अक्षय कुमार की 2010 में एक फिल्म आई थी- खट्टा मीठा, जिसे प्रियदर्शन ने निर्देशित किया था. फिल्म में हंसते-हंसाते अंदाज में यह दिखाया गया था कि किस तरह से हमारा सरकारी तंत्र निर्माण के मामले में काम करता है. फिल्म में अक्षय कुमार ने ठेकेदार सचिन टिचकुले का रोल किया था, जो बार-बार एक ही सड़क को बनाता है फिर वह टूटती है फिर वह उसे बनाता है फिर वह टूटती है और यह सिलसिला चलता रहता है…. खराब मटेरियल के कारण सड़क टूटने का सिलसिला फिल्मी दुनिया के साथ-साथ असल दुनिया में भी दिखता है. कहते हैं कि फिल्में हमारी जिंदगी का हीं एक आईना होती है और मुझे लगता है कि खट्टा मीठा फ़िल्म भी हमारे ही आईने का प्रतिबिंब है.
हमारी सरकार भी कई बार खट्टा मीठा फिल्म की तरह ही कंस्ट्रक्शन का काम करवाती है. सरकार टेंडर निकालती हैं, कंस्ट्रक्शन कंपनी निर्माण कराती है, निर्माण के बाद उद्घाटन का फीता कटता है. कुछ साल तक वह सरकारी काम चलता है और फिर टेंडर निकलता है, कंस्ट्रक्शन कंपनी निर्माण कराती है और वापस से उसी कंस्ट्रक्शन को पुनर्निर्माण/रिनोवेशन का नाम देकर फीता काटा जाता है. सालों तक यही परंपरा निभाकर देश की जनता को बेवकूफ बनाने का काम किया जाता है.
देशभर में मोदी सरकार का विरोध
मौजूदा सरकार का तीसरा कार्यकाल इस साल शुरू हुआ है. कार्यकाल शुरू होने से पहले ही सरकार पेपर लीक मामले में पहले से ही घिरी हुई थी. इस मामले में देशभर में सरकार को विरोध झेलना पड़ा है, बावजूद इसके नई-नवेली सरकार बिना किसी डर से खुलेआम सत्ता पर हक जमाए बैठी हैं. पेपर लीक के बाद देश में जगह-जगह मानसून के दौरान एक के बाद एक लिकेज हो रहा है. कई जगह पर पुल निर्माण में लिक है, तो कहीं निर्माणाधीन कामों में लिक, तो कहीं मानसून में पूरे शहर के ही लीकेज की पोल खोल दी है. इस महीने देश में मानसून की शुरुआत हुई है, जिससे सरकार के तमाम काम की पोल खुल रही है. इस मानसून में सरकार ने कई बड़े निर्माण में पानी फिर गया है. बारिश से हालात ऐसे हैं कि राजधानी दिल्ली भी तर-बतर हो गई है.
शुक्रवार की सुबह ही देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट में से एक इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सरकार की सफलता का एक और उदाहरण देखने मिला. आज सुबह दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत का बड़ा हिस्सा गिर गया, जिसमें कई लोग दबकर बुरी तरह से घायल हो गए. तो वहीं इस बड़ी घटना में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ यह हादसा कोई छोटी बात नहीं है. दिल्ली एयरपोर्ट देश के व्यस्ततम एयरपोर्ट में से एक माना जाता है, यहां आम आदमी के साथ नेता, राजनेता समेत कई बड़ी हस्तियां भी आते-जाते हैं. एक बार को फर्ज कीजिए कि आज किसी आम इंसान की नहीं बल्कि एक मंत्री को इस दुर्घटना में खरोच आ जाती तो क्या मंजर होता? विपक्ष के मंत्री को अगर खरोच आती तो, पक्ष धर्म धर्म से लेकर सनातन और नेहरु तक की राजनीति करता. वहीं अगर विपक्ष का नेता होता तो पक्ष पर सारे आरोपों को मढने का और धरनाओं का सिलसिला चलता. आज के दुर्घटना में जान गवाने वाला एक आम इंसान है इसलिए शायद पक्ष-विपक्ष की लड़ाई थोड़ी छोटी देखने मिली है. पक्ष और विपक्ष से यह तय करने में लगा हुआ है कि आखिर इस टर्मिनल का उद्घाटन किसकी सरकार में हुआ था? विपक्ष ने दावा किया है कि इसी साल पीएम मोदी ने टर्मिनल एक का उद्घाटन किया था. इधर सत्ता पक्ष दावा कर रही है कि टर्मिनल 1 को यूपीए की सरकार में बनवाया गया था. फिलहाल दोनों ओर से इस बारे में बहस जारी है और मुआवजे का लिफाफा भी दिखा दिया गया है.
बारिश ने तोड़ा 88 साल का रिकॉर्ड
इस बहस के बीच देश की राजधानी दिल्ली से लेकर आर्थिक राजधानी मुंबई और राम की नगरी अयोध्या तक डूब रही है. दिल्ली में भारी बारिश ने 88 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. राजधानी की सड़कों पर हर जगह जल जमाव है. मोहल्ले से लेकर गलियों तक पानी भरा हुआ नजर आ रहा है. सरकार के निर्माण के असफलता ड्रेनेज सिस्टम तक में नजर आ रही है. हर साल मानसून में सीएम केजरीवाल के दिल्ली में झील बनाने का सपना पूरा होता है.
सपनों की नगरी मुंबई में मार्च में चालू हुए कोस्टल रोड की चर्चा हर तरफ थी, लेकिन उद्घाटन के 2 महीने बाद ही मुंबई के इस बड़े निर्माण की भी पोल सबके सामने खुल गई. मुंबई के समुद्र के नीचे कोस्टल रोड टनल में रिसाव की खबरें आई थी. बारिश के पहले ही लीकेज होने के मामले पर सीएम एकनाथ शिंदे ने एक्शन लिया था.
वहीं पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में बने भव्य राम मंदिर के भी अंदर लीकेज मामला सामने आया है. अभी हमारे प्यारे देशवासियों ने मंदिर को नजर भर देखा भी नहीं होगा कि 1400 करोड़ रुपए के निर्माण से पानी टपकने लगा. इस नए यूपी मॉडल से वाकई में सीएम योगी की खूब वाहवाही हो रही है.
मानसून की पहली बारिश में उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी सरकारी काम की पोल खोली है. नोएडा के पौश इलाके सेक्टर 18 में भारी बारिश के कारण सड़कों के किनारे लगी रेलिंग टूट कर गिर गई है.
इन सभी घटनाओं से एक ही सवाल उठता है कि आखिर कबतक जनता के टैक्स से कराए जा रहे निर्माण को बार-बार हजार बार बनाया, तोड़ा फिर बनाया जाएगा? सरकार के इस मानसूनी कामकाज की असफलता को देखकर बस एक ही गाना याद आता है- ये चमक, ये दमक फूलवन मा महक सब कुछ सरकार तुम्हई से है.