‘हिट एंड रन’(Hit and Run) मामलों में सजा के नए प्रावधानों के खिलाफ देशभर के भारी वाहनों के ड्राइवर और संगठन हड़ताल पर हैं. संसद में हाल ही में लाए गए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आपराधिक मामलों में सजा के नए प्रावधान करता है. विभिन्न अपराधों के लिए इसमें सजा के नए प्रावधान किए गए हैं, जिसमें ड्राइवरों की लापरवाही से होने वाले सड़क हादसों के लिए भी कड़ी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.
बीएनएस की धारा(bns section) 106 में ‘हिट एंड रन’ का उल्लेख किया गया है. नए कानून के तहत ‘हिट एंड रन’ केस में ड्राइवरों को सात लाख जुर्माना और दस साल की कैद का प्रावधान किया गया है.
धारा 106 (2) के तहत दुर्घटना के बाद अगर व्यक्ति की मौत हो जाती है, ड्राइवर इसकी सूचना पुलिस या मजिस्ट्रेट को दिए बिना भाग जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं अगर ड्राइवर घटना की सूचना पुलिस या मजिस्ट्रेट को देता है तो उसकी सजा कम की जा सकती है.
बीएनएस की धारा 106 (1) के तहत उसे अधिकतम पांच साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है. दोनों ही परिस्थिति में सजा की अवधि तीन साल से अधिक होने के कारण ड्राइवर को थाने से जमानत नहीं दी जा सकती है. दोनों धाराएं गैर जमानती है.
अभी दुर्घटना के बाद सजा के मामूली प्रावधान
देश में अभी ‘हिट एंड रन’ के तहत होने वाली दुर्घटनाओं में ड्राइवरों के ऊपर मामूली कैद और जुर्माने का प्रावधान है. दुर्घटना के बाद ड्राइवर के ऊपर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगता है और पुलिस स्टेशन से जमानत भी मिल जाती है. आरोपी चालक पर आईपीसी की तीन धाराओं, 279, 304ए और 338 के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं.
धारा 279 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर खतरनाक ड्राइविंग के द्वारा दूसरों का जीवन खतरे में डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है. इसके तहत चालक को तीन महीने की सजा और एक हजार रूपए का जुर्माना या दोनों एक साथ लगाया जा सकता है. हालांकि 2019 में किए गए संशोधन के बाद जुर्माने की राशि बढ़ाकर 5000 हजार कर दिया गया था.
आईपीसी की धारा 304 ए में लापरवाही से हुई मौत के लिए मामला दर्ज किया जाता है. लापरवाही या असावधानी के कारण हुई दुर्घटना से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो आरोपी को अधिकतम 2 वर्ष की सजा का प्रावधान था. साथ ही पुलिस को थाने से जमानत पर छोड़ने का अधिकार भी था. हालांकि 2019 में किए गए संसोधन के बाद सजा की अवधि बढ़ाकर कम-से-कम सात साल और जुर्माने की राशि बढ़ाकर कम-से-कम 75 हजार कर दिया गया था.
धारा 338 के तहत भी ज्यादा-से-ज्यादा दो साल की सजा और पांच हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा धारा 161, 334, 336 और 337 भी दुर्घटना के बाद मामूली सजा का प्रावधान करता है.
बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए ‘हिट एंड रन’ कानून को सख्त बनाया गया है जिससे भारी वाहनों के ड्राइवर तथा उनके ऑपरेटर भड़के हुए हैं.
हालांकि नया कानून अभी लागू नहीं हुआ है, लेकिन ड्राइवरों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. उन्हें डर है कि नया कानून लागू होने के बाद उनके लिए गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाएगा.
कानून में संसोधन के आश्वासन काम पर लौटे ड्राइवर
संसद में पारित हुए भारतीय न्याय संहिता के तहत सख्त हुए कानून का विरोध करते हुए ड्राइवर और ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं. बीते 2 जनवरी को महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत देश के लगभग सभी राज्यों में हड़ताल का असर दिखा था.
राजधानी पटना में भी 25 हजार ऑटो चालक, 110 सिटी बस चालक और लगभग 1000 स्टेट बस चालकों ने हड़ताल को अपना समर्थन दिया. इस दौरान निजी वाहन चालकों को भी रोका गया. हड़ताल के कारण देश के पेट्रोल पंप पर लोगों की भीड़ जमा होने लगी. वही सब्जी और दूसरे घरेलू सामानों के दाम में वृद्धि देखने को मिली.
देर शाम सरकार और ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के बीच हुई बैठक के बाद संगठन ने ट्रक ड्राइवर को हड़ताल खत्म कर वापस काम पर लौटने को कहा. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि “भारत सरकार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) में 10 साल की सजा और जुर्माने के प्रावधान के बारे में वाहन चालकों की चिंता का संज्ञान लिया है. ये कानून और प्रावधान अभी लागू नहीं होंगे इसे लागू करने से पहले संगठन की राय ली जाएगी.”
क्या कहते हैं ड्राइवर और ऑपरेटर
कानून का विरोध कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें इतना पैसा नहीं मिलता है कि वो इतना भारी जुर्माना भर सके. वहीं दुर्घटना में गलती किसकी है यह कैसे तय किया जा सकता है? कई बार छोटे वाहनों या पैदल चालकों की गलती के कारण दुर्घटना होती है ऐसे में ड्राइवर क्या करेंगे? कई बार खराब रोड और सिग्नल के कारण भी दुर्घटना होती है. ऐसे में पूरी जवाबदेही घटना के बाद सुरक्षित बचे ड्राइवर पर डालना कहां से सही है.
जहानाबाद के रहने वाले अंकेश कुमार ट्रक ड्राइवर हैं. इनके पांच लोगों का परिवार अंकेश की कमाई पर ही निर्भर है. पिछले चार दिनों से अंकेश काम पर नहीं गए हैं. अंकेश नए ‘हिट एंड रन’ कानून के कारण काम पर लौटने से डर रहे हैं.
डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए अंकेश कहते हैं “सरकार कहती है घटना के बाद आप घायल को अस्पताल पहुंचाइए तो सजा तीन साल कम हो जाएगा. लेकिन एक्सीडेंट के बाद अगर ड्राइवर वहां से नहीं भागा तो पब्लिक उसको जिन्दा नहीं छोड़ती है. दूसरा बात 7 लाख जुर्माना, अगर ड्राइवर के पास 7 लाख होता तो अपना बिजनेस नहीं कर लेता जो दूसरे का गाड़ी चलाता. अब हमने ठान लिया है जब कानून बदलेगा तभी काम पर जाएंगे नहीं तो इससे अच्छा कोई दूसरा काम कर लेंगे.”
काम के असीमित घंटे और कम कमाई के चलते ड्राइवर पहले से ही परेशान हैं. उसपर सात लाख जुर्माने के प्रावधान ने ड्राइवरों को परेशान कर दिया है. पालीगंज के साहाचक के रहने वाले ट्रक ड्राइवर जज कुमार यादव पीछले 10 सालों से ट्रक चला रहे हैं. जज कुमार कहते हैं “हम पांच भाई हैं और सब ट्रक ड्राइवर हैं. लेकिन नया कानून सुनने के बाद सब लोग घर पर बैठ गए हैं. गाड़ी के लाइन में कुछ भी तय नहीं है. अगर किसी दिन एक्सीडेंट हो गया और हम 10 साल के लिए जेल चले गए तो हमारे बीवी बच्चों का पेट कौन भरेगा?”
ट्रक ड्राइवर की कमाई में घर चलाना भी मुश्किल
ड्राइवर को महीने में नियमित वेतन के बजाए चक्कर और दूरी के हिसाब से कमीशन दिया जाता है. ड्राइवर का कहना है ऐसे में वे लोग महीने में 7 से 10 हजार रूपए ही कमा पाते हैं.
ड्राइवर के काम पर ना लौटने से परेशान ट्रक मालिक नौशाद आलम बताते हैं “ड्राइवर को महीने में 4 से 5 हज़ार वेतन मिलता है उनकी ज़्यादातर कमाई टिप पर है. ऐसे में जुर्माना भरना और जान खतरे में डालकर घटनास्थल पर रुकना उनके लिए संभव नहीं है. अभी हमारे सारे ट्रक खड़े हैं. ड्राइवर काम पर नहीं लौटे हैं. फिर भी हमे उन्हें रोज का 300 रुपया ख़र्चा देना पड़ रहा है."
ट्रक मालिकों की गाड़ियां खड़ी हो गई है जिससे उनका नुकसान बढ़ गया है. ट्रक मालिक खुर्शीद आलम का कहना है “गाड़ियां तो चालक ही चलाएंगे. सरकार को जनहित में फ़ैसला लेना होगा. घायल की जान बचाने के लिए अगर ड्राइवर को वहां रुकना है तो उसकी जान बचाने के लिए सरकार ने क्या प्रावधान किया है? क्या चालक की मौत होने पर सरकार 20 लाख मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और उसके बच्चे का पालन पोषण करेगी. अगर सरकार ऐसा कुछ प्रावधान लाती है तो हो सकता है की चालक हिम्मत कर वहां रुके.”
गाड़ियां बैठ गई है लेकिन उस पर आने वाले खर्च चालू है. इंश्योरेंस, पॉल्यूशन, फिटनेस जैसे कागजों के कारण एक गाड़ी पर रोज़ाना का 1500 रूपया खर्च हैं. और ये खर्च केवल कागजों का है बाकि खर्च इसके अलावा है.
हर साल लगभग दो लाख लोगों की मौत
सड़क दुर्घटना में होती है सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में 4,12,432 सड़क दुर्घटनाएं भारत में दर्ज की गयी थीं. वही एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में साल 2021 में एक्सीडेंट से 3,97,530 मौत जबकि 2022 में 4,30,504 मौत हुई है.
हमारे देश में सबसे ज्यादा ‘ट्रैफिक एक्सीडेंट’ में होने घटनाओं में रोड एक्सीडेंट की घटनाएं दर्ज की जाती हैं. साल 2022 में 4,46,768 सड़क दुर्घटना के मामले दर्ज हुए थे. वहीं ट्रैफिक एक्सीडेंट में होने वाली मौत में सबसे ज्यादा 88% (1,71,100) मौत सड़क दुर्घटना में होती है.