गुंचा सनोबर: बिहार की पहली मुस्लिम महिला IPS, दूसरे प्रयास में मिली सफलता

यूपीएससी परीक्षाओं में बिहार के कई युवाओं को सफलता मिली है, जिनमें महिला युवा भी शामिल है. बिहार की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी का गौरव गुंचा सनोबर ने हासिल किया है.

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IPS गुंचा सनोबर

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बिहार का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. ऐतिहासिक क्षेत्र में बिहार को गर्व से देखा जाता है. इसके अलावा राज्य के युवाओं ने देश की सबसे कठिन कहीं जाने वाली यूपीएससी परीक्षा तक में परचम लहराया है. यूपीएससी परीक्षाओं में बिहार के कई युवाओं को सफलता मिली है, जिनमें महिला युवा भी शामिल है. इनमें बिहार की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी का भी नाम शामिल है. राज्य में पहली मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी का गौरव गुंचा सनोबर ने हासिल किया है.

मूल रूप से गुंचा सनोबर पश्चिम चंपारण के पिपररइहां गांव की रहने वाली है. उन्होंने बिहार के तीन-चार शहरों से स्कूलिंग की और बाद में डीएवी वाल्मी से दसवीं की परीक्षा पास की. नॉट्रेडेम से प्लस टू और दयानंद सागर कॉलेज बेंगलुरु से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सनोबर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए 2013 में दिल्ली आ गई. जहां करोलबाग में रहकर 2 से 3 साल तक अपने आप को पूरी तरह पढ़ाई में लगा दिया. 

साल 2015 में यूपीएससी2014 का रिजल्ट‌ आया, जिसने सनोबर के साथ-साथ उनके परिवार वालों को बेजोड़ खुशियां दी. तो वही मुस्लिम महिलाओं को पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने और सिविल सेवा में आने के लिए भी प्रोत्साहित कर दिया.

गुंचा ने आईपीएस की तैयारी करने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की है. उन्होंने अपने दूसरे ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 424वां रैंक हासिल किया. इसके बाद वह आईपीएस अधिकारी बनी. इस परीक्षा में देशभर से 37 मुस्लिम लड़के और लड़कियां पास हुए थे, जिसमें बिहार के तीन अभ्यर्थी शामिल थे. गुंचा सनोबर के अलावा अन्य दो नबील अहमद ने 262वां और मुदस्सर शरीफ ने 420वां रैंक हासिल किया था. लेकिन इनमें गुंचा के अधिकारी बनने की खबर हर जबान पर सुनाई दे रही थी.

गुंचा एक पढ़े-लिखे मुस्लिम परिवार से आती हैं, उनके पिता खुद डीआईजी पद से रिटायर हुए हैं. गुंचा के पिता अनवर हुसैन ने बीपीएससी की परीक्षा पास कर डीएसपी पद संभाला. प्रमोशन के बाद वह पटना के सिटी एसपी (2007 से 2009) के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं और 2015 में दरभंगा से डीआईजी के पद से रिटायर हुए. अनवर हुसैन की तीन बेटियां हैं, उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को अच्छे शिक्षा से जोड़ा और नतीजतन सभी ने घर वालों का नाम रोशन किया.

सबसे बड़ी बेटी खुशबू यासमीन ने दरभंगा के डीएमसीएच से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की. दूसरी बेटी गुंचा सनोबर आईपीएस अधिकारी बनी और सबसे छोटी बेटी जेबा परवीन ने भी मेडिकल की पढ़ाई की है.

अपने पिता से ही गुंचा सनोबर सरकारी सिस्टम को देखा और समझा करती थी. उन्होंने छोटी उम्र से ही समझना शुरू कर दिया कि सरकारी दफ्तरों में अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार का कीड़ा फैल रहा है. सनोबर कहती है कि बचपन से उन्होंने देखा कि लोग पुलिस स्टेशनों में जाने से डरते थे. अगर हिम्मत जुटाकर चले भी जाते, तो पुलिस वालों के रवैयों से परेशान हो जाते थे. वह इस सिस्टम में बदलाव लाना चाहती थी, जिसने उन्हें यूपीएससी परीक्षा की ओर मोड़ दिया. 

बिहार में पली-बढ़ी गुंचा सनोबर बिहार के तमाम समस्याओं का जड़ अशिक्षा को मानती हैं. वह देश की लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र से जोड़े रखने की पक्षधर है. सनोबर मानना है कि लड़कों से कहीं ज्यादा लड़कियां अपने अरमानों को पूरा करने के लिए जी जान लगा सकती हैं. इसके लिए वह लड़कियों के गार्जियन से अपनी बेटियों को पढ़ने और उन पर भरोसा करने के लिए भी कहतीं हैं.

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