देश में हर 40 मिनट में एक छात्र कर रहा आत्महत्या

देश के 83 प्रतिशत युवा अभी बेरोजगार है. बेरोजगारी के इस दौर में युवा कई तरह के कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. रोजगार, पैसा, अच्छी जिंदगी के लिए कई बार देश के युवा गलत रास्ते पर जाने को मजबूर होते हैं.

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छात्र कर रहे आत्महत्या

छात्र कर रहे आत्महत्या

भारत में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा कही जाती है. सबसे ज्यादा युवाओं वाला यह देश अपने युवाओं को रोजगार देने में असफल नजर आता है. देश के 83 प्रतिशत युवा अभी बेरोजगार है. बेरोजगारी के इस दौर में युवा कई तरह के कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. रोजगार, पैसा, अच्छी जिंदगी के लिए कई बार देश के युवा गलत रास्ते पर जाने को मजबूर होते हैं. कई बार ऐसा देखा गया है कि युवा अपने परिवार का पेट पालने के लिए चोरी जैसी घटना तक में शामिल हो जाते हैं. नए युवाओं का दौरा साइबर अटैक्स, गैंबलिंग जैसी अपराधिक घटनाओं में शामिल हो जाता है. बेरोजगारी के आलम के चलते युवा अपनी जान तक गवाने को मजबूर है.

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में सरकारी नौकरियों के पेपर लीक होने के कारण युवा आत्महत्या कर लेते हैं. कहीं से भी रोजगार के रास्ते ना दिखने पर जान देना ही देश के युवाओं की मजबूरी होती जा रही है. 

हाल के दिनों में मेरी मुलाकात भी देश की ऐसी ही एक महिला युवा अभ्यर्थी आकांक्षी से हुई, जो नौकरी न लगने के कारण डिप्रेशन में है. पेपर लीक होने के कारण इनका मनोबल टूट गया है. बिहार में आयोजित हुई शिक्षक भर्ती परीक्षा में आकांक्षी शामिल हुई थी. मगर पहले परीक्षा का पेपर लीक हुआ और दूसरी परीक्षा के सवालों में वह उलझ कर रह गई. तीसरी परीक्षा का रिजल्ट आयोग ने पेंडिंग कर दिया है और इधर आकांक्षी के सर पर परिवार वालों ने शादी की तलवार लटका दी.  बिहार की यह युवा अभ्यर्थी प्राइवेट नौकरी में भी जाने की कोशिश में हैं, मगर अंग्रेजी बोलने में थोड़ी हिचकती है. इस हिचक से बाहर निकालने के लिए उन्होंने ऑनलाइन इंग्लिश स्पीकिंग स्किल में भी हाथ आजमाया. मगर ऑनलाइन और ऑफलाइन में काफी अंतर होने से उन्होंने इससे हाथ पीछे खींच लिया. आकांक्षी की तरह ही उनकी कई दोस्त सरकारी नौकरी के लिए इंतजार कर रही है. इनमें से कुछ दोस्तों की शादी भी हो चुकी है. आकांक्षी कहती है कि परीक्षा में लगातार असफलताओं के कारण उन्हें आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे थे.

29 अगस्त को आईसी3 कॉन्फ्रेंस और एक्सपो 2024 में देश में छात्र आत्महत्या को लेकर आंकड़ा जारी किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक एनसीआरबी के आधार पर देश में हर 40 मिनट पर एक छात्र आत्महत्या कर रहा है. रोजाना 35 से ज्यादा छात्र अपनी जान दे रहे हैं. आंकड़े की गंभीरता इसी से लगाई जा सकती है कि देश में आत्महत्या के मामले में दो फ़ीसदी वृद्धि हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामले में 4 फ़ीसदी का उछाल दर्ज किया गया है.

छात्रों के आत्महत्या का एक कारण एकेडमिक प्रेशर भी है. कई बार यह प्रेशर परिवार की तरफ से होता है, तो कई बार छात्र इसे खुद मन में पाल लेते हैं. पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने, किसी संस्था में एडमिशन लेने, किसी एक तरह के कोर्स में दाखिला लेने के लिए भी छात्रों पर काफी दबाव रहता है. जिसमें मन मुताबिक परिणाम न मिलने से भी छात्र आत्महत्या के बारे में सोचने लगते हैं. 

आज देश जितनी गति के साथ प्रगति करने का दावा करता है, उसका कुछ प्रतिशत भी छात्रों की आत्महत्या रोकने पर लगाया जाए तो बड़ी सफलता मिलेगी. सरकार को दूसरे देशों से बड़े व्यापार करने के साथ-साथ अपने देश के छात्रों और युवाओं की मनोस्थिति पर बेहतर काम करने की आवश्यकता है.

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