देश की सबसे मुश्किल परीक्षा कहीं जाने वाली यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करने वाली पहली मुस्लिम महिला कौन थी? नहीं जानते हैं ना, मगर आज इस लेख के जरिए आप उनके बारे में जानेंगे. यूपीएससी परीक्षाओं में मुस्लिम महिलाओं के लिए रास्ता खोलने और उनके लिए साहस बनने का काम परवीन तल्हा ने किया. 1969 में परवीन पहली मुस्लिम महिला बनीं, जिन्होंने किसी भी क्लास में सिविल सेवा की परीक्षा पास की और देश की पहली मुस्लिम महिला इंडियन रिवेन्यू सर्विस ऑफिसर बनीं.
परवीन तल्हा यूपीएससी परीक्षा पास कर भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में भी पहली मुस्लिम महिला के तौर पर सेवाएं देने लगी. इसके साथ ही वह भारत के नारकोटिक्स विभाग में भी सेवा देने वाली पहली महिला बनीं. वह संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य बनने वाले भी पहली महिला अधिकारी रह चुकीं हैं.
परवीन तल्हा का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ. वह लखनऊ के बहुत प्रसिद्ध अवध परिवार की दो संतानों में से एक है. उनके भाई ओसामा तल्हा एक मशहूर पत्रकार रह चुके हैं. वहीं परवीन के पिता मोहम्मद तल्हा एक स्वतंत्रता सेनानी और जाने-माने वकील थे. जिन्होंने विभाजन के बाद अपने भाई के पाकिस्तान जाने पर भारत में ही रहने का फैसला किया.
परवीन तल्हा ने अपनी पढ़ाई कैंब्रिज स्कूल और लोरेटो कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की. उन्होंने 1965 में लखनऊ विश्वविद्यालय की इकोनॉमिक्स के लेक्चरर के रूप काम करना शुरू किया. वह यहां 1969 तक लेक्चर के तौर पर काम करती रहीं. इसी साल उन्हें यूपीएससी परीक्षा में सफलता मिली और वह भारतीय राजस्व सेवा में चुन ली गईं.
अपने सेवा काल में वह उत्तर प्रदेश की डिप्टी कमिश्नर बनीं. नारकोटिक्स ब्यूरो में एकमात्र महिला अधिकारी के रूप में कार्यरत हुईं. इतने बड़े पदों पर तैनात होने के लिए रास्ते आसान नहीं थे. इस दौरान उन्हें कदम-कदम पर अपने आप को साबित करने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना भी पड़ा.
परवीन तल्हा 2004 में रिटायर हुई और संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य बनीं. 3 अक्टूबर 2009 को वह इस पद से रिटायर हुईं और इसके बाद अपने लेखन के जुनून को आगे बढ़ाया. लेखन के जरिए वह अपनी कहानियों को लोगों के बीच पहुंचाने लगीं.
2013 में परवीन तल्हा ने अपनी पहली किताब ‘फिदा ए लखनऊ शहर और उसके लोगों की कहानी’ प्रकाशित की. इनमें 22 लघु कहानियां शामिल है, जो लखनऊ की महिलाओं की कहानियों को बताती हैं. इस किताब का विमोचन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया था.
सिविल सेवाओं में परवीन तल्हा के योगदान के लिए भारत सरकार ने 2014 में उन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा था. इसके अलावा साल 2000 में उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है.