देश में कई बड़ी परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जिनमें नीट, यूजीसी नेट यूपीएससी और तमाम पीसीएस की परीक्षाएं शामिल है. इन परीक्षाओं में से कुछ को राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी(NTA) आयोजित करती है, तो कुछ यूपीएससी द्वारा आयोजित किए जाते हैं, वहीं कुछ परीक्षाओं को राज्यस्तर पर सरकार आयोजित करती है. बीते दिनों NTA के द्वारा नीट, यूजीसी नेट की परीक्षाएं ली गई जिन पर बवाल मचा हुआ है. आने वाले दिनों में सीएसआईआर नेट की परीक्षा NTA आयोजित करने वाला था, लेकिन उसने अपना हाथ परीक्षा से पीछे खींच लिया है.
मुझे लगता है कि NTA इस बात से डर गई है कि आगे की परीक्षा आयोजित करने के बाद फिर उसपर सवाल ना खड़े होने लगे, इसलिए टेस्टिंग एजेंसी ने अभी परीक्षाओं को आयोजित करने के ख्याल पर मिट्टी डाल दी है.
बड़ी खबरों में से एक खबर यह भी है कि NTA ने काम में सुधार करने के लिए कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी आने वाले दिनों में यह बताएगी कि आखिर इतने सारे छात्रों के भविष्य पर तलवार लटकने वाली एजेंसी में कहां खामियां हैं. NTA में सुधार के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से सात सदस्यीय कमेटी बिठाई गई है. इस सात सदस्य कमेटी में इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के पूर्व डायरेक्टर के राधाकृष्णन जैसे लोगों को शामिल किया गया है. दो महीने में शिक्षा मंत्रालय को यह कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
7 सदस्य कमेटी
एजेंसी ने नेट सीएसआईआर नेट और एनसीईटी की परीक्षाओं को आने वाले दिनों में आयोजित करने की घोषणा की है. अब सवाल यह होता है कि जब तक NTA को लेकर कमेटी जांच को पूरा नहीं करती है क्या तब तक नेट, सीएसआईआर नेट और एनसीईटी परीक्षाओं के आयोजन पर आंख बंद कर कैसे विश्वास किया जाएगा?
मोदी कैबिनेट में नए शिक्षा मंत्री की कमान संभाल रहे धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा कर दी कि NTA के स्ट्रक्चर, फंक्शनिंग, एक्जाम प्रोसेस, ट्रांसपेरेंसी, ट्रांसफर डाटा, सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को और इंप्रूव करने के लिए शिक्षा मंत्रालय से भी सुझाव भेजा जाएगा. इन घोषणाओं के बाद शिक्षा मंत्री ने अपने सर पर रखा कार्यवाई भरा कटोरा 7 सदस्य कमेटी के सर पर बांध दिया है. आने वाले दिनों में जब शिक्षा मंत्री या केंद्र में बैठे सरकार से इन परीक्षाओं की असफलता पर सवाल किए जाएगा तो मंत्री जी कुर्ता झाड़ के कहेंगे कि जांच कमेटी बैठी हुई है, जांच पर हमें पूरा भरोसा है.
एक नजर कमेटी के सातों मेंबर पर डालें तो इसमें 1.डॉक्टर के राधाकृष्णन, अध्यक्ष पूर्व इसरो चीफ 2. डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, मेंबर, एम्स के पूर्व डायरेक्टर 3. प्रोफेसर विजय राव, मेंबर, वीसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद 4. प्रोफेसर राममूर्ति, मेंबर, रिटायर्ड प्रोफेसर आईआईटी, मद्रास 5. पंकज बंसल, मेंबर, को-फाउंडर पीपुल स्ट्रांग मेंबर, कर्मयोगी भारत 6. प्रोफेसर आदित्य मित्तल, मेंबर, स्टूडेंट अफेयर्स डीन, आईआईटी दिल्ली 7. गोविंद जायसवाल, मेंबर, जॉइंट सेक्रेटरी शिक्षा मंत्रालय शामिल हैं.
NTA पर था मेरा भरोसा
जी पूरा भरोसा तो हमें सरकार पर था, लेकिन सरकार ले डूबी. पूरा भरोसा तो हमें टेस्टिंग एजेंसी पर ही था, लेकिन वह हमारे वर्तमान और भविष्य को भी डूबा रही है, पूरे भरोसे वाली हर चीज पर अब भरोसा नहीं रहा. इतनी परीक्षाओं के स्थगित और पेपर लीक होने पर हम छात्र अपनी किस्मत पर ही दोष मढ़ते देते हैं, जबकि हमारी मेहनत में थोड़ी बहुत कमी और परीक्षा में धांधली दोषियों की पूरी मेहनत होती है. हम दिन रात एक कर पढ़ाई करते हैं, तो धांधली करवाने वाले लोग दिन, दोपहर और रात पेपर लीक करवाने के लिए सांठ-गांठ बैठाते हैं.
यूपीएससी सालभर में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस पदों के लिए परीक्षा का आयोजन करता है. इसके अलावा यह सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए भी परीक्षाओं को आयजित कराता है. देश की सबसे मुश्किल परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी परीक्षा का पेपर आज तक लीक नहीं हुआ है. 1992 में यूपीएससी परीक्षा(UPSC exam) लीक होने की खबर मिली थी, तब यह मामला पार्लियामेंट में पहुंचा था. 1992 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक केंद्र पर जनरल स्टडीज के पेपर के लीक होने की खबर आई थी. पेपर लीक की सूचना बाद यूपीएससी ने तुरंत इंक्वारी कमिटी का गठन किया था, लेकिन पेपर लीक होने का कुछ सबूत हाथ नहीं लगा था. जिस कारण परीक्षा को रद्द नहीं किया गया था. यूपीएससी के इतिहास में अब तक पेपर कैंसिल होने की कोई घटना नहीं हुई है. कई बार ऐसा ख़याल आता है कि बाकि सभी परीक्षाओं और पढाई की मेहनत को यूपीएससी परीक्षा में झोंक दूं. अगर सफ़ल ना भी रही तो समझ जाउंगी पेपर नहीं मुझमें सुधार की जरूरत है.