एक समय था जब लोग समाचार सुनने के लिए अपना सारा काम खत्म करके बैठते थे. देश विदेश की जानकारी के लिए पहले लोगों को पूरे दिन इंतजार करना होता था. उस दौर में समाचार पर आंख बंद कर भरोसा किया जाता था. रेडियो और अखबारों के माध्यम से लोग समाचार जाना करते थे. तब रेडियो पर एक ही चैनल खबर था, मगर अखबारों की उसे दौर में कोई कमी नहीं थी. अखबारों में भी एक सत्यता बरकरार होती थी, जो आज के दौरा में भी करई अखबारों ने बरकरार रखी है. आजादी के समय जिस तरीके से रेडियो, अखबारों और पत्रिकाओं को लोगों को आजादी में भाग लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. वैसे ही अब के दौर में न्यूज़ चैनलों का इस्तेमाल एक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है.
जैसे-जैसे टीवी के चलन में न्यूज़ चैनलों की भरमार लगने लगी, वैसे-वैसे खबरों को बेचने की एक होड़ लग गई. अपने चैनल को टॉप बताने और अपने जर्नलिस्ट की खोज को सबसे अलग दर्शाने के लिए कई तरह के भ्रामक समाचार चलाए जाने लगे. टीवी पर समाचार देखना लोगों की पसंद और मजबूरी दोनों बन चुकी थी, जिसे पॉलिटिकल पार्टियों ने भांप लिया. आज के दौर में हर एक समाचार माध्यम को किसी पॉलिटिकल पार्टी के खरीदने का आरोप रहता है. अमूमन यह माध्यम टेलीविजन चैनल ही देखे जाते हैं.
न्यूज़ चैनलों के संवाददाता अपने ऑडियंस को इस तरह से तोड़-मरोड़कर खबर पेश करते हैं, जिससे पॉलीटिकल पार्टी को सीधा-सीधा फायदा मिलता है. यह संवाददाता अपने व्यक्तिगत विचारों को भी कई बार चैनल के माध्यम से थोपने की कोशिश करते हैं.
हर व्यक्ति किसी न किसी विचारधारा से मेल खाता है और समय के साथ उसका पक्षधर भी हो जाता है. लेकिन मीडिया की पढ़ाई में यह बताया जाता है कि कभी किसी आईडियोलॉजी से प्रेरित होकर न्यूज़ नहीं प्रसारित करनी है. न्यूज़ चैनलों पर भी कई कोड ऑफ़ एथिक्स को फॉलो करने की जिम्मेदारी होती है. लेकिन मौजूदा दौर में यह सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है.
हाल में ही एक न्यूज़ चैनल से एक रिपोर्टर को बाहर किया गया. रिपोर्टर पर एक पॉलीटिकल पार्टी का प्रभाव होने का आरोप था. चैनल से बाहर होने के बाद उसी पोलिटिकल पार्टी ने रिपोर्टर को अपने पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त कर दिया. यानी रिपोर्टर जो काम पहले एक मीडिया हाउस के बैनर तले किया करता था, अब वह पार्टी के बैनर तले बिना किसी दबाव के कर सकेगा.
इस खबर से यह मालूम चलता है कि किस तरीके से नए दौर की मीडिया पॉलीटिकल पार्टी के शिकंजे में आ चुकी है. कई बड़े मीडिया चैनल पर विपक्षी पार्टियों ने सामने से यह आरोप लगाए हैं. हालांकि इसे कोई चैनल स्वीकार नहीं करता और बड़े ही सफाई के साथ एक पॉलीटिकल पार्टी को फायदा पहुंचाया जाता है.