शिक्षा एक ऐसा जरिया है जो घर से लेकर समाज तक को बदलने की ताकत रखता है. एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षित समाज के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हैं. शिक्षा और समाज आपस में जुड़े हुए हैं. भारत में अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है. देश के गांव-गांव तक शिक्षा पहुंचने के लिए स्कूल मौजूद है, जिसमें करोड़ों बच्चे अपने भविष्य निर्माण के लिए निर्भर करते हैं. मगर क्या हो जब एक साथ सैकड़ो स्कूल प्राकृतिक आपदा के कारण बंद हो जाएं? प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल ऐसी घटनाएं हो रही हैं. दिन-ब-दिन जलवायु परिवर्तन उग्र रूप लेता जा रहा है, जिससे गर्मी, बरसात, ठंड सभी मौसम में स्कूलों को बंद रखने की नौबता बन रही है. कई बार स्कूल में बच्चों की तबीयत खराब हो जाने से, तो कहीं बच्चों और शिक्षकों की जान को मौसम का खतरा देखते हुए भी स्कूल बंद हो रहे है.
बिहार की राजधानी पटना में बीते दिन ही 76 स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया गया. बाढ़ के कारण इन सभी स्कूलों को 31 अगस्त तक बंद किया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 42 स्कूल पटना के दानापुर 23 के इलाके में बंद हुए हैं, जिससे सैकड़ो बच्चों के शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है.
इसके पहले बिहार के बेगूसराय में भी बाढ़ के कारण 27 अगस्त तक 80 से ज्यादा स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया था.
ऐसा नहीं है कि बाढ़ के कारण सिर्फ बिहार की शिक्षा ही प्रभावित हो रही है. बीते दिनों त्रिपुरा में आई बाढ़ के कारण करीब 209 स्कूल और कुछ कॉलेज को नुकसान पहुंचा है. शिक्षा विभाग में अपने प्रारंभिक आकलन में कहा कि बाढ़ और भूस्खलन के कारण संपत्ति और बुनियादी ढांचे सहित 11 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. यहां बाढ़ और भूस्खलन के कारण स्कूल और सभी तरह के शैक्षणिक संस्थाओं को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद करने की घोषणा की गई थी.
भारत के अलावा दुनिया भर में भी जलवायु संबंधी समस्याओं के कारण लाखों बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है.
जीईएम की रिपोर्ट के अनुसार गर्मी, जंगल की आग, बाढ़, सूखा, बीमारियां और समुद्र के बढ़ते जलस्तर जैसे जलवायु संबंधी कारणों से शिक्षा बड़े स्तर पर प्रभावित होती है. यूनेस्को के द्वारा एक रिसर्च में पाया गया कि अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हर साल जलवायु संबंधी समस्याओं के कारण स्कूल बंद हो रहे हैं. जिस कारण बच्चों के सीखने की क्षमता और पढ़ाई छोड़ने की संभावना में बढ़ोतरी होती है. जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा के बुनियादी ढांचे का विनाश होता है. साथ ही छात्रों अभिभावकों को और स्कूल कर्मचारी को जान का नुकसान भी होता है.
साफ है कि अगर बाढ़ या किसी भी तरह की जलवायु संबंधी समस्या होगी तो लोग विस्थापन करेंगे. इसमें आर्थिक तौर पर तंगी भी विस्थापित लोगों को परेशान करती है. जिस कारण बड़ी संख्या में बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है. कम उम्र में ही बच्चों को काम में लगा दिया जाता है, ताकि वह परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में सहयोग कर सकें.
जलवायु समस्याओं के अलावा राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, ज्योग्राफिकल कारणों से भी बच्चे आज भी पढ़ाई से दूर हो रहें हैं. मौजूदा समय में रूस-यूक्रेन, गाजा-फिलिस्तीन वार के बीच लाखों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है. गाजा में कई स्कूलों पर फिलिस्तीनी हमले हुए हैं, जिसमें शिक्षा का बुनियादी ढांचा ही गिरा दिया गया है. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण लाखों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है. इनमें कई समुदाय और कई देशों के बच्चे भी शामिल है. इसके अलावा भारत में मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल अस्थिर राज्य बना हुआ है, जहां आए दिन प्रदर्शन के कारण बच्चे स्कूल जाने से कतरा रहे है.