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गया स्टेशन पर यात्रियों की भीड़
पटना-गया रेल मार्ग बिहार के सबसे व्यस्त रेलवे रूटों में से एक है, जहां हर दिन हजारों यात्री सफर करते हैं. खासकर दफ्तर जाने वाले कर्मचारी, छात्र और कोचिंग जाने वाले युवा इस रूट पर निर्भर हैं. लेकिन लगातार बढ़ती यात्री संख्या के बावजूद इस रूट पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ रही है. इसका नतीजा यह है कि हर दिन यात्री ट्रेनों में जाते हैं, धक्का-मुक्की करते हैं और कई बार तो मजबूरी में ट्रेन के दरवाजे पर लटककर सफर करने को मजबूर हो जाते हैं. यह न सिर्फ यात्रियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि एक गंभीर दुर्घटना का खतरा भी पैदा करता है.
बढ़ती भीड़ और ट्रेनों की कमी
बिहार दैनिक यात्री संघ के महासचिव शोएब कुरैशी के अनुसार, "इस रूट पर केवल 10 नियमित पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं, जबकि हर दिन 50,000 से अधिक यात्री सफर करते हैं. ट्रेन की क्षमता से दोगुना या तिगुना यात्री यात्रा करने को मजबूर हैं. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि यात्रियों को ट्रेन में बैठने तक की जगह नहीं मिलती और उन्हें मजबूरी में दरवाजे पर लटक कर सफर करना पड़ता है."
पुन पुन के रहने वाले परिपूर्ण चंद्र गया के एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं. वो बताते हैं कि “ गया से पटना या पटना से गया जाने में काफ़ी समस्या होती है. एक तो ट्रेन की संख्या कम है वहीं दूसरे तरफ़ भीड़ बहुत होती है. बहुत भीड़ होने के कारण कभी कभी तो गेट पर लटक कर आना पड़ता है जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है.”
सबसे अधिक भीड़ सुबह और शाम के समय होती है, जब छात्र, कर्मचारी और अन्य यात्री अपने गंतव्य के लिए निकलते हैं. जब पटना से गया जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, तो अचानक इतनी भीड़ उमड़ पड़ती है कि लोग इमरजेंसी खिड़की से अंदर घुसने की कोशिश करते हैं. धक्का-मुक्की और अफरातफरी आम हो गई है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. गया के मानपुर की रहने वाली खुशी भी गया में पढ़ाई करती है. काम के सिलसिले से उसे पटना जाना पड़ा. लेकिन ट्रेन में उसके साथ एक घटना घटी जो काफ़ी निराशाजनक है. खुशी बताती हैं कि “ गया से पटना गई तो काफ़ी भीड़ थी, ट्रेन में बैठने के लिए जगह तक नहीं थी किसी तरह एक जगह चिपक कर खड़ी थी. पटना पहुंची काम ख़त्म किया और वापस गया आने लगी. गया आने के दौरान भीड़ दोगुनी हो गई. इसी बीच अचानक से मेरा सामान मेरा बैग सब गायब हो गया. इतनी भीड़ थी की मैं आगे तक नहीं जा सकी. ट्रेन में इतनी भीड़ होने के कारण चोरों को भी चोरी करना आसान हो जाता है."
यात्रियों की मांग है कि इस रूट पर अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन किया जाए, खासकर दोपहर 3 बजे के बाद हर घंटे एक ट्रेन चलाई जाए, जिससे भीड़ का दबाव कम हो सके. लेकिन अब तक रेलवे प्रशासन की तरफ से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
पटना- गया रूट का महत्व
पटना-गया रेल लाइन बिहार के तीन बड़े जिलों – पटना, जहानाबाद और गया को जोड़ती है, जिनकी कुल जनसंख्या करीब 1.15 करोड़ है. इतनी बड़ी आबादी के बावजूद इस रूट पर यात्री सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है.
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इस रूट पर यात्रियों की संख्या बढ़ने के पीछे कई कारण हैं:
1. बस स्टैंड का स्थानांतरण: 2021 में पटना का मीठापुर बस स्टैंड बैरिया स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे गया और जहानाबाद जाने वाले यात्रियों को बस की तुलना में ट्रेन से सफर करना अधिक सस्ता और सुविधाजनक लगने लगा.
2. पर्यटन स्थलों की बढ़ती लोकप्रियता और विश्वविद्यालय : पटना, गया और जहानाबाद में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां हर दिन हजारों पर्यटक आते-जाते हैं. इससे भी यात्री संख्या में भारी वृद्धि हुई है, वहीं गया में केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं बोध गया में आई आई एम.
यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा
पटना-गया रूट पर ट्रेनों में लटककर सफर करना यात्रियों के लिए एक आम बात हो गई है. लेकिन यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जिससे कई दुर्घटनाएं हो सकती हैं. रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 156 के तहत ट्रेन के दरवाजे पर लटककर या छत पर यात्रा करने पर 500 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की सजा का प्रावधान है. इसके बावजूद यात्रियों के पास कोई और विकल्प नहीं बचता. सबसे चिंताजनक बात यह है कि अगर कोई यात्री इस तरह की यात्रा के दौरान हादसे का शिकार हो जाता है, तो रेलवे उसे मुआवजा देने से इनकार कर देता है. जबकि अगर कोई ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होती है, तो यात्रियों को मुआवजा दिया जाता है.
रेलवे बजट में बिहार के लिए बड़े प्रावधान, लेकिन क्या इससे समस्या हल होगी?
रेलवे के नियमों के अनुसार, 100% क्षमता वाले ट्रैक पर 75% ट्रेनों का संचालन किया जाना चाहिए. लेकिन पटना-गया रूट पर यातायात का दबाव 120% से भी अधिक हो गया है, जिससे नए ट्रेनों के संचालन में बाधा आ रही है. इस कंजेशन के कारण रेलवे नए ट्रेनों को शामिल करने में हिचक रहा है. फरवरी में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में बिहार के रेल नेटवर्क और यात्री सुविधाओं के लिए 10,066 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. पूरे राज्य में लगभग 90,000 करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें 5,346 किलोमीटर की नई लाइन, दोहरीकरण और आमान परिवर्तन की 57 परियोजनाओं पर काम हो रहा है.
इसके अलावा, बिहार में 98 अमृत भारत स्टेशनों के पुनर्विकास पर 3,164 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गया जंक्शन के प्लेटफॉर्म 4 और 5 के विस्तारीकरण के लिए 21 जनवरी से 6 मार्च तक 45 दिनों का मेगा ब्लॉक लिया गया है, जिससे पटना और किऊल जाने वाली 11 पैसेंजर ट्रेनों का संचालन रद्द कर दिया गया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि इतने बड़े बजट के बावजूद यात्रियों की बुनियादी जरूरतें क्यों पूरी नहीं हो रही हैं? जब तक पटना-गया रूट पर अधिक ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती, तब तक यात्रियों को राहत नहीं मिलेगी.
मोतिहारी की अंशिका बताती हैं कि “ मैं एक बार अकेले सफ़र कर रही थी गया, गया जाने के लिए मुझे पहले पटना आना पड़ता है. ट्रेन में इतनी भीड़ होती है और इस भीड़ का फ़ायदा कुछ लड़के उठाते हैं. एक बार भीड़ थी और किसी ने मुझे पीछे से छुआ, मैं थोड़ा डर गई, थोड़ी देर बाद फिर वही घटना हुई जिसके बाद मैंने आवाज़ उठाई और लोगों ने भी साथ दिया और अगले स्टेशन पर उसे उतर दिया गया. पटना और गया के लाइन में इतनी भीड़ रहती है की लड़कियों को डर बना रहता है.”
नए ट्रेनों और सुविधाओं की जरूरत
रेल मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि बिहार में नमो ट्रेनों का संचालन शुरू किया जाएगा, जिनकी गति 140 किमी प्रति घंटा होगी. अभी इस रूट पर चलने वाली मेमू ट्रेनों की अधिकतम गति 100 किमी प्रति घंटा है. इसके अलावा, बिहार में 12 वंदे भारत ट्रेनों का संचालन भी हो रहा है. बिहार के महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ने के लिए नमो भारत ट्रेनों की भी योजना बनाई गई है, जिनमें 4-5 एसी बोगियां और 12 जनरल डिब्बे होंगे. हालांकि, यह देखने की जरूरत होगी कि ये नई ट्रेनें पटना-गया रूट पर चलेंगी या नहीं.
समस्या का समाधान क्या है?
रेलवे स्टेशन और उनसे जुड़ी समस्यों पर काम करने वाले समाजसेवी बताते हैं कि - पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाए,पटना-गया रूट पर अधिक पैसेंजर ट्रेनों को शामिल करना सबसे प्राथमिक समाधान है. खासकर दोपहर 3 बजे के बाद हर घंटे एक ट्रेन चलाई जाए, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके.
डबल लाइन और नई ट्रेनों का संचालन, इस रूट पर पहले से ही कंजेशन है, इसलिए रेलवे को जल्द से जल्द ट्रैक के दोहरीकरण पर काम करना चाहिए और अधिक मेमू ट्रेनों को जोड़ा जाना चाहिए.
यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए, रेलवे को सख्ती से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यात्रियों को सुरक्षित सफर करने की सुविधा मिले. लटककर यात्रा करने की मजबूरी को खत्म करने के लिए कोचों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
बजट का सही उपयोग, रेलवे बजट का सही तरीके से उपयोग किया जाए, ताकि यात्री सुविधाओं में वाकई सुधार हो. केवल हाई-फाई ट्रेनें शुरू करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, जब तक आम आदमी के लिए सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित नहीं की जाती.पटना-गया रेल मार्ग पर यात्रियों की बढ़ती संख्या और ट्रेनों की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है. जब तक रेलवे प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएगा, यात्रियों को इसी तरह असुविधा और खतरनाक सफ़र झेलना पड़ेगा. रेलवे को यात्री सुविधाओं को प्राथमिकता देनी होगी और पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ानी होगी, ताकि बिहार के लाखों यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अधिकार मिल सके.