आज का युग महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का नहीं है. मगर आज का दिन उनका है. 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई जा रही है. आज के युग में भी अगर कोई लेखक, उपन्यासकार इत्यादि में रुचि रखता है, तो उसे मुंशी प्रेमचंद की किताबें पढ़ने की सलाह दी जाती है. उस युग जैसी कहानी अब नहीं लिखी जाती. मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में ईदगाह मेरी सबसे पसंदीदा कहानी है.
पूरे 30 दिन के रोजे के बाद ईद के दिन गांव के बड़े, बुजुर्ग और खासकर बच्चे ईदगाह जाने के लिए खुश नजर आते हैं. गांव में एक छोटा गरीब बच्चा हामिद अपनी दादी अमीना के साथ बहुत खुश है. गांव वालों के साथ हामिद भी ईदगाह जाकर अपनी बुढ़ी दादी के लिए तीन पैसे का चिमटा खरीद लाया है. हामिद चाहता तो ईदगाह के बड़े मेले से खिलौने, बर्फी, मिठाइयां, कपड़े और न जाने क्या-क्या नहीं खरीद सकता था. मगर उसने अपनी दादी के बारे में ख्याल करते हुए सबसे कीमती और टिकाऊ चीज खरीदी.
मुंशी प्रेमचंद अगर आज जिंदा होते हैं तो इस हामिद की तरह और कई हमीदों पर भी कहानियां लिखते हैं. आज के दौर का हामिद भी ईद के पैसे बचाता है. वह इन पैसों से फोन का इंटरनेट बिल नहीं रिचार्ज करता बल्कि इसे गुल्लक में डाल रहा है. एक दिन वह गुल्लक के पैसों से अच्छे, बड़े और प्राइवेट अस्पताल में अपनी बहन का इलाज करना चाहता है. नए युग के हामीद की बहन को जानलेवा बीमारी है. आस-पड़ोसी हामिद से बहन को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव देते हैं. मगर हामिद ने सरकारी अस्पतालों की लंबी लाइन, वहां की लचर व्यवस्था, डॉक्टरों का इलाज, अस्पताल की बिल्डिंग इत्यादि को खुद झेला है. हामिद खुद कभी प्राइवेट अस्पताल नहीं गया, मगर उसे अस्पताल की बिल्डिंग देखकर ही इलाज पर भरोसा होता है. हामिद ने इलाज के लिए सिर्फ ईद के ही पैसे नहीं जोड़े, बल्कि हर दिन काम से घर लौटते वक्त ऑटो रिक्शा, बाजरी खाने-पीने की चीजें और यहां तक की ईद में अपने लिए नए कपड़े तक को नजरअंदाज किया.
नए जमाने का दूसरा हामिद एक पिता है, जो अपने 16 साल के बेटे को स्मार्टफोन देने के लिए पैसे बचा रहा है. पिता हमीद ने खुद झड़ा हुआ कुर्ता और सिली हुई पैंट पहनी है. अंदर की बनियान में भी कई छेद है, मगर पाई-पाई करके वह बेटे को फोन दिलाना चाहता है. बेटे ने पिछले ईद से ही फोन की ज़िद रखी है. नादान बेटे को यह तक नहीं पता कि अभी तक उसके पिता के पास बचत में मात्र 6 हजार रुपए ही हुए हैं. एक अच्छा 5G फोन 10 हजार से ऊपर का है. 1 साल में 6 हजार की बचत से इस साल का ईद तोहफा भी पिता हामिद नहीं दे पाएगा. मगर हामिद के बेटे ने अपने दोस्तों में इसका ऐलान कर दिया है कि इस साल वह ईद पर नया फोन लेकर सेवइयां खाने आएगा.
इस जमाने का एक तीसरा हामिद भी है, जो ईद में मिले पैसे को नशेखोरी पर खर्च करता है. 17 साल का हामिद सालों से इनहेलेंट का नशा कर रहा है. हाथ में बड़ा सा झोला, शरीर पर फटी सी शर्ट और दूसरे हाथ में रूमाल. उसी रुमाल में मौजूद है इनहेलेंट नशा बड़े शौक से दिखाते हुए पीता है, मानो नशा नहीं शरबत हो. हामिद कूड़ा बेचकर 200 रूपए कमाता है और 100 रूपू इन्हेलेंट नशे पर उड़ाता है. वह बताता है कि उसे इसकी लत लग चुकी है. अगर वह नशा नहीं करता तो तबीयत खराब हो जाती है.