जनता के पैसे से कितनी बार पुनर्विकास कराएगी सरकार?

राज्य सरकार के विकास कार्य की एक बार फिर से किरकिरी शुरू हो गई है. विपक्ष की ओर से आरोप लगने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसमें आम लोगों की परेशानी भेंट चढ़ गई है.

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कितनी बार पुनर्विकास कराएगी सरकार

कितनी बार पुनर्विकास कराएगी सरकार

बिहार में लगातार फेल हो रही विकास की घटनाएं अब न्यूज़ चैनल नहीं बल्कि मीम पेज पर आनी शुरू हो गई है. राज्य में पुल गिरने की घटना हो, सड़क चोरी करने की खबर हो या ट्रांसफर खराब होने की, इन घटनाओं को अब न्यूज़ चैनलों पर जगह देने के साथ मीम के तौर पर साझा किया जा रहा है. इस सोशल मीडिया के जमाने में जहां एक ओर बिहार की किरकिरी हो रही है तो वह ही दूसरी ओर अपने राज्य का बचाव करने वाले लोग भी आईएएस, आईपीएस की छाव में राज्य की इज्जत बचाने पर लगे हुए हैं. मगर यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा.

राज्य की एक और घटना ने आज फिर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरी हैं. बिहार के वैशाली जिले में एक फ्लाईओवर धंसने का वीडियो वायरल हो रहा है. एक साल पहले ही इस फ्लाईओवर का उद्घाटन हुआ था. राज्य के दो महत्वपूर्ण जिलों को जोड़ने वाले पुल के धंसने के बाद पुलिस ने बैराकेडिंग लगाकर आवाजाही रोक दी है. राज्य सरकार के विकास कार्य की एक बार फिर से किरकिरी शुरू हो गई है. विपक्ष की ओर से आरोप लगने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसमें आम लोगों की परेशानी भेंट चढ़ गई है.

इन दिनों राज्य में पुल, सड़क इत्यादि पर सबसे ज्यादा ग्रहण देखने मिल रहा है. राज्य सरकार के तमाम निर्माण कुछ ही दिनों में फिस्सडी साबित हो रहे है. नीतीश कुमार को विकास बाबू की उपाधि दी गई, जो कुछ दिनों बाद पलटू राम की सरकार बन गई और अब उन्हें एक टूटे पुलों के राज्य के मुखिया के तौर पर पहचान मिली है. 

बिहार की इस घटना के साथ ही महाराष्ट्र में भी सरकार का एक बड़ा फेलियर देखने मिला. यहां पीएम के द्वारा अनावरण हुए छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई. 8 महीने में ही इस मूर्ति के गिरने और बुरी तरह से टूट जाने के बाद राज्य सरकार और केंद्र पर निशाना साधा जा रहा है.

खैर इस तरह की घटनाओं में सरकार के लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जब एक सरकार हेल्थ फैसिलिटी, शिक्षा, नौकरी, रोजगार, विकास सभी के लिए जनता को विश्वास दिलाती है. जनता से हर तरह के टैक्स वसूलते ही. उन टैक्स के पैसों से करोड़ों का विकास कराती है और जब वह फेल होता है तो उसके पुनर्विकास के लिए फिर से उसी जनता से पैसे लिए जाते है. ऐसे में देश के मिडिल क्लास और गरीब जनता अपने जरूरतों को काटकर हर बार नए टैक्स स्लैब के अनुसार पैसे देती है. एक अच्छे भविष्य, एक टिकाऊ संरचना, एक मजबूत सरकार, एक विकसित राज्य और एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए टैक्स चुकाए जाते है. मगर सवाल यह है कि आखिर कितनी बार सरकार को एक ही काम के लिए जनता पैसे चुकाती रहेगी?

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