देश के सर्वोच्च न्यायालय से कई अहम फैसले लागू होते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को पत्थर की लकीर माना जाता है. हाल के दिनों में ही सुप्रीम कोर्ट से सीजेआई डी वाई चंद्रचूर्ण का रिटायरमेंट हुआ, जिनके फैसलों की चर्चा हर जुबान पर होती है. मगर, सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश के बारे में काफी कम बातें होती हैं. मीरा फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट की पहली मुस्लिम महिला न्यायाधीश थीं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए. उनका इस पद पर होना महज सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को शोभा देना ही नहीं, बल्कि महिलाओं को न्यायपालिका के क्षेत्र में आगे बढ़ाने को लेकर एक बड़ा उदाहरण है.
एम फातिमा बीबी को इसी वर्ष भारत सरकार ने पद्मभूषण सम्मान देने की घोषणा की. उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत देने की घोषणा हुई है.
न्यायमूर्ति एम फातिमा बीबी का जन्म 1927 में केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था. वह अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी. उनके पिता का नाम मीरा साहब और मां का नाम खदीजा बीबी था. जिस दौर में मुस्लिम महिलाओं को अक्सर घरों की चहारदीवारी में देखा जाता था, उस दौर में मीरा साहब ने अपनी लड़कियों को पढ़ाने के लिए स्कूल और कॉलेज भेजा.
फातिमा बीवी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पथानामथिट्टा के स्कूल से की और कॉलेज के लिए तिरुवंतपुरम में एडमिशन लिया. फातिमा बीवी ने तिरुवंतपुरम के सरकारी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री गोल्ड मेडल के साथ हासिल की. 1950 में उन्होंने बार काउंसलिंग परीक्षा में भी गोल्ड मेडल हासिल किया. वह बार काउंसलिंग में गोल्ड मेडल पाने वाली पहली महिला बनीं.
1958 में फातिमा बीबी केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंशिफ के तौर पर नियुक्त हुई. 10 साल बाद वह अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुई. 1972 में फातिमा बीबी मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट और 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं. वह 6 साल बाद आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य बनीं और 1983 में केरल हाईकोर्ट में जज के पद पर नियुक्त हुई. 6 साल बाद फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनीं और इसी के साथ उन्होंने इतिहास रच दिया. 4 साल तक सुप्रीम कोर्ट की जज रहने के बाद 1992 में वह रिटायर हुई.
रिटायरमेंट के बाद एम फातिमा बीबी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य रहीं और तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं. उन्होंने 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपाल के तौर पर सेवाएं दी. हालांकि राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल विवादित हो गया. 2001 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जयललिता के नेतृत्व वाली सरकार ने बहुमत हासिल किया, लेकिन भ्रष्टाचार मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया गया. इस फैसले के बाद राज्यपाल फातिमा बीबी ने जयललिता को न सिर्फ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की भी तैयारी की. उनके इस फैसले से केंद्र नाखुश था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्यपाल को हटाए जाने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की. इस घटना के बाद फातिमा बीबी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
एम फातिमा बीबी ने 23 नवंबर 2023 को केरल के कोल्लम में 96 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली.