस पुरे सोशल मीडिया ट्रोल और विपक्ष के हमलों के बाद लोकसभा सचिवालय ने अपनी सफाई दी. सचिवालय की ओर से कहा गया कि लॉबी में कांच के गुंबद को चिपकाने वाला पदार्थ हट गया था, जिस कारण वहां मामूली रिसाव हुआ था. लेकिन समय रहते इसका पता चला और तुरंत सुधार कर लिया गया. 

इसके अलावा नए संसद भवन के मकर द्वार पर भी जल जमा हुआ था जिसे फटाफट निकाल लिया गया. हालांकि इतनी तेजी सिर्फ नेताओं, राजनेताओं, विधायकों के लिए होती है, जिन्हें सिर्फ दो कदम चलकर अपनी बड़ी गाड़ी से रवाना होना होता है. मगर मिलों पैदल चलने वाले आम लोगों के लिए जल जमाव जैसी समस्या पर ना तो सरकार का ध्यान जाता है और ना ही उनके बनाए गए तंत्रों का. शहरों में हुआ जल जमाव ऐसे नज़रंदाज़ किया जाता है मानो लुटियंस ने इसे भी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के तहत तैयार किया है. जिस तरह से सेंट्रल विस्टा की खामी को तुरंत निपटा लिया गया, ठीक उसी तरह देशभर की खामियों को ठीक किया जाता तो कहीं पुल नहीं बहते, एयरपोर्ट पर हादसा नहीं होता, ट्रेन एक्सीडेंट नहीं होते, सड़के नहीं टूटती, स्वास्थ्य केंद्र जर्जर नहीं होते, स्कूली व्यवस्था दुरुस्त होती, युवा बेरोजगार नहीं होते, गरीब भूखे नहीं मरते और तब कहीं जाकर देश की पांचवी अर्थव्यवस्था का हर प्रोजेक्ट सफल कहलाता.

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